Mahakumbh 2025: आखिर कैसे बनते है नागा साधु, जानिए महिला साधुओं की रहस्यमयी दुनिया
पुरुष नागा साधु हो या महिला साधु ,इनकी अपनी एक अलग दुनिया होती है। सनातन धर्म में नागा साधुओं उन्हे कहा जाता है , जो पूरी तरह से भगवान की भक्ति में विलीन हो जाते है। नागा साधु बनने की प्रक्रिया बहुत ही कठिन और जटिल होती है।
How to become Naga sadhu mahakumbh: वर्तमान समय में त्रिवेणी संगम नगरी प्रयागराज में दुनिया का सबसे बड़ा और भव्य महाकुंभ आयोजन हो रहा है। इस महाकुंभ में लाखों की संख्या में विभिन्न आखड़ो से आए नागा साधु आकर्षण का केंद्र बने हुए है। लंबी लंबी जताएं, कंठ, माला, हाथों में त्रिशूल, माथे पर चंदन और भभुति कुल मिलाकर 17 श्रंगार किए और मुख में प्रभु नाम लिए नागा साधु हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं। यही वजह है कि नागा साधुओं की विचित्र और अद्भुत दुनिया से हर कोई अनजान है। सांसारिक मोह माया त्याग कर प्रभु की भक्ति में लीन रहने वाले नागा साधु बनना आसान नहीं है। नागा साधु बनने की प्रक्रिया बहुत ही जटिल होती है। फिर चाहे पुरुष नागा साधु हो या महिला साधु, आइए जानते है कि आखिर नागा साधु कैसे बनते है।
नागा साधु बनने की प्रक्रिया :
जब भी कोई इंसान घर ,परिवार ,समाज , धन ,दौलत सभी प्रकार की मोह माया छोड़कर प्रभु की भक्ति में विलीन होने के लिए नागा साधु बनने जाता है तो उसे विभिन्न प्रकार के आखड़ों में जाना पड़ता है।
आखाड़ा समिति देखती है कि ये व्यक्ति नागा साधु बनने के योग्य है या नहीं, इसके बाद ही उस व्यक्ति को अखाड़े में प्रवेश दिया जाता है।
इसके बाद व्यक्ति को विभिन्न प्रकार की परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। उसे ब्रम्हचर्य का पालन करना होता है। यह प्रक्रिया 6 महीने से एक साल तक होती है।
परीक्षा पास करने के बाद व्यक्ति को 5 गुरुओं से दीक्षा प्राप्त करनी होती है l इसमें शिव , विष्णु, शक्ति , सूर्य ,गणेश द्वारा जिन्हे देव की संज्ञा दी गई है।
इसके बाद व्यक्ति को सिर्फ भिक्षा मांगकर ही भोजन करना पड़ता है। और अगर भिक्षा ना मिले तो भूखे पेट ही सोना पड़ता है। और खुद का पिंडदान भी करना होता है।
चाहे ठंड हो , बरसात हो या फिर गर्मी का मौसम नागा साधु एक भी वस्त्र नहीं पहनेंगे, शरीर को इन सबसे बचाने के लिए भस्म लगाते है।
नागा साधु कभी भी समाज के आगे सिर नहीं झुकाते और किसी की भी निंदा भी नहीं करते। सभी को एक समान मानते है। तब जाकर कोई नागा साधु बनता है।
कैसे बनती है महिला नागा साधु :
आपको बता दें कि महिला नागा साधुओं की जीवनशैली और परंपराएं पुरुष नागा साधुओं से बहुत भिन्न होती है। लेकिन वो भी पुरुष नागा साधुओं की तरह सामाजिक और पारिवारिक जीवन से दूर रहती है। महिला साधु भी पूरे दिन भगवान की भक्ति में विलीन रहती है। सुबह - शाम पूजा अर्चना करती है। महिला नागा साधुओं में कपड़े पहनने का प्रावधान है लेकिन बहुत कम और साधारण वस्त्र वो भी गेरुवा रंग के पहनती है। ऐसे कपड़े को गंती कहते है। जो बिना सिला हुआ होता है। कुंभ में स्नान करने के बाद वो आश्रम में लौट जाती है।
ऐसे बनती है महिला नागा साधु :
कोई भी महिला जब पारिवारिक जीवन को पूरी तरह से त्याग करती है और पंच गुरुओं को यह कंठस्य हो जाता है कि ये दोबारा पारिवारिक जीवन में नही लौटेगी, तभी महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया शुरू होती है।
इसके बाद महिला को 6 से 12 वर्ष तक ब्रम्हचर्य का पालन करना होता है। इस दौरान उनका ध्यान , और भक्ति देखी जाती है। महिला नागा साधु बनने से पहले उसे कुंभ में खुद का पिंडदान करना होता है।
फिर महिला के बाल मुंडवाए जाते है। और पवित्र संगम में स्नान कराया जाता है। फिर उनकी साधना की शुरुआत होती है। इस प्रक्रिया में लगभग 15 साल लग जाते है।
इसके बाद वो महिला नागा साधु बन जाती है। उन्हे साधु, साध्वी, माई, माता, और अवधुतानी कहकर बुलाया जाता है। महिला साधु सिर्फ सात्विक आहार लेती है। तामसिक भोजन यानी तेल मसाले का भोजन नहीं करती है। महिला साधु का अलग स्थान होता है। वहीं जाकर रहना ,खाना, और सोना होता है।
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