India solar-eclipse Alert : 21 सितंबर को 4 घंटे 24 मिनट का सूर्यग्रहण, जानें पूरी जानकारी और असर
21 सितंबर 2025 को 4 घंटे 24 मिनट तक आंशिक सूर्यग्रहण लगेगा। भारत में दिखाई नहीं देगा, जानें सूतक काल, प्रभावित देशों, शहरों और ग्रहण के दौरान बचने योग्य काम।

सितारों और ग्रहों के अद्भुत खेल में एक बार फिर अद्भुत खगोलीय घटना होने वाली है। 21 सितंबर 2025 को सूर्यग्रहण लगेगा, जो 4 घंटे 24 मिनट तक चलेगा। यह आंशिक ग्रहण होगा और पितृपक्ष की सर्व पितृ अमावस्या के दिन लगने के कारण धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सूर्यग्रहण की समय-सारणी
यह ग्रहण रात 11 बजे से शुरू होगा और अगले दिन यानी 22 सितंबर की सुबह 3 बजकर 24 मिनट तक चलेगा। कुल समय लगभग 4 घंटे 24 मिनट का रहेगा। खगोल विज्ञान की दृष्टि से यह ग्रहण कन्या राशि और उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में आएगा।
लेकिन भारतीय आकाश में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा क्योंकि यह रात के समय लग रहा है। यही कारण है कि भारत में इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा।
सूर्यग्रहण कहां देख सकते हैं?
सूर्यग्रहण की स्पष्ट झलक के लिए आपको भारत से बाहर जाना होगा। यह ग्रहण विशेष रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों में दिखाई देगा:
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न्यूजीलैण्ड के दक्षिणी महासागरीय क्षेत्र
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ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्से
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अंटार्कटिका
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प्रशांत और अटलांटिक महासागर
न्यूजीलैण्ड के लोकप्रिय शहर जैसे वेलिंग्टन, ऑकलैण्ड, क्राइस्टचर्च, नॉरफ़ॉक द्वीप, किंग्स्टन, और ऑस्ट्रेलिया में सिडनी, होबार्ट में आंशिक सूर्यग्रहण देखा जा सकेगा।
किन देशों में दिखाई नहीं देगा?
भारत, यूएई, नेपाल, अफगानिस्तान, श्रीलंका सहित अधिकांश एशियाई देश और यूरोप, उत्तर अमेरिका, अफ्रीका तथा दक्षिण अमेरिका के कई हिस्सों से यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा।
सूर्यग्रहण का सूतक काल
सूतक काल ग्रहण शुरू होने से लगभग 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है और ग्रहण समाप्त होने तक जारी रहता है। इस दौरान वृद्ध और बीमार व्यक्तियों को भोजन आदि करने से बचना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को फल, सब्जी काटने और नुकीली वस्तुएं इस्तेमाल करने से परहेज करना चाहिए।
हालांकि, भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा, इसलिए सूतक काल मान्य नहीं होगा। लेकिन जिन देशों में ग्रहण दिखाई देगा, वहां यह नियम मान्य रहेगा।
इतिहास और धार्मिक महत्व
सूर्यग्रहण का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व सदियों से माना जाता रहा है। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, सूर्यग्रहण को राहु और केतु की क्रिया से जोड़ा गया है। विशेष रूप से पितृपक्ष की अमावस्या पर ग्रहण का होना धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे पितरों के लिए तर्पण और पूजा करने का शुभ समय माना जाता है।
भारत में आंशिक या पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान सामान्य जीवन में कुछ सावधानियां बरती जाती हैं। लोग धार्मिक अनुष्ठान के लिए विशेष समय का इंतजार करते हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
खगोल विज्ञान के अनुसार सूर्यग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है और सूर्य का कुछ हिस्सा या पूरा भाग छिपा देता है। आंशिक ग्रहण में सूर्य का लगभग 85% हिस्सा ढक सकता है। इस समय सूर्य के सीधे देखने से आंखों को नुकसान हो सकता है। इसलिए भारत के बाहर जहां यह दिखाई देगा, वहां सुरक्षा चश्मा का उपयोग करना जरूरी है।
21 सितंबर 2025 का सूर्यग्रहण भले ही भारत से नजर नहीं आए, लेकिन यह वैज्ञानिक, धार्मिक और खगोलीय दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। खगोल प्रेमियों के लिए यह अवसर एक अनोखा अनुभव होगा, वहीं धार्मिक दृष्टि से यह पितृपक्ष की अमावस्या के कारण विशेष महत्व रखता है।
जानिए कैसे ग्रहण के दौरान अपनी सुरक्षा करें और किन देशों में इसे प्रत्यक्ष देख सकते हैं।
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