India’s Biggest Library : कर्नाटक के हरलहल्लि में बसा ज्ञान का महासागर, क्या सच में हैं 20 लाख किताबें?
कर्नाटक के हरलहल्लि गांव में अनके गौड़ा ने बनाया भारत का सबसे बड़ा निजी पुस्तकालय। जानिए कैसे उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी किताबों के लिए समर्पित कर दी और क्या सच में 20 लाख किताबें उनकी लाइब्रेरी में हैं।
कर्नाटक के हरलहल्लि गांव में अनके गौड़ा ने एक ऐसा कार्य कर दिखाया है, जिसकी चर्चा देश ही नहीं विदेश तक हो रही है। 70 साल की उम्र पार कर चुके अनके गौड़ा ने अपनी जिंदगी किताबों के नाम कर दी। आज उनकी लाइब्रेरी में लगभग 20 लाख किताबें होने की बात कही जा रही है। हालांकि कुछ पुराने रिपोर्ट्स में 1 से 1.5 लाख किताबें बताई गई थीं, लेकिन हाल के वर्षों में उनका संग्रह लगातार बढ़ता जा रहा है।
यह पुस्तकालय “पुस्तक मने” (House of Books) के नाम से जाना जाता है। इसे उन्होंने अपने पैसों से, अपनी मेहनत से और अपने सपनों से बनाया। शुरुआत तब हुई जब वे मात्र 20 साल के थे। नौकरी के तौर पर उन्होंने बस कंडक्टर का काम किया। इसके बाद उन्होंने स्नातकोत्तर पढ़ाई की और तीन दशकों तक एक शुगर फैक्ट्री में काम किया। अपने वेतन का बड़ा हिस्सा किताबें खरीदने में खर्च करते गए।
अनके गौड़ा की लाइब्रेरी में करीब 5 लाख विदेशी दुर्लभ किताबें, 5 हजार से ज्यादा डिक्शनरी और 22 भारतीय भाषाओं के संग्रह शामिल हैं। यहाँ गांधीजी पर 2,500 से अधिक किताबें, भगवद गीता पर विशेष संग्रह और 35,000 अंतरराष्ट्रीय मैगज़ीन भी मौजूद हैं। हर महीने वे लगभग 1,000 किताबें जोड़ते हैं।
इस ज्ञान मंदिर में प्रवेश किसी सदस्यता शुल्क के बिना दिया जाता है। छात्र, शोधकर्ता, प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे युवा और यहाँ तक कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश भी यहाँ आकर अध्ययन कर चुके हैं। अनके गौड़ा कहते हैं – “यह लाइब्रेरी सबके लिए खुली है। किताबें किसी की जागीर नहीं, सबकी संपत्ति हैं।”
उनकी पत्नी विजयलक्ष्मी और बेटे सागर उनके साथ मिलकर इस विशाल संग्रह की देखरेख करते हैं। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने किसी नौकर पर निर्भर होने के बजाय परिवार के सहयोग से इसे चलाया।
अनके गौड़ा की इस उपलब्धि को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स (2016) में जगह मिली थी। उन्हें राज्योत्सव पुरस्कार और साहित्यिक सम्मान भी मिल चुके हैं। लेकिन इस पुस्तकालय को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। आग से सुरक्षा, दीमक से बचाव और धूल रोकने के उपाय की कमी है। उन्होंने लोगों से मदद की अपील की है।
हालाँकि, कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि यह दुनिया की सबसे बड़ी निजी लाइब्रेरी है, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। फिर भी, भारत में यह ज्ञान का सबसे बड़ा भंडार माना जा रहा है।
अनके गौड़ा की यह कहानी हमें यह बताती है कि अगर इरादा मजबूत हो तो साधन बाधा नहीं बनते। उनकी लाइब्रेरी ज्ञान की ज्योति बन चुकी है, जो आने वाली पीढ़ियों को रोशनी दे रही है।
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