Ghatshila Battle: उपचुनाव की तारीख का ऐलान! 11 नवंबर को होगा मतदान, शिक्षा मंत्री के निधन से खाली सीट पर सियासी घमासान तेज
चुनाव आयोग ने बिहार चुनाव के साथ ही झारखंड की घाटशिला विधानसभा सीट पर उपचुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन से खाली हुई इस सीट पर 11 नवंबर को वोटिंग होगी और 14 नवंबर को मतगणना।
झारखंड की सियासी गर्मी अब उपचुनाव के ऐलान के साथ और भी तेज हो गई है! देश के चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा करते हुए झारखंड की घाटशिला विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव की भी तारीखें घोषित कर दी हैं। यह सीट राज्य के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन के बाद खाली हुई थी, और अब इस पर कब्जा जमाने के लिए प्रमुख राजनीतिक दलों के बीच सियासी घमासान शुरू हो गया है।
चुनाव आयोग के ऐलान के मुताबिक, घाटशिला में 11 नवंबर को मतदान होगा, जिसके नतीजे 14 नवंबर को मतगणना के दिन सामने आएंगे। यह उपचुनाव न केवल झारखंड की राजनीतिक दिशा को प्रभावित करेगा, बल्कि राज्य सरकार के लिए भी जनसमर्थन की अग्निपरीक्षा साबित होगा।
घाटशिला समेत देश भर में 8 सीटों पर उपचुनाव
घाटशिला अकेली सीट नहीं है जहां उपचुनाव हो रहा है। चुनाव आयोग ने देश भर में कुल 8 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा की है, जिनमें जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, तेलंगाना, पंजाब, मिजोरम और ओडिशा की सीटें शामिल हैं।
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अन्य प्रमुख सीटें:
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जम्मू और कश्मीर: बुडगम और नागरोटा
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राजस्थान: अंता
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तेलंगाना: जुबिली हिल्स
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पंजाब: तरणतारण
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मिजोरम: डांपा
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ओडिशा: नुआपाड़ा
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उपचुनाव का पूरा कार्यक्रम: एक हफ्ते का समय
घाटशिला की राजनीतिक गतिविधि अब तेज हो जाएगी, क्योंकि चुनावी कार्यक्रम के तहत पार्टियों को नामांकन के लिए एक हफ्ते से भी कम का समय मिलेगा:
| प्रक्रिया | तारीख | दिन |
| चुनाव का नोटिफिकेशन जारी | 13 अक्तूबर | सोमवार |
| नामांकन की अंतिम तिथि | 21 अक्तूबर | मंगलवार |
| स्क्रुटनी की अंतिम तिथि | 22 अक्तूबर | बुधवार |
| नामांकन वापसी की अंतिम तिथि | 24 अक्तूबर | शुक्रवार |
| मतदान | 11 नवंबर | मंगलवार |
| मतगणना | 14 नवंबर | शुक्रवार |
सीट क्यों खाली हुई? शिक्षा मंत्री का निधन
घाटशिला विधानसभा सीट झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के निधन के बाद खाली हुई थी। झारखंड की राजनीति में रामदास सोरेन का कद काफी बड़ा था और उनके निधन से इस आदिवासी बहुल सीट पर गहन राजनीतिक शून्य पैदा हो गया था।
घाटशिला उपचुनाव अब विपक्ष के लिए एक बड़ा मौका है कि वह सत्तारूढ़ दल को चुनौती दे सके, जबकि सत्तारूढ़ दल के लिए यह जरूरी है कि वह दिवंगत नेता के कार्य और जनसमर्थन को बनाए रखे। पार्टियों को अब जल्द से जल्द अपने उम्मीदवारों के नामों पर मुहर लगानी होगी, क्योंकि नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने में चंद दिन ही बाकी हैं।
14 नवंबर को मतगणना के दिन यह साफ हो जाएगा कि रामदास सोरेन की विरासत को कौन आगे बढ़ाएगा और घाटशिला की जनता किसे अपना नया प्रतिनिधि चुनती है।
आपकी राय में, शिक्षा मंत्री जैसे कद्दावर नेता के निधन के बाद होने वाले उपचुनावों में पार्टियों को जीत सुनिश्चित करने के लिए किस तरह की रणनीति अपनानी चाहिए?
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