Jamshedpur Raid: स्कूलों के पास तंबाकू बिक्री पर सख्ती, प्रशासन ने चलाया छापेमारी अभियान
जमशेदपुर के निजी स्कूलों के 100 गज के दायरे में तंबाकू उत्पाद बेचने पर प्रशासन ने छापेमारी की। दो दुकानों से तंबाकू उत्पाद जब्त किए गए और जुर्माना लगाया गया। जानिए इस अभियान की पूरी जानकारी।v
जमशेदपुर में तंबाकू उत्पादों की अवैध बिक्री को रोकने के लिए प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है। जिला दंडाधिकारी सह उपायुक्त अनन्य मित्तल के निर्देश पर धालभूम अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) शताब्दी मजूमदार के नेतृत्व में कदमा, बिष्टुपुर और धातकीडीह क्षेत्र में औचक छापेमारी अभियान चलाया गया। इस दौरान निजी स्कूलों के 100 गज के दायरे में तंबाकू उत्पाद बेचने वाली दुकानों पर सख्त कार्रवाई की गई।
छापेमारी के दौरान क्या हुआ?
छापेमारी अभियान के दौरान प्रशासन ने जुस्को स्कूल, एडीएलएस स्कूल, जमशेदपुर हाई स्कूल, करिमिया हाई स्कूल और सेंट मेरी बिष्टुपुर के आसपास के इलाकों में दुकानों और पान गुमटियों की जांच की। जांच के दौरान दो दुकानों से तंबाकू उत्पाद जब्त किए गए और दुकानदारों से जुर्माना वसूला गया।
कार्यपालक दंडाधिकारी सुदीप्त राज और खाद्य सुरक्षा पदाधिकारी मंजर हुसैन भी इस अभियान में शामिल थे। जब्त किए गए तंबाकू उत्पादों की सूची बनाई गई और इन्हें जल्द ही नष्ट करने की योजना है।
क्यों हो रही है ये कार्रवाई?
भारत में तंबाकू और उससे संबंधित उत्पादों का उपयोग सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर खतरा है। COTPA 2003 (Cigarettes and Other Tobacco Products Act) के तहत, स्कूलों के 100 गज के दायरे में तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध है। इसके बावजूद, कई दुकानदार नियमों की अनदेखी करते हुए बच्चों और युवाओं को इन उत्पादों तक पहुंचने का अवसर दे रहे हैं।
धालभूम अनुमंडल पदाधिकारी शताब्दी मजूमदार ने कहा कि यह अभियान बच्चों और युवाओं को तंबाकू के दुष्प्रभावों से बचाने के उद्देश्य से चलाया जा रहा है। उन्होंने दुकानदारों को चेतावनी दी कि यदि वे आगे भी इस प्रकार की अवैध बिक्री करते पाए गए, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
तंबाकू उत्पादों की अवैध बिक्री: एक गंभीर समस्या
झारखंड जैसे राज्यों में तंबाकू उत्पादों की खपत काफी अधिक है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में, ये उत्पाद आसानी से उपलब्ध हैं। हालांकि, नियमों के बावजूद, कई बार तंबाकू उत्पाद स्कूलों के पास भी बेचे जाते हैं। यह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि युवा पीढ़ी के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा भी है।
इतिहास में देखें तो तंबाकू उत्पादों की खपत पर रोक लगाने के लिए कई प्रयास हुए हैं। 1990 के दशक में, सार्वजनिक स्थानों पर तंबाकू के उपयोग को रोकने के लिए जागरूकता अभियानों की शुरुआत हुई थी। लेकिन आज भी इस समस्या से पूरी तरह निजात नहीं मिल सकी है।
अभियान से जनता की उम्मीदें
इस छापेमारी अभियान से स्थानीय लोग संतुष्ट दिख रहे हैं। कई अभिभावकों ने प्रशासन की इस पहल का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि यह कार्रवाई बच्चों को तंबाकू के दुष्प्रभावों से बचाने में सहायक होगी।
सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की कार्रवाई न केवल तंबाकू की खपत को कम करने में मदद करेगी, बल्कि युवाओं को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए भी प्रेरित करेगी।
भविष्य की योजना
जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह छापेमारी अभियान केवल एक शुरुआत है। आगे भी इस तरह की कार्रवाई जारी रहेगी।
शताब्दी मजूमदार ने कहा, “स्कूलों के पास तंबाकू उत्पाद बेचना न केवल गैरकानूनी है, बल्कि यह हमारे बच्चों के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इस कानून का पालन सख्ती से हो।”
तंबाकू उत्पादों की अवैध बिक्री को रोकने के लिए जमशेदपुर प्रशासन का यह कदम सराहनीय है। इस तरह के प्रयास न केवल कानून व्यवस्था को मजबूत करते हैं, बल्कि समाज को स्वस्थ और जागरूक बनाने में भी अहम भूमिका निभाते हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस अभियान का दीर्घकालिक प्रभाव कैसा रहता है और क्या अन्य जिलों में भी इस तरह की सख्ती देखने को मिलती है।
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