URI Attack Martyrs Tribute :उरी हमले के शहीदों को जमशेदपुर में नमन – क्या हम उनके बलिदान को कभी भूल सकते हैं?

उरी हमला 2016 भारत के सैन्य इतिहास की सबसे बड़ी आतंकी घटनाओं में से एक था। जमशेदपुर में पूर्व सैनिकों ने किस तरह शहीदों को नमन किया और क्यों यह दिन देश की यादों में हमेशा जीवित है, जानें पूरी कहानी। URI Attack Martyrs Tribute :उरी हमले के शहीदों को जमशेदपुर में नमन – क्या हम उनके बलिदान को कभी भूल सकते हैं?

Sep 19, 2025 - 07:36
Sep 19, 2025 - 07:48
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URI Attack Martyrs Tribute :उरी हमले के शहीदों को जमशेदपुर में नमन – क्या हम उनके बलिदान को कभी भूल सकते हैं?
URI Attack Martyrs Tribute :उरी हमले के शहीदों को जमशेदपुर में नमन – क्या हम उनके बलिदान को कभी भूल सकते हैं?

URI Attack Martyrs Tribute जमशेदपुर, 19 सितम्बर 2025 : अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद, जमशेदपुर ने गुरुवार को उरी हमले की नौवीं बरसी पर शहीद सैनिकों को नमन किया। गोलमुरी स्थित शहीद स्थल पर तीनों सेनाओं से सेवानिवृत्त सैनिक जुटे और वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस मौके पर जब “वीर शहीद अमर रहें” के उद्घोष गूंजे तो पूरा माहौल राष्ट्रभक्ति और भावनाओं से भर उठा।

उरी हमला  ( URI Attack Martyrs Tribute ): भारतीय इतिहास का दर्दनाक अध्याय

18 सितंबर 2016 की सुबह हमेशा के लिए भारतीय इतिहास में दर्ज हो गई। जम्मू-कश्मीर के बारामुला जिले के उरी सेक्टर में नियंत्रण रेखा (LoC) के करीब भारतीय सेना की 12वीं ब्रिगेड के मुख्यालय पर पाकिस्तानी आतंकवादियों ने आत्मघाती हमला किया। चार आतंकवादी फिदायीन घुसपैठियों ने सोते हुए जवानों को निशाना बनाया।

इस हमले में 16 भारतीय सैनिकों ने वीरगति पाई और 30 से अधिक घायल हुए। आतंकवादी संगठन को पाकिस्तान से सीधा समर्थन मिला था, जिससे यह घटना सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं बल्कि भारत की संप्रभुता पर सीधा आघात माना गया।

भारतीय सेना ने तत्काल कार्रवाई करते हुए चारों आतंकियों को ढेर कर दिया। हालांकि, इस हमले की पीड़ा इतनी गहरी थी कि उस दिन पूरे देश में गुस्से और शोक की लहर दौड़ गई।

जवाब: सर्जिकल स्ट्राइक

उरी हमले ने भारत के धैर्य की सीमा को पार कर दिया। मात्र ग्यारह दिन बाद, 29 सितंबर 2016 की रात भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकियों के ठिकानों पर लक्षित सर्जिकल स्ट्राइक किया। इस कार्रवाई में कई आतंकी अड्डे ध्वस्त कर दिए गए और बड़ी संख्या में आतंकी मारे गए।

यह भारत की सामरिक नीति और राजनीतिक इच्छाशक्ति में महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक था। इसने दुनिया को संदेश दिया कि भारत अब केवल सहन नहीं करेगा, बल्कि हर हमले का करारा जवाब देगा।

उरी शहीद: अमर बलिदान की गाथा

शहीद सूबेदार विपिन कुमार, सिपाही अरविंद सिंह, हवलदार जितेंद्र सिंह शेखावत जैसे अनगिनत नाम आज भी देश की जनता के दिलों में जीवित हैं। ये वे जवान थे जिन्होंने कर्तव्यपालन के दौरान सर्वोच्च बलिदान दिया।

जमशेदपुर में एकत्र हुए पूर्व सैनिकों ने इन्हीं शहीदों की याद में मोमबत्तियां जलाकर और पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने कहा कि उरी हमले ने भारत को एकजुट किया और हमारी सेना के साहस को नई परिभाषा दी।

श्रद्धांजलि सभा का वातावरण

गोलमुरी शहीद स्थल पड़ाव का दृश्य श्रद्धा और संकल्प दोनों का परिचायक था। थल सेना, नौसेना और वायु सेना से जुड़े सेवानिवृत्त सैनिकों ने राष्ट्रगान गाते हुए शहीदों को नमन किया।

अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के संस्थापक वरुण कुमार ने कहा, “देश आज जिस सुरक्षा माहौल में खड़ा है, वह इन शहीद जवानों के बलिदान का प्रतिफल है। हमें उनके परिवारों के त्याग को भी सदैव याद रखना होगा।”

इस मौके पर मनोज के सिंह, जसबीर सिंह, सतीश प्रसाद और परमहंस यादव समेत कई पूर्व सैनिकों ने भावुक होकर अपने विचार व्यक्त किए। सबने इस बात पर सहमति जताई कि आतंकवाद से लड़ाई में सिर्फ सेना नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है।

शहीदों की प्रेरणा

आज जब दुनिया आतंकवाद और हिंसा की चुनौतियों से जूझ रही है, तब उरी के शहीद हमें यह सिखाते हैं कि सुरक्षा और स्वतंत्रता की कीमत साहस और बलिदान से ही चुकानी पड़ती है।

युवाओं के लिए उनके जीवन की कहानी सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि एक प्रेरणा है। उनके बलिदान से हमें यह संदेश मिलता है कि राष्ट्र की सेवा सर्वोपरि है।

क्यों जरूरी है याद रखना?

अक्सर समय बीतने के साथ घटनाओं की याद धुंधली पड़ जाती है। लेकिन उरी हमला ऐसा अध्याय है जिसे भुलाना असंभव है। अगर हम इन वीरों के बलिदान से प्रेरणा लेते रहेंगे, तभी देश सुरक्षित और मजबूत रह पाएगा।

जमशेदपुर में हुई यह सभा उसी जिम्मेदारी का प्रतीक है—कि देश उन शहीदों के परिजनों और उनके सपनों को कभी अकेला नहीं छोड़ेगा।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।