Ranchi Success: सुरक्षा का कवच! रांची RPF ने दो दिनों में 16 मासूमों को बचाकर मानव तस्करी का अंतर्राज्यीय जाल तोड़ा, 'ऑपरेशन डिग्निटी' ने गोवा जा रही ट्रेन में कसी नकेल, तस्कर फरार, लेकिन जसीडीह से चढ़ाने की मिली पुष्टि, भटकी मां-बेटे को 'मेरी सहेली' टीम ने दिलाया आश्रय!
रांची रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने गुप्त सूचना के आधार पर कार्यवाही करते हुए ट्रेन संख्या 17322 वास्कोडिगामा एक्सप्रेस से 13 नाबालिगों को बचाया जो नौकरी के बहाने गोवा ले जाए जा रहे थे। इसके अलावा, 'मेरी सहेली' टीम ने बुंडू की एक भटकी हुई मां और उसके बेटे को भी सुरक्षित आश्रय दिया। RPF के इन दोहरे मानवीय अभियानों ने बड़ी सफलता हासिल की है।
भारतीय रेलवे, जो झारखंड जैसे राज्य के पिछड़े इलाकों को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ती है, वह दुर्भाग्यवश मानव तस्करी के कुख्यात गिरोहों के लिए एक आसान और सुरक्षित गलियारा बन चुकी है। लेकिन रांची मंडल के रेलवे सुरक्षा बल (RPF) की असाधारण सजगता और मानवीय दृष्टिकोण ने सिर्फ 48 घंटों के भीतर तस्करी के दो बड़े षड्यंत्रों को नष्ट कर दिया है और 16 नाबालिगों को बचाकर उन्हें सुरक्षित जीवन की ओर वापस मोड़ दिया है। RPF का यह कदम उस लंबे और पीड़ादायक इतिहास पर एक प्रहार है, जहां नौकरी का झूठा लालच देकर गरीब बच्चों को बाल श्रम और शोषण के दलदल में धकेल दिया जाता है।
मानव तस्करी का यह अंतर्राज्यीय जाल अक्सर जसीडीह, गोमो या मुरी जैसे छोटे स्टेशनों से शुरू होकर गोवा, केरल या मुंबई जैसे दूरदराज के राज्यों तक पहुंचता है। लेकिन इस बार, RPF की गुप्तचर क्षमता और ऑपरेशनल सफलता ने तस्करों के मनसूबों पर पानी फेर दिया है।
वास्कोडिगामा एक्सप्रेस में चला 'ऑपरेशन डिग्निटी'
मानव तस्करी की सबसे बड़ी योजना को RPF ने अपने विशेष अभियान 'ऑपरेशन डिग्निटी' के तहत विफल किया है।
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पक्की सूचना: RPF रांची को पता चला कि ट्रेन सं.17322 वास्कोडिगामा एक्सप्रेस से नाबालिगों के एक बड़े समूह को गोवा ले जाया जा रहा है।
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रणनीतिक जांच: RPF पोस्ट रांची, जीआरपी, मुरी पुलिस और एक एनजीओ की संयुक्त टीम ने मुरी से निकलने के बाद ही चलती ट्रेन में सादी वर्दी में जांच शुरू कर दी।
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13 मासूम बचे: रात 9 बजे ट्रेन के रांची पहुंचते ही गहन तलाशी में जेनरल कोच से कुल 13 नाबालिग बच्चों को सुरक्षित निकाल लिया गया। हालांकि तस्कर भागने में कामयाब रहे, लेकिन पूछताछ में पता चला कि बच्चों को जसीडीह स्टेशन से चढ़ाकर नौकरी के बहाने गोवा ले जाया जा रहा था। सभी बच्चों को चाइल्डलाइन रांची के हवाले कर दिया गया।
'मेरी सहेली' का मानवीय चेहरा
RPF की विशेष टीम "मेरी सहेली" ने 12 अक्टूबर को एक और मानवीय अभियान को अंजाम दिया।
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गलती से पहुंचे रांची: रेल मदद पर शिकायत मिली कि भरतपुर (राजस्थान) निवासी होलिका और उनका 5 वर्षीय पुत्र यश गलती से रांची पहुंच गए हैं।
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पति की अस्वीकृति: पूछताछ में महिला ने बताया कि वह मूल रूप से रांची के बुंडू तामाड़ क्षेत्र की निवासी है और शादी के 9 साल बाद भी पति द्वारा मायके जाने की अनुमति न मिलने पर गुस्से में घर लौटने के लिए निकली थी।
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सुरक्षित सुपुर्दगी: मोबाइल या संपर्क के अभाव में सहायक सुरक्षा आयुक्त ए.के. सिंह के निर्देश पर टीम ने महिला को बुंडू स्थित उसके मूल घर तक पहुंचाने का फैसला किया। हालांकि, परिजनों के न मिलने पर मां और बेटे को सुरक्षित रूप से एक एनजीओ के सुपुर्द कर दिया गया।
RPF के इन दोहरे अभियानों ने न सिर्फ अवैध मानव तस्करी पर लगाम कसी है, बल्कि यह भी दिखाया है कि रेलवे सुरक्षा बल यात्रियों की हर जरूरत और सुरक्षा के लिए पूरी तरह समर्पित है।
आपकी राय में, रेलगाड़ियों के माध्यम से होने वाली मानव तस्करी को पूरी तरह से रोकने और तस्करों को पकड़ने के लिए RPF को कौन से दो सबसे अत्याधुनिक और गुप्चर आधारित कदम उठाने चाहिए?
1. रेलवे स्टेशनों पर चेहरा पहचानने वाली प्रौद्योगिकी (Facial Recognition Technology) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित संदिग्ध व्यवहार विश्लेषण प्रणाली लागू की जानी चाहिए। यह प्रणाली लापता बच्चों के डाटाबेस से चेहरों का मिलान कर सकती है और एक साथ कई बच्चों को ले जा रहे अकेले व्यक्ति जैसे संदिग्ध पैटर्न की पहचान कर सकती है।
2. प्रमुख तस्करी रूटों पर यात्रा करने वाली ट्रेनों में 'ऑपरेशन डिग्निटी' के तहत नियमित और अप्रत्याशित तरीके से सादे कपड़ों में गुप्चर टीमों को तैनात किया जाना चाहिए। ये टीमें बच्चों और उनके साथ यात्रा कर रहे लोगों से बातचीत करके और उनके यात्रा विवरण की जांच करके त्वरित कार्रवाई कर सकती हैं।
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