Jamshedpur Kidnapping: किडनैपिंग का खौफ! जमशेदपुर में स्कूल का पता पूछकर तीन मासूमों को किया अगवा, काली स्कॉर्पियो में बांधकर जुगसलाई के पार्क में छुपाया, 7 साल के बच्चे की जांबाजी से बचे, 6 दिन बाद फिर दिखी वही गाड़ी, परसुडीह पुलिस की जांच पर बड़ा सवाल!
जमशेदपुर के परसुडीह थाना क्षेत्र से 6 अक्टूबर को क्रिकेट खेल रहे तीन नाबालिग बच्चों का अज्ञात लोगों ने अपहरण कर लिया था। काली स्कॉर्पियो में बच्चों को बेहोश करके जुगसलाई पार्क के पीछे बांधा गया था। 7 साल के बच्चे की मदद से तीनों भागने में सफल रहे। 13 अक्टूबर को फिर वही गाड़ी दिखने से इलाके में दहशत है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
जमशेदपुर, जो कभी टाटा की शांतिपूर्ण नगरी के रूप में जाना जाता था, वहां अब बच्चों के अपहरण की भयावह घटनाओं ने दहशत फैला दी है। परसुडीह थाना अंतर्गत मकदमपुर मुंशी मोहल्ला में 6 अक्टूबर को हुई तीन मासूमों के अपहरण की घटना ने न सिर्फ कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया है, बल्कि यह भी दिखा दिया है कि अपहरणकर्ता कितने बेखौफ हो चुके हैं। हालांकि बच्चों ने किसी तरह अपनी जान बचाकर भागने में सफलता पाई, लेकिन 6 दिन बाद उसी काली स्कॉर्पियो का फिर से दिखना इलाके के लोगों और बच्चों के मांसपेशियों में खौफ भर गया है।
जमशेदपुर में अपहरण का इतिहास पुरानी रंजिश या फिरौती से जुड़ा रहा है, लेकिन बच्चों को खेलते समय इस तरह से बेहोश करके अगवा करने की यह शैली किसी संगठित गिरोह के इशारे की ओर संकेत करती है।
'स्कूल का पता' पूछकर अगवा का षड्यंत्र
बच्चों ने जो घटना परिजनों और पुलिस को बताई है, वह किसी सोची-समझी साजिश का हिस्सा लगती है।
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लालच देना: 6 अक्टूबर को दोपहर लगभग 12 बजे जब बच्चे घर के बाहर क्रिकेट खेल रहे थे, तभी एक अज्ञात व्यक्ति उनके पास आया और सीपी स्कूल का पता पूछने लगा। बच्चे ने जब पता बताया, तो उस व्यक्ति ने देर होने की बात कहकर उन्हें फाटक तक रास्ता दिखाने को कहा।
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स्कॉर्पियो का इस्तेमाल: कुछ दूर जाते ही एक काले रंग की स्कॉर्पियो वहां पहुंची, जिसमें पहले से ही चार लोग सवार थे। उन्होंने तुरंत बच्चों का मुंह बांधा और उन्हें जबरन गाड़ी में बैठा लिया। जब बच्चों ने शोर मचाने की कोशिश की, तो उनमें से दो बच्चों पर स्प्रे छिड़ककर उन्हें बेहोश कर दिया गया।
7 साल के बच्चे ने बचाई जान
अपहरणकर्ताओं ने बच्चों को जुगसलाई फाटक तक ले जाकर, फिर उन्हें घोड़ा चौक के पास स्थित जुगसलाई पार्क के पीछे एक गुप्त जगह पर रस्सी से बांध दिया था।
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एकमात्र सजग: गनीमत यह रही कि 7 साल के सबसे छोटे बच्चे पर स्प्रे नहीं किया गया था। उसके रोने से बाकी दोनों भाई होश में आए और उन्हें आभास हो गया कि उनका अपहरण हुआ है।
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जांबाजी: उसी छोटे बच्चे ने साहस दिखाते हुए पहले अपने दोनों भाइयों की रस्सी खोली, और तीनों किसी तरह अपनी जान बचाकर वहां से भागने में सफल रहे।
6 दिन बाद फिर दिखी वही गाड़ी
बच्चों के घर पहुंचने के बाद 7 अक्टूबर को परिजनों ने परसुडीह थाना में लिखित शिकायत दी, लेकिन पुलिस की जांच जारी रहने के बावजूद सोमवार शाम को एक डरावनी घटना हुई।
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खौफ का वापस आना: 13 अक्टूबर की शाम करीब 5 बजे मुंशी मोहल्ला बस्ती में फिर से वही काले रंग की स्कॉर्पियो देखी गई। गाड़ी को देखते ही बच्चे फिर से सहम गए।
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समाजसेवी का पीछा: इसकी सूचना तुरंत समाजसेवी आकाश श्रीवास्तव को दी गई, जिन्होंने गाड़ी का पीछा किया, लेकिन अपहरणकर्ता भागने में कामयाब रहे।
अब यह मामला एक बार फिर परसुडीह थाना के संज्ञान में लाया गया है और थाना प्रभारी जांच में जुट चुके हैं। इस घटना ने जमशेदपुर में अभिभावकों के बीच भारी डर पैदा कर दिया है और पुलिस पर त्वरित कार्रवाई का दबाव बढ़ गया है।
आपकी राय में, बच्चों के अपहरण की ऐसी घटनाओं को रोकने और पुलिस को अपहरणकर्ताओं की पहुंच तक पहुंचने में मदद करने के लिए स्थानीय समुदाय और पुलिस को कौन से दो सबसे प्रभावी और मिलकर किए जाने वाले कदम उठाने चाहिए?
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