Jamshedpur Achievement: वीमेंस यूनिवर्सिटी की तानुश्री पात्रा ने ऑल इंडिया थल सैनिक कैंप में दिखाया जलवा
जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी की छात्रा तानुश्री पात्रा का चयन प्रतिष्ठित ऑल इंडिया थल सैनिक कैंप 2025 के लिए हुआ। राष्ट्रीय स्तर पर मिली इस उपलब्धि से पूरे झारखंड का मान बढ़ा।

कहते हैं मेहनत और अनुशासन कभी बेकार नहीं जाते। इसका जीता-जागता उदाहरण बनी हैं जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी की इतिहास ऑनर्स (तीसरे वर्ष, पाँचवें सेमेस्टर) की छात्रा तानुश्री पात्रा, जिनका चयन प्रतिष्ठित ऑल इंडिया थल सैनिक कैंप (AITSC) – 2025 के लिए हुआ। यह कैंप सितंबर 2025 में डीजी एनसीसी, दिल्ली छावनी, नई दिल्ली में आयोजित किया गया।
सरायकेला-खरसावां की बेटी ने बढ़ाया मान
तानुश्री, सरायकेला-खरसावां जिला अंतर्गत कांड्रा की रहने वाली हैं। उनके पिता गोपीनाथ पात्रा ने हमेशा उन्हें आगे बढ़ने और सपनों को सच करने की प्रेरणा दी।
बिहार एवं झारखंड निदेशालय का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने Judging Distance (JDFS) इवेंट में भाग लिया और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। यही नहीं, उन्हें बी एंड जे डीटीई (SW Contingent) की द्वितीय प्रभारी (2I/C) नियुक्त किया गया। साथ ही उन्होंने लाइन एरिया ब्रीफर की अहम जिम्मेदारी निभाई।
बिहार-झारखंड निदेशालय से चुनिंदा कैडेट्स
इस वर्ष बिहार एवं झारखंड निदेशालय से कुल 40 एसडब्ल्यू कैडेट्स का चयन विभिन्न इवेंट्स के लिए हुआ। इनमें से तानुश्री का चयन विशेष उपलब्धि माना जा रहा है क्योंकि उन्होंने न सिर्फ नेतृत्व क्षमता दिखाई बल्कि जिम्मेदारी निभाने में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
विश्वविद्यालय में गर्व का माहौल
उनकी इस उपलब्धि पर जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी की एनसीसी यूनिट की सीटीओ प्रीति ने कहा—
"तानुश्री का ऑल इंडिया थल सैनिक कैंप के लिए चयन होना हमारे विश्वविद्यालय ही नहीं, पूरे झारखंड के लिए गर्व की बात है। उनकी लगन, अनुशासन और नेतृत्व क्षमता ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान दिलाई है। वे अन्य कैडेट्स के लिए प्रेरणा हैं।"
वहीं, कुलपति डॉ. अंजिला गुप्ता ने भी तानुश्री को बधाई देते हुए कहा—
"हमारे विश्वविद्यालय की एनसीसी कैडेट्स की निरंतर उपलब्धियां दर्शाती हैं कि जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी में अनुशासन और उत्कृष्टता की संस्कृति को बढ़ावा दिया जाता है। तनुश्री की यह सफलता विश्वविद्यालय और प्रदेश दोनों के लिए गौरव की बात है।"
NCC और झारखंड का गौरवशाली इतिहास
झारखंड की धरती हमेशा से ही वीरता और अनुशासन की मिसाल रही है। चाहे आज़ादी की लड़ाई हो या आधुनिक भारत की सैन्य सेवा—इस राज्य के युवाओं ने हमेशा देश का नाम रोशन किया है।
एनसीसी (राष्ट्रीय कैडेट कोर) की बात करें तो यह संस्था 1948 में अस्तित्व में आई थी और तब से लेकर अब तक लाखों युवाओं को अनुशासन, सेवा और नेतृत्व का पाठ पढ़ा चुकी है। झारखंड के कैडेट्स हमेशा से इस संगठन की शान बढ़ाते रहे हैं। तानुश्री की उपलब्धि भी इसी गौरवशाली परंपरा की अगली कड़ी है।
छात्राओं के लिए प्रेरणा
तानुश्री का यह सफर सिर्फ व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि प्रदेश की उन तमाम बेटियों के लिए प्रेरणा है जो बड़े सपनों को पूरा करने का हौसला रखती हैं। एक छोटे शहर की छात्रा होकर भी उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई और यह साबित किया कि समर्पण और मेहनत के आगे कोई बाधा बड़ी नहीं होती।
आगे की राह
तानुश्री का लक्ष्य सेना में योगदान देना है। उनका कहना है कि एनसीसी ने उन्हें जीवन के हर पहलू में अनुशासन, आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता दी है। यही कारण है कि अब वह देश की सेवा के लिए और भी बड़ी भूमिका निभाना चाहती हैं।
जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी की तानुश्री पात्रा ने यह दिखा दिया कि सही दिशा, मेहनत और अनुशासन से हर कोई राष्ट्रीय स्तर तक पहुँच सकता है।
उनकी उपलब्धि न केवल विश्वविद्यालय बल्कि पूरे झारखंड और बिहार-झारखंड एनसीसी निदेशालय के लिए गर्व का क्षण है। आने वाले समय में निश्चय ही तानुश्री जैसी कैडेट्स भारत को और मजबूती और गौरव प्रदान करेंगी।
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