बाइक की किश्त नहीं चुका पाने के कारण डिप्रेशन में आए युवक ने की आत्महत्या, बिष्टूपुर में एक ही रात में तीन मौतें

जमशेदपुर के बिष्टूपुर में 23 वर्षीय हरि महानंद ने बाइक की किश्त न चुका पाने के कारण डिप्रेशन में आकर आत्महत्या कर ली। शुक्रवार की रात शहर में दो और युवकों ने अपनी जान दे दी।

Aug 11, 2024 - 13:57
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बाइक की किश्त नहीं चुका पाने के कारण डिप्रेशन में आए युवक ने की आत्महत्या, बिष्टूपुर में एक ही रात में तीन मौतें
बाइक की किश्त नहीं चुका पाने के कारण डिप्रेशन में आए युवक ने की आत्महत्या, बिष्टूपुर में एक ही रात में तीन मौतें

जमशेदपुर, बिष्टूपुर साउथ पार्क: जमशेदपुर के बिष्टूपुर इलाके में शुक्रवार की देर रात एक दर्दनाक घटना सामने आई, जहां 23 वर्षीय युवक, हरि महानंद, ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। हरि महानंद, जो कि बिष्टूपुर साउथ पार्क का रहने वाला था, बेरोजगार था और पिछले कई दिनों से गहरे डिप्रेशन से जूझ रहा था।

घटना का विवरण:
हरि महानंद ने कुछ समय पहले एक बाइक किस्तों पर खरीदी थी। लेकिन बेरोजगारी के कारण वह बाइक की किश्तें समय पर नहीं चुका पा रहा था। इस आर्थिक दबाव और मानसिक तनाव ने उसे धीरे-धीरे डिप्रेशन में धकेल दिया। परिवार के अनुसार, हरि पिछले कई दिनों से चुपचाप रहता था और किसी से ज्यादा बातचीत नहीं करता था। आखिरकार, डिप्रेशन के इस गहरे अंधकार में फंसकर उसने शुक्रवार की रात फांसी लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।

पुलिस की कार्रवाई:
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और मामले की जांच शुरू की। परिवार के सदस्यों से बात करने पर पुलिस को पता चला कि हरि महानंद किस प्रकार के मानसिक तनाव से गुजर रहा था। पुलिस ने शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया गया।

शहर में एक रात में तीन आत्महत्याएं:
हरि महानंद की आत्महत्या के अलावा, शुक्रवार की रात जमशेदपुर में दो और युवकों ने अपनी जान दे दी। इन घटनाओं ने शहरवासियों को झकझोर कर रख दिया है। आत्महत्या के इन मामलों ने एक बार फिर से समाज में मानसिक स्वास्थ्य और आर्थिक दबावों के प्रति जागरूकता की आवश्यकता को रेखांकित किया है।

समाज के लिए संदेश:
हरि महानंद की आत्महत्या ने यह स्पष्ट किया है कि आज की युवा पीढ़ी किस प्रकार के आर्थिक और मानसिक तनाव से गुजर रही है। बेरोजगारी और आर्थिक तंगी ने उन्हें मानसिक अवसाद की ओर धकेल दिया है, जो कि अंततः आत्महत्या जैसे घातक कदम उठाने के लिए प्रेरित कर रहा है। समाज और प्रशासन को इस दिशा में गंभीरता से सोचना होगा और ऐसे मुद्दों पर ध्यान देना होगा ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सके।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।