India Election: चुनाव आयोग का तगड़ा एक्शन! 474 पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द, क्या बिहार चुनाव में फूटेगा बम?

चुनाव आयोग ने 474 राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द किया, बिहार के 15 दल शामिल। इतिहास से भरी इस कार्रवाई से क्या चुनावी मैदान साफ होगा? जानिए वजहें, असर और भविष्य की संभावनाएं।

Sep 20, 2025 - 14:03
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India Election: चुनाव आयोग का तगड़ा एक्शन! 474 पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द, क्या बिहार चुनाव में फूटेगा बम?
India Election: चुनाव आयोग का तगड़ा एक्शन! 474 पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द, क्या बिहार चुनाव में फूटेगा बम?

चुनाव आयोग की ये कार्रवाई किसी सस्पेंस थ्रिलर से कम नहीं! क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 474 राजनीतिक दलों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए? और इनमें बिहार के 15 दल भी शामिल हों? चुनाव आयोग ने शुक्रवार को ये बड़ा कदम उठाया, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। कुल 808 पार्टियों का रजिस्ट्रेशन अब तक रद्द हो चुका है, और 359 पर अभी तलवार लटकी है। क्या ये चुनाव आयोग की सफाई अभियान का हिस्सा है या चुनावी रणनीति? आइए, इस चुनाव आयोग कार्रवाई की गहराई में उतरते हैं, जहां इतिहास की कहानियां और भविष्य के सवाल जुड़े हैं।

चुनाव आयोग का इतिहास देखें तो राजनीतिक दलों पर शिकंजा कसना नया नहीं है। 1951 में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपी एक्ट) बना, जिसकी धारा 29ए के तहत पार्टियां रजिस्टर होती हैं। लेकिन 1990 के दशक तक हजारों पार्टियां बन गईं, जिनमें कई निष्क्रिय थीं। 2019 से चुनाव आयोग ने सफाई शुरू की, जब मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स छूट के दुरुपयोग की शिकायतें बढ़ीं। 2022 में पहली बड़ी कार्रवाई हुई, जब 279 आरयूपीपी (रजिस्टर्ड अनरेकग्नाइज्ड पॉलिटिकल पार्टियां) डीलिस्ट की गईं। फिर 2023 में और सैकड़ों पर गाज गिरी। जून 2025 में 345 पार्टियों को निशाने पर लिया गया, और अब अगस्त में 334, सितंबर में 474 का रजिस्ट्रेशन रद्द। ये इतिहास बताता है कि चुनाव आयोग चुनावी सिस्टम को साफ-सुथरा बनाने पर तुला है, लेकिन क्या ये वाकई कामयाब होगा?

इस चुनाव आयोग कार्रवाई की वजह क्या है? आरपी एक्ट के मुताबिक, अगर कोई दल 6 साल तक चुनाव नहीं लड़ता, तो उसका रजिस्ट्रेशन रद्द हो सकता है। ये पार्टियां चुनाव मैदान से दूर रहकर भी टैक्स छूट, दान और अन्य सुविधाओं का फायदा उठा रही थीं। क्या ये मनी लॉन्ड्रिंग का जरिया बन गई थीं? चुनाव आयोग का कहना है कि कई पार्टियां फर्जी थीं, जो चुनाव सुधार की राह में रोड़ा थीं। अगस्त में पहला चरण चला, जहां 334 को बाहर किया गया, और अब दूसरा चरण में 474। कुल 808 पार्टियां अब इतिहास का हिस्सा बन चुकी हैं। लेकिन सवाल ये है – क्या ये कार्रवाई बिहार विधानसभा चुनाव को प्रभावित करेगी?

बिहार में चुनाव आयोग ने 15 दलों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया। बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और ये कार्रवाई महागठबंधन या एनडीए के लिए क्या मायने रखती है? क्या छोटे दल अब बड़े दलों में विलय करेंगे? उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 121 पार्टियां बाहर हुईं, महाराष्ट्र में 44, मध्य प्रदेश में 23, हरियाणा में 17, पंजाब में 21। कुल 23 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों पर असर पड़ा। क्या ये चुनाव आयोग की रणनीति है कि चुनाव मैदान में सिर्फ गंभीर खिलाड़ी रहें?

और 359 दल रडार पर हैं! इन्होंने चुनाव तो लड़ा, लेकिन पिछले 3 साल से वित्तीय ऑडिट रिपोर्ट नहीं जमा की। क्या इन पर भी जल्द गाज गिरेगी? चुनाव आयोग 2019 से ही निष्क्रिय दलों पर नजर रख रहा है। इतिहास में 2022 की कार्रवाई से सैकड़ों पार्टियां गायब हुईं, जिससे टैक्स दुरुपयोग पर लगाम लगी। लेकिन क्या ये पर्याप्त है? कई विशेषज्ञ कहते हैं कि हजारों पार्टियां अभी भी रजिस्टर्ड हैं, जो चुनावी फंडिंग में गड़बड़ी पैदा कर सकती हैं।

ये चुनाव आयोग कार्रवाई गरीब कार्यकर्ताओं या छोटे दलों के लिए झटका है या लोकतंत्र की जीत? बिहार जैसे राज्य में, जहां राजनीति गठबंधनों पर टिकी है, क्या ये रद्दीकरण नए समीकरण बनाएगा? क्या बड़े दल अब छोटे दलों को अपने में समाहित करेंगे? या नई पार्टियां उभरेंगी? चुनाव आयोग का लक्ष्य साफ है – चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना। लेकिन सवाल उठता है, क्या ये कार्रवाई समय पर है या चुनाव से पहले की साजिश?

आप क्या सोचते हैं? क्या चुनाव आयोग की ये सख्ती जरूरी थी, या ये छोटे दलों को दबाने की कोशिश है? कमेंट में बताएं! अगर आपके इलाके में कोई दल प्रभावित हुआ, तो शेयर करें। बिहार विधानसभा चुनाव में ये ट्विस्ट क्या रंग लाएगा? चुनाव आयोग की ये सफाई जारी रहेगी, और शायद और पार्टियां बाहर होंगी। लेकिन एक बात साफ है – भारतीय लोकतंत्र में अब सिर्फ सक्रिय और जवाबदेह दल ही टिक पाएंगे। ये कार्रवाई इतिहास रचेगी या नई बहस छेड़ेगी? इंतजार कीजिए, क्योंकि चुनावी मौसम और गर्म होने वाला है! 

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।