हजल 1 - नौशाद अहमद सिद्दीकी, भिलाई

वो और ही होंगें जिन्हें मझधार खा गई,  हमको तो यार नजर वो खूंखार खा गई।  ....

Aug 8, 2024 - 10:54
Aug 8, 2024 - 11:58
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हजल 1 - नौशाद अहमद सिद्दीकी, भिलाई
हजल 1 - नौशाद अहमद सिद्दीकी, भिलाई

हजल 

वो और ही होंगें जिन्हें मझधार खा गई, 
हमको तो यार नजर वो खूंखार खा गई।  

बेगम मेरी ले लेकर चटखार खा गई, 
बरनी का हाय सारा ही अचार खा गई।  

कैसे रहें बताओ अब सुख शांति के साथ, 
घर का सुकून तो रोज की तकरार खा गई।  

हर इक तरह से क्यों ना परेशां रहें लोग, 
सुख चैन की सारी दवा सरकार खा गई।  

इस वास्ते बकरी को दिया है अभी जुलाब, 
बेगम का मेरी नौंलखा ये हार खा गई।  

चढ्ढी सुखाया करते थे बच्चे मेरे जहां, 
वो धूप भी पड़ोस की दीवार खा गई।  

मुद्दत के बाद आज ही जिसमें छपा था मैं, 
नौशाद मेरी बकरी वो अखबार खा गई।  

गज़लकार 
नौशाद अहमद सिद्दीकी, 

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।