हजल  - 6 - नौशाद अहमद सिद्दीकी, भिलाई

घर बार अंधेरे में व्यापार अंधेरे में,  हमने बसा लिया है संसार अंधेरे में।   ........

Sep 8, 2024 - 11:55
Sep 8, 2024 - 11:54
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हजल  - 6 - नौशाद अहमद सिद्दीकी, भिलाई
हजल  - 6 - नौशाद अहमद सिद्दीकी, भिलाई

हजल 

घर बार अंधेरे में व्यापार अंधेरे में, 
हमने बसा लिया है संसार अंधेरे में।   

सूरज का उगाना भी, दिन प्यार के लाना भी, 
हर काम कर रही है सरकार अंधेरे में।   

वो दिन की रोशनी में बैठें हैं मुंह छुपाए,  
आते हैं दिल के बाहर गद्दार अंधेरे में।   

महसर में काश बिजली  एक पल को चली जाए, 
इस पार से हो जाऊं, उस पार  अंधेरे में।   

मंहगाई ने नौशाद को बेबस बना दिया है, 
हम तो मना रहे हैं त्योहार अंधेरे में।   

गज़लकार 
नौशाद अहमद सिद्दीकी, 

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।