रेप - मनोज कुमार ,गोण्डा ,उत्तर प्रदेश
सड़क पे आ गईं है जिंदगी रुक के पुकार रही हैं जिन्दगी जिन्दगी की हर घड़ी में शाम हैं मौत भी अब दूसरों के नाम हैं.....
रेप
सड़क पे आ गईं है जिंदगी
रुक के पुकार रही हैं जिन्दगी
जिन्दगी की हर घड़ी में शाम हैं
मौत भी अब दूसरों के नाम हैं
नोक झोंक है अब हर इंसान से
इंसान ही इंसान को काटता है
रहें कैसे कली यहाँ गुलज़ार में
दरिन्दगी से कली को मरोड़ता हैं
इंसां तू क्या जिस्मों के भुक्खड़ हैं?
जो होके भी खो गई शर्मिंदगी
न सोच है रूहों को, न याद है गुनाहों के
क्या हैं तेरी ये ज़िन्दगी...
मनोज कुमार ,गोण्डा, उत्तर प्रदेश
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