इश्क - मनोज कुमार ,गोण्डा, उत्तर प्रदेश
इश्क मन्दिर, इश्क गिरजाघर है इश्क मस्जिद, इश्क चर्च है इश्क है फूलों का बाग, इश्क से है मेरा नाता......
इश्क
इश्क मन्दिर, इश्क गिरजाघर है
इश्क मस्जिद, इश्क चर्च है
इश्क है फूलों का बाग,
इश्क से है मेरा नाता
अपनापन है, महसूस सगा
फिर क्या लेना है जग से
नींद की शय्या है इसमें
लेकर देखो खो जाओगे
अपनों में न रह पाओगे
न उम्र, न रूप, न चाल कोई
इसमें में हैं हर हाल कोई
जो सैकड़ों है इसमें साँसे
बिन इश्क न है यादें..!
यूँ हल्के से है ये दरपन
छू लो तो टूट जायेगा
खेल न समझ मज़ाक कभी
ये खेल नहीं रूह से पूछ
न देख इसमें आस कभी
इश्क दरबदर बहता पानी
इसका भी है अजब कहानी
इश्क सोचो, तो समझो, तो जानो
क्यूँ है हमारे दरमियाँ इसे पहचानो
इश्क ठेठ उदासी...
धूप भी है, और छाँव भी है
मनोज कुमार गोण्डा उत्तर प्रदेश
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