ग़ज़ल - 5 - नौशाद अहमद सिद्दीकी, भिलाई
जो भी किया है आपने अच्छा किया है, हम सभी शायरों का सर ऊंचा किया है। .......
ग़ज़ल
जो भी किया है आपने अच्छा किया है,
हम सभी शायरों का सर ऊंचा किया है।
ज़िंदगी की और कुछ बढ़ जाए रौनक,
इसलिए ही तो आपसे रिश्ता किया है।
हमने सजदों से जमीं मामूर कर दी है,
उसके खातिर आपने क्या क्या किया है।
सरहदों पर सर कटाया वो कौन थे,
नाम किसने हिंद का ऊंचा किया है।
सारी फसल बह गई बरसात में,
अब के सावन ने ये सितम कैसा किया है।
मां की ममता तो बड़ी बेमोल हैं,
कर्ज़ किसने दूध का चुकता किया है।
ये सिला नौशाद, उल्फत का मिला,
चूर उम्मीदों का हर शीशा किया है।
गज़लकार
नौशाद अहमद सिद्दीकी, भिलाई
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