Gumla Accident : खूंटी-सिमडेगा मार्ग पर मौत का ट्रक, दो की गई जान, एक गंभीर
गुमला जिले के कामडारा बस्ती के पास भीषण सड़क हादसे में दो लोगों की मौत और एक घायल। ओवरटेक के दौरान बाइक और ट्रक की जोरदार टक्कर। पढ़ें पूरी खबर।
झारखंड का गुमला जिला बुधवार की सुबह एक दर्दनाक सड़क हादसे का गवाह बना। खूंटी-सिमडेगा मुख्य मार्ग पर कामडारा बस्ती (दुर्गा मंदिर) के पास हुए इस हादसे में बाइक सवार दो लोगों की मौत हो गई, जबकि एक अन्य गंभीर रूप से घायल हो गया। इस दुर्घटना ने न केवल पूरे इलाके को दहला दिया बल्कि सड़क सुरक्षा को लेकर कई सवाल भी खड़े कर दिए।
ओवरटेक की कोशिश बनी मौत का सबब
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हादसा सुबह करीब सवा नौ बजे हुआ। 20 वर्षीय विष्णु लोहरा और 40 वर्षीय जतरु स्वांसी बाइक से जरिया गांव से कामडारा बस्ती की ओर जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने एक यात्री बस को ओवरटेक करने की कोशिश की, लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया। सामने से आ रहे तेज रफ्तार ट्रक से उनकी सीधी टक्कर हो गई।
टक्कर इतनी भयानक थी कि विष्णु लोहरा ट्रक के पहिए तले आ गया और वहीं उसकी मौत हो गई। जतरु स्वांसी गंभीर रूप से घायल हो गया और ट्रक के नीचे फंस गया।
ग्रामीणों की जद्दोजहद और असफल जंग
घटना के बाद आसपास मौजूद ग्रामीणों ने कड़ी मशक्कत से जतरु को ट्रक के नीचे से निकाला और तुरंत कामडारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। डॉक्टरों ने उसकी नाजुक हालत देखते हुए रांची रिम्स रेफर कर दिया। लेकिन अफसोस, रांची ले जाते समय ही रास्ते में उसने दम तोड़ दिया।
इस दौरान बाइक पर सवार तीसरा व्यक्ति भी घायल हुआ, जिसे प्राथमिक उपचार दिया गया है।
पुलिस की कार्रवाई
हादसे की सूचना मिलते ही कामडारा पुलिस मौके पर पहुंची और ट्रक को जब्त कर लिया। फिलहाल पुलिस पूरे मामले की जांच में जुटी है। ट्रक चालक की भूमिका को लेकर भी जांच जारी है।
गुमला और हादसों का इतिहास
गुमला, खूंटी और सिमडेगा को जोड़ने वाला यह मार्ग राज्य के महत्वपूर्ण रास्तों में से एक है। लेकिन यह मार्ग हमेशा से हादसों का हॉटस्पॉट रहा है। तेज रफ्तार वाहनों और संकरी सड़कों के कारण यहां अक्सर सड़क दुर्घटनाएं होती रहती हैं।
अगर इतिहास पर नज़र डालें तो पिछले एक दशक में इस मार्ग पर कई बड़े हादसे हो चुके हैं। 2016 में हुए एक बस हादसे में 12 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 2020 में एक बोलेरो और ट्रक की टक्कर ने पूरे इलाके को दहला दिया था। बावजूद इसके, आज भी इस मार्ग पर सड़क सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हो पाए हैं।
त्योहार और रफ्तार का खतरा
विशेषज्ञों का मानना है कि त्योहारों के मौसम में सड़क हादसों का खतरा और बढ़ जाता है। लोग जल्दबाज़ी में सफर करते हैं और अक्सर ओवरटेक करने की कोशिश में दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं। यही वजह है कि पुलिस बार-बार हेलमेट पहनने और ट्रैफिक नियमों का पालन करने की अपील करती है।
स्थानीय लोगों की नाराज़गी
हादसे के बाद इलाके में ग़ुस्सा और आक्रोश का माहौल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन ने अब तक सड़क चौड़ीकरण और सुरक्षा व्यवस्था पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। ग्रामीणों का आरोप है कि भारी वाहन सुबह-सुबह बिना रोक-टोक तेज रफ्तार से गुजरते हैं, जिससे हर दिन दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है।
बड़ा सवाल
यह हादसा फिर से सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर कब तक लोग रफ्तार की भेंट चढ़ते रहेंगे? क्या प्रशासन और परिवहन विभाग सड़क सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाएगा या फिर हादसे के बाद सिर्फ खानापूर्ति की जाएगी?
गुमला का यह हादसा केवल दो परिवारों की जिंदगी बर्बाद करने वाली घटना नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है। ओवरटेक करने की जल्दबाज़ी और लापरवाही की कीमत अक्सर जान देकर चुकानी पड़ती है। अब वक्त है कि लोग ट्रैफिक नियमों को गंभीरता से लें और प्रशासन भी सड़क सुरक्षा पर और सख्त कदम उठाए।
यह हादसा बताता है कि सड़क पर एक छोटी सी गलती जिंदगी और मौत के बीच की दूरी तय करवा देती है। सवाल है—क्या हम अगली बार भी ऐसे किसी हादसे की खबर पढ़ेंगे, या सच में सबक लेकर सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता देंगे?
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