Palamu Raid: बरगद के पेड़ तले चल रहा था जुआ अड्डा, पुलिस ने मचाया हड़कंप
पलामू जिले के पंडवा थाना क्षेत्र में पुलिस ने जुआरियों पर बड़ी कार्रवाई की। बरगद के पेड़ तले चल रहे जुआ अड्डे से छह लोग गिरफ्तार, नकदी और सामान जब्त। पढ़िए पूरी रिपोर्ट।
झारखंड का पलामू जिला हमेशा से अपराध और पुलिसिया कार्रवाई की सुर्खियों में रहा है। कभी नक्सली गतिविधियां, कभी अवैध खनन और अब त्योहारों के मौसम में जुआ। मंगलवार देर रात पंडवा पुलिस ने ऐसी ही एक गुप्त सूचना पर बड़ी कार्रवाई की, जिसने पूरे इलाके में हलचल मचा दी।
बरगद के पेड़ तले बना जुआ अड्डा
जानकारी के मुताबिक, पंडवा थाना क्षेत्र के 3 नंबर रजहरा कोलियरी के पास बरगद के एक विशाल पेड़ के नीचे लंबे समय से जुआ खेला जा रहा था। मंगलवार रात पुलिस ने अचानक छापा मारा तो मौके पर भगदड़ मच गई। करीब 12 से 15 जुआरी अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गए, लेकिन छह लोगों को पुलिस ने मौके पर ही धर दबोचा।
गिरफ्तार आरोपियों में विनय पासवान (40), रंजीत चौहान (38), दिलीप चौहान (48), देव कुमार सिंह (58), संजय नोनीया (38) और सुनील कुमार महतो (35) शामिल हैं। ये सभी पंडवा थाना क्षेत्र के ही निवासी बताए जा रहे हैं।
नकदी और सामान बरामद
पुलिस ने छापेमारी के दौरान मौके से ₹17,050 नकद, ताश की गड्डियां, एक बड़ा तिरपाल, दो मोबाइल फोन और चार मोटरसाइकिलें बरामद की हैं। इतना ही नहीं, पकड़े गए जुआरियों ने पुलिस पूछताछ में खुलासा किया कि उन्हें यह सामान रजहरा कोलियरी निवासी अजय भुइयां उपलब्ध कराता है। अब पुलिस अजय भुइयां की तलाश में जुट गई है, जिससे पूरे नेटवर्क का खुलासा हो सके।
त्योहार और जुए की परंपरा
त्योहारों के मौसम में जुआ खेलने की परंपरा नई नहीं है। खासकर दीपावली और छठ जैसे त्योहारों के दौरान कई ग्रामीण क्षेत्रों में जुए को "मनोरंजन" के रूप में देखा जाता है। लेकिन धीरे-धीरे यह परंपरा अवैध धंधे और अपराध का रूप ले लेती है।
इतिहास बताता है कि महाभारत काल में भी पासे का खेल महज मनोरंजन से शुरू होकर विनाशकारी परिणाम तक पहुंचा। द्रौपदी का चीरहरण हो या पांडवों का वनवास—इन सबकी जड़ में जुए का खेल ही था। यही कारण है कि आज भी समाजशास्त्री जुए को सामाजिक बुराई मानते हैं।
पुलिस की सख्ती
थाना प्रभारी अंचित कुमार ने बताया कि पिछले कई दिनों से सूचना मिल रही थी कि कुछ असामाजिक तत्व भोले-भाले लोगों को जुआ खेलने के लिए उकसा रहे हैं। उन्होंने कहा—
"त्योहारों में लोग खुशी मनाने के बहाने ऐसे खेलों में फंस जाते हैं। लेकिन कई बार यही खेल घर तबाह कर देता है। हमने तय किया है कि इलाके में ऐसे किसी भी अवैध गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"
इलाके में चर्चा और डर
इस कार्रवाई के बाद गांव और आसपास के इलाके में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। कुछ लोग इसे पुलिस की सख्ती मान रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि त्योहारों में थोड़ा-बहुत खेल चलता है, लेकिन पुलिस ने जरूरत से ज्यादा सख्ती दिखाई। हालांकि, एक बड़ा तबका इस छापेमारी को सही ठहरा रहा है और कह रहा है कि अगर समय रहते रोक न लगे, तो यह जुआ अड्डा पूरे इलाके को अपराध की राह पर धकेल सकता था।
बड़ा सवाल
यह घटना एक बार फिर सवाल खड़ा करती है कि आखिर त्योहारों के मौके पर जुए जैसी गतिविधियां क्यों बढ़ जाती हैं? क्या इसके पीछे सिर्फ मनोरंजन की चाह है या फिर बेरोजगारी और आर्थिक तंगी भी लोगों को ऐसे खेलों की ओर धकेलती है?
पलामू पुलिस की यह कार्रवाई न सिर्फ त्योहारों में बढ़ती अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने की कोशिश है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी भी है। जुआ, चाहे घर में हो या बरगद के पेड़ तले, अंत में बर्बादी ही लाता है।
यह खबर बताती है कि त्योहार की खुशियों में लिपटा पलामू का समाज अब कानून के शिकंजे में कस रहा है। सवाल यह है—क्या अगली बार भी पुलिस को ऐसे ही किसी बरगद के पेड़ के नीचे छापा मारना पड़ेगा, या लोग खुद इस बुराई से दूर हो जाएंगे?
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