गुलाबी ठंड - सोनिका गोस्वामी शर्मा
कार्तिक मास का होता सूत्रपात, तुषार की बूदों से होता प्रकृती का श्रंगार, शरद ऋतु है अति मनभावन,
गुलाबी ठंड
कार्तिक मास का होता सूत्रपात,
तुषार की बूदों से होता प्रकृती का श्रंगार,
शरद ऋतु है अति मनभावन,
गुलाबी ठंड की मंद - मंद कम्पन
गुनगुनी धूप बहुत है सुहाती ,
प्रकृती लगता है कोई गीत गुनगुनाती,
कोहरे का झीना पर्दा डला है ,
हवा में ना जाने क्या नशा सा मिला है,
ना गर्मीं की बरसात है ,
ना सावन की फुहार है
गुलाबी ठंड की ये तो शुरुआत है,
अदरक वाली चाय कादौर आया है,
साथ तुम्हारी यादों का
काफिला लाया है,
तुम गर रूबरू हो जाओ ,
तो ये शाम सुहानी हो जाए
मेरे भी होठों पर सुंदर
मुस्कान खिल जाये ।
स्वरचित
सोनिका गोस्वामी शर्मा
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