समाधान  - प्रतिभा प्रसाद 'कुमकुम' जमशेदपुर

चुन्नू मुन्नू दो दोस्त पड़ोस में रहते थे । और गहरे मित्र थे । इस कैम्पस में और जितने भी बच्चे हैं सभी खेलते एक साथ ही हैं लेकिन चुन्नू मुन्नू भाई- भाई की तरह रहते थे । इस दोस्ती की काफी चर्चा भी थी और यह एक मिसाल भी था राधे - कृष्णा धाम सोसायटी के लिए । ......

Aug 10, 2024 - 17:26
Aug 10, 2024 - 17:31
समाधान  - प्रतिभा प्रसाद 'कुमकुम' जमशेदपुर
समाधान  - प्रतिभा प्रसाद 'कुमकुम' जमशेदपुर

समाधान 

चुन्नू मुन्नू दो दोस्त पड़ोस में रहते थे । और गहरे मित्र थे । इस कैम्पस में और जितने भी बच्चे हैं सभी खेलते एक साथ ही हैं लेकिन चुन्नू मुन्नू भाई- भाई की तरह रहते थे । इस दोस्ती की काफी चर्चा भी थी और यह एक मिसाल भी था राधे - कृष्णा धाम सोसायटी के लिए । 

           आज चुन्नू को उदास देखकर मुन्नू ने पूछा क्या हुआ भाई  ? तब चुन्नू ने कहा कि तू भी तो उदास है । मुझसे क्यों पूछ रहा है ? 
चुन्नू -- यार आज एक अजीब बात हुई, जो मुझे बहुत बुरी लगी है । 
मुन्नू --- हाँ आज मेरे घर पर भी एक अजीब बात हुई जो मुझे बहुत बुरी लगी है ।

          अच्छा क्या हुआ ? ऐसा कुछ हुआ है कि मम्मी और पापा दोनों को न तो कुछ कह पा रहे हैं न पूछ सकते हैं । क्यों कि दोनों इसमें शामिल हैं और यह बुरी बात है । आखिर क्या हुआ है । चुन्नू- मुन्नू दोनों एक-दूसरे से पहले तुम बताओ तो पहले तुम बताओ कहते रहे । फिर कहा हम लोग अपने-अपने दादा जी से बात करते हैं । हाँ चलो ।

           दोनों बच्चे अपने दादा और दादी जी के पास पहुंचे । उन्हें मालूम था कि अब माँ पापा को दादा- दादी ही डाँट सकते हैं । चुन्नू ने मुन्नू के दादा- दादी से कहा कि आप दोनों मेरे दादा- दादी के पास चलें । मुन्नू के दादा -दादी दोनों हक्के-बक्के । लेकिन चल पड़े चुन्नू के दादा- दादी से मिलने । 

        जब बच्चे और दादा- दादी एक साथ मिलें तब बच्चों ने बताया कि आज चुन्नू के पापा मुन्नू के माँ के शयनकक्ष से मुस्कुराते हुए जीत की खुशी दर्शाते हुए दाहिने हाथ की मुठ्ठी बाँधकर खुशी पूर्वक अपनी ओर खिंचते हुए निकले । जब की उन्हें तो चुन्नू की माँ के शयन कक्ष से ऐसे निकलना चाहिए था । न की मुन्नू के माँ के शयन कक्ष से । ऐसा ही काम मुन्नू के पापा ने भी किया है और हम बच्चों को यह देखकर बहुत शर्म आ रही है । क्या हम दोनों के पापा बदल दिए गएं हैं । ऐसा तो हमने तो कभी न देखा न सुना है । अब चौंकने की बारी दादा- दादी की थी । दोनों दादा -दादी हक्के-बक्के रह गए । उन्हें अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था । बारह तेरह साल के बच्चों ने अपने -अपने मोबाइल से दोनों को दोनों पापाओं को अपने दोस्त के माँ के शयनकक्ष से निकलते हुए दिखाया । अब दादा- दादी को लगा कि मामला गंभीर है । उन्होंने अपने पुत्र और पुत्रवधू को बुलाया और विडियो दिखाकर पूछा । यह सब क्या है ? दोनों दम्पति के चेहरे का रंग उड़ गया । अपने -अपने सास- ससुर को कोई जवाब नहीं दे पा रहे थे । फिर चुन्नू की माँ ने अपनी चुप्पी तोडी । कहाँ ये बात आपको अपने पुत्र से पूछनी चाहिए । सासु माँ-- लेकिन बहू रानी पराये मर्द को अपने शयनकक्ष में तो तुमने भी तो आने दिया है । वो तो परायी औरत के शयनकक्ष में घुसा है । हाँ गलती तो उसने भी की है,सवाल तो उससे भी करूंगी लेकिन पहले जवाब तुम दो । यह क्या माजरा है ? अब दोनों बहुएं एक साथ बोल पड़ी । बात यह है सासु माँ आपके लाडले घर के काम में ध्यान नहीं देते हैं और पड़ोसी बोल दे तो दौड़कर कर देते हैं । बस हम दोनों सखियों को अपने अपने बेडरूम में दो कील ठुकवानी थी सो महीने भर से इन्हें कह रही थी और ये सुन नहीं रहे थे । आज हम दोनों ने एक ही समय में एक दूसरे के पति से करवाने की योजना बनाई । और चुन्नू मुन्नू को विडियो रिकॉर्डिंग के काम पर लगा दिया । लेकिन ये दोनों देर से आए तब तक कील ठुक चुका था । दोनों ने इन्हें सिर्फ कमरे से मुस्कुराते हुए निकलते का ही विडियो निकाला । यदि अपने घर का काम समय पर कर दिया करें तो हमें काम निकालने के लिए अंगुली डेढ़ी क्यों करनी पड़ेगी ? यही है खरी-खरी बात । क्या कही है खरी-खरी ?

सभी एक साथ खिलखिला कर हँस पड़े ।

प्रतिभा प्रसाद 'कुमकुम' जमशेदपुर , झारखन्ड ।

Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।