ग़ज़ल - 1 - शफ़ीक़ रायपुरी, बस्तर , छत्तीसगढ़
न जाने कौन आया था मिरे वीरान कमरे में सलीके से धरा है हर जगह सामान कमरे में...........
ग़ज़ल
न जाने कौन आया था मिरे वीरान कमरे में
सलीके से धरा है हर जगह सामान कमरे में
पढ़ा जायेगा किस से "मीर" का दीवान ऐसे में
हमारी आँख भर आई है फिर वीरान कमरे में
जिधर देखो ग़रीबी , भूख, बेकारी के मंज़र हैं
सिमट कर आगया है सारा हिन्दुस्तान कमरे में
अगर हैं भी तो सब बेकार हैं बस यूं समझ लीजे
न खिड़की है न दरवाज़ा न रौशन दान कमरे में
'शफ़ीक़' उनको भी कुछ दिन कुल्ब-ए-दहकां में ठहराओ
रहा करते हैं महलों के जो आलीशान कमरे में
शफ़ीक़ रायपुरी
बस्तर , छत्तीसगढ़
What's Your Reaction?