Saraikela Accident: नींद ने ली भारी कीमत! कांड्रा हाईवे पर सुबह 4:30 बजे ट्रक पेड़ से टकराकर हुआ चकनाचूर
सरायकेला खरसावां के कांड्रा-चौका मार्ग पर LPT मिनी ट्रक पेड़ से जा टकराया, वाहन दो हिस्सों में बंटा। चालक बच गया, पुलिस जांच में जुटी।

सरायकेला खरसावां जिले के कांड्रा थाना क्षेत्र में शुक्रवार तड़के एक भयानक सड़क हादसा हुआ, जिसमें एक LPT मिनी ट्रक (वाहन संख्या WB37D 8858) कांड्रा-चौका मुख्य मार्ग पर स्थित एक विशाल पेड़ से जा टकराया। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि वाहन दो हिस्सों में बंट गया और पेड़ टूटकर ट्रक के ऊपर गिर पड़ा। हैरानी की बात यह है कि इस भीषण हादसे में चालक की जान बच गई।
"सुबह के अंधेरे में हुआ हादसा"
घटना सुबह 4:30 बजे की है, जब ट्रक चालक हजारीबाग से हाट गम्हरिया लोडिंग के लिए जा रहा था। चालक ने पुलिस को बताया कि नींद आने के कारण उसका वाहन नियंत्रण से बाहर हो गया और सीधे पेड़ से जा टकराया। स्थानीय लोगों ने बताया कि टक्कर की आवाज इतनी तेज थी कि आसपास के गांवों में लोगों की नींद खुल गई।
"ट्रक का ऐसा हाल कि देखने वालों की रूह कांप गई"
मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने बताया कि ट्रक का फ्रंट पार्ट पूरी तरह कुचल गया था, जबकि पेड़ का एक बड़ा हिस्सा वाहन के केबिन पर गिरा था। चालक को किसी तरह चमत्कारिक ढंग से बाहर निकलने में सफलता मिली। कांड्रा पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और वाहन के रिकॉर्ड की जांच की जा रही है।
"क्या झारखंड की सड़कें बनीं मौत का जाल?"
यह पहली बार नहीं है जब झारखंड के हाईवे पर नींद या थकान के कारण हादसा हुआ है। पिछले पांच साल के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में 40% से अधिक सड़क दुर्घटनाएं ड्राइवर की थकान या नींद के कारण होती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि झारखंड के जंगलों से घिरे हाईवे, जहां अक्सर कोहरा और अंधेरा रहता है, ऐसे हादसों को आम बना देते हैं।
"चालकों के लिए चेतावनी"
- रात के समय लंबी ड्राइव से बचें, खासकर अकेले।
- हर 2-3 घंटे में ब्रेक लें और थोड़ी देर आराम करें।
- अगर नींद आ रही हो तो तुरंत वाहन रोक दें।
- हाईवे पर पेड़ों के नजदीक स्पीड कंट्रोल करें।
"पुलिस क्या कहती है?"
कांड्रा थाना प्रभारी ने बताया कि इस मामले में कोई जानहानि नहीं हुई, जो एक बड़ी राहत की बात है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे हादसों को रोकने के लिए पुलिस समय-समय पर चालकों को जागरूक करती रहती है। उन्होंने ट्रक कंपनियों से भी अपील की कि वे ड्राइवरों को पर्याप्त आराम के बाद ही लंबी दूरी का सफर करने दें।
यह हादसा एक बार फिर सवाल खड़ा करता है कि क्या झारखंड की सड़कों पर सुरक्षा उपायों को और सख्त बनाने की जरूरत है? क्या ट्रक कंपनियां अपने ड्राइवरों की थकान को गंभीरता से ले रही हैं? फिलहाल, यह मामला सभी ड्राइवरों के लिए एक चेतावनी है कि नींद और थकान को कभी हल्के में न लें।
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