Gandhi Jayanti: 2 अक्टूबर: बापू के विचारों की वो ताकत, जिसने दुनिया बदल दी!
2 अक्टूबर को गांधी जयंती और अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाता है। अहिंसा के बल पर भारत को आजादी दिलाने वाले महात्मा गांधी के जीवन और विचारों को याद करें। जानें उनके 15 अमर कोट्स और नारे, जो आज भी प्रेरणा देते हैं।

भारत के इतिहास में कुछ तारीखें ऐसी हैं, जो सिर्फ कैलेंडर का हिस्सा नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा का प्रतीक बन चुकी हैं। 2 अक्टूबर का दिन हर एक भारतीय के लिए बेहद खास है, क्योंकि यह उस महामानव का जन्मदिन है जिसने अहिंसा के हथियार से दुनिया की सबसे बड़ी औपनिवेशिक शक्ति को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। हम बात कर रहे हैं मोहनदास करमचंद गांधी की, जिन्हें हम प्यार से बापू कहते हैं।
आज, जब पूरी दुनिया हिंसा और संघर्ष के दौर से गुजर रही है, तब महात्मा गांधी के विचार और भी अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं। 2 अक्टूबर को हर साल गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है, और यह दिन अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी विश्व भर में प्रतिष्ठित है। यह दिन बापू के प्रति अपना आभार व्यक्त करने और उनके सत्य, अहिंसा और प्रेम के मूल्यों का सम्मान करने का एक शानदार अवसर है।
अहिंसा: वह ताकत जिसने भारत को आजाद कराया
महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम में एक अभूतपूर्व रास्ता चुना। उन्होंने हिंसा के बदले अहिंसा को अपना सबसे शक्तिशाली हथियार बनाया। उन्होंने अपना पूरा जीवन न केवल देश को आजाद कराने में लगाया, बल्कि समाज में व्याप्त भेदभाव को हटाने और हर व्यक्ति को सम्मान दिलाने के लिए भी समर्पित किया।
गांधी के जीवन से हमें यह सीखने को मिलता है कि शारीरिक शक्ति से कहीं ज़्यादा शक्तिशाली वैचारिक शक्ति होती है। उनके शब्द और नारे आज भी लोगों के रोम-रोम में देशभक्ति और नैतिक बल भर देते हैं।
बापू के 15 अमर कोट्स और नारे
गांधी के ये शब्द केवल वाक्य नहीं, बल्कि जीवन दर्शन हैं, जिनमें आज भी मानवता के लिए गहरा संदेश छिपा है:
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"करो या मरो।" (स्वतंत्रता संग्राम का सबसे शक्तिशाली नारा)।
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"दुनिया में जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, वह खुद बनिए।" (स्व-सुधार और बदलाव की प्रेरणा)।
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"आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी।" (हिंसा के दुष्चक्र पर सबसे बड़ी टिप्पणी)।
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"मैं मरने के लिए तैयार हूं, पर ऐसी कोई वजह नहीं है जिसके लिए मैं मारने को तैयार हूं।" (अहिंसा के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता)।
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"कमजोर लोग कभी माफ नहीं कर सकते, माफी मजबूत लोगों का गुण है।" (क्षमा के महत्व पर जोर)।
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"ऐसे जिएं कि जैसे आपको कल मरना है और सीखें ऐसे जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है।" (जीवन और ज्ञान का संतुलन)।
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"बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत बोलो।" (तीन बंदरों के माध्यम से सरल नैतिकता)।
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"पाप से घृणा करो, पापी से नहीं।" (मानवीय करुणा का सिद्धांत)।
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"निःशस्त्र अहिंसा की शक्ति किसी भी परिस्थिति में सशस्त्र शक्ति से सर्वश्रेष्ठ होगी।" (अहिंसा की सर्वोपरिता)।
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"अहिंसा परमो धर्म।" (सर्वोच्च कर्तव्य के रूप में अहिंसा)।
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"एक राष्ट्र की संस्कृति लोगों के दिलों में और आत्मा में बसती है।" (संस्कृति की परिभाषा)।
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"स्वतंत्रता एक जन्म की भांति है। जब तक हम पूर्णतः स्वतंत्र नहीं हो जाते तब तक हम परतंत्र ही रहेंगे।" (सच्ची स्वतंत्रता की परिभाषा)।
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"आजादी का कोई अर्थ नहीं है यदि इसमें गलतियां करने की आजादी शामिल न हों।" (लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता)।
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"खुद पर विश्वास और लहजे में शराफत थी, गांधी जी से ज्यादा उनके विचारों में ताकत थी।" (विचारों की शक्ति पर जोर)।
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"दिल की कोई भाषा नहीं होती, दिल-दिल से बात करता है।" (प्रेम और एकता का संदेश)।
आज गांधी जयंती के अवसर पर, हम न सिर्फ बापू को श्रद्धांजलि दें, बल्कि उनके बताए रास्ते पर चलने और उनके महान विचारों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प भी लें।
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