विजयदशमी कब है - दुर्गा पूजा तिथि और समय 2025 दुर्गा पूजा की छुट्टियां - durga puja 2025 dates and time , durga puja calender 2025, durga puja holiday
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भारत में नवरात्रि शक्ति पूजा के दौर में मनाया जाता है नवरात्रि 9 दिनों तक चलने वाला अत्यंत शुभ व्रत प्रथा उत्सव के 9 दिन होते हैं | नवरात्रि में हर एक दिन आदिशक्ति के विभिन्न रूपों को समर्पित होता है जिसमें देवी के प्रत्येक रूपों की पूजा श्रद्धा से की जाती है तथा नौ ग्रहों की पूजा हर 1 दिन से जुड़ा होता है शक्ति की पूजा करने से नौ ग्रहों से जुड़े बाधाओं में शांति मिलती है नवरात्रि हर 1 वर्ष 6 महीने के अंतराल पर मनाई जाती है एक चैत्र नवरात्रा होता है तथा दूसरा शारदीय नवरात्रा के नाम से जाना जाता है नवरात्रि अथवा नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है | (विजयदशमी कब है)
2025 में शादी नवरात्रा 28 सितंबर 2025 से शुरू हो रहा है तथा इसका समापन 2 अक्टूबर 2025 में हो रहा है
संबंधित अन्य नाम : नवदुर्गा, दुर्गा पूजा, चैत्र नवरात्रि, वसंत नवरात्रि, महा नवरात्रि, राम नवरात्रि, राम नवमी,नवरात्रे, नौरात्रे, गुड़ी पड़वा, उगादी
सुरुआत तिथि: चैत्र /अश्विन शुक्ल प्रतिपद
उत्सव विधि : व्रत, हवन, जागरण, जागराता, माता की चौकी, मेला।
प्रतिपदा: माँ शैलपुत्री
या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
इन्हें हेमावती तथा पार्वती के नाम से भी जाना जाता है। शैलपुत्री देवी दुर्गा ( Durga Puja 2025 ) के नौ रूप में पहले स्वरूप में जानी जाती हैं। ये ही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा। नवरात्र-पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है। इस प्रथम दिन की उपासना में योगी अपने मन को 'मूलाधार' चक्र में स्थित करते हैं। यहीं से उनकी योग साधना का प्रारंभ होता है।
तिथि: चैत्र /अश्विन शुक्ल प्रतिपदा
सवारी: वृष, सवारी वृष होने के कारण इनको वृषारूढ़ा भी कहा जाता है।
अत्र-शस्त्र: दो हाथ- दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल धारण किए हुए हैं।
मुद्रा: माँ का यह रूप सुखद मुस्कान और आनंदित दिखाई पड़ता है।
ग्रह: चंद्रमा - माँ का यह देवी शैलपुत्री रूप सभी भाग्य का प्रदाता है, चंद्रमा के पड़ने वाले किसी भी बुरे प्रभाव को नियंत्रित करती हैं।
शुभ रंग: स्लेटी
द्वितीय: माँ ब्रह्मचारिणी
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
दूसरे नवरात्र ( Durga Puja 2025 ) में मां के ब्रह्मचारिणी एवं तपश्चारिणी रूप को पूजा जाता है। जो साधक मां के इस रूप की पूजा करते हैं उन्हें तप, त्याग, वैराग्य, संयम और सदाचार की प्राप्ति होती है और जीवन में वे जिस बात का संकल्प कर लेते हैं उसे पूरा करके ही रहते हैं।
तिथि: चैत्र /अश्विन शुक्ल द्वितीया
अन्य नाम: देवी अपर्णा
सवारी: नंगे पैर चलते हुए।
अत्र-शस्त्र: दो हाथ- माँ दाहिने हाथ में जप माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण किए हुए हैं।
ग्रह: मंगल - सभी भाग्य का प्रदाता मंगल ग्रह।
शुभ रंग: नारंगी
तृतीया: माँ चंद्रघंटा
या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
नवरात्र ( Durga Puja 2025 ) के तीसरे दिन दुर्गाजी के तीसरे रूप चंद्रघंटा देवी के वंदन, पूजन और स्तवन करने का विधान है। इन देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्ध चंदंमा विराजमान है इसीलिये इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा।
तिथि: चैत्र /अश्विन शुक्ल तृतीया
सवारी: बाघिन
अत्र-शस्त्र: दस हाथ - चार दाहिने हाथों में त्रिशूल, गदा, तलवार और कमंडल तथा वरण मुद्रा में पाँचवां दाहिना हाथ। चार बाएं हाथों में कमल का फूल, तीर, धनुष और जप माला तथा पांचवें बाएं हाथ अभय मुद्रा में।
मुद्रा: शांतिपूर्ण और अपने भक्तों के कल्याण हेतु।
ग्रह: शुक्र
शुभ रंग: सफेद
चतुर्थी: माँ कूष्माण्डा
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
देवी कूष्माण्डा ( Durga Puja 2025 ) की पूजा नवरात्रि के चौथे दिन होती है। कूष्माण्डा संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ- कू मतलब छोटा/सूक्ष्म, ऊष्मा मतलब ऊर्जा और अण्डा मतलब अण्डा है। देवी के कूष्माण्डा रूप की पूजा से भक्तों को धन-वैभव और सुख-शांति मिलती है।
तिथि: चैत्र /अश्विन शुक्ल चतुर्थी
अन्य नाम: अष्टभुजा देवी
सवारी: शेरनी
अत्र-शस्त्र: आठ हाथ - उसके दाहिने हाथों में कमंडल, धनुष, बाड़ा और कमल है और बाएं हाथों में अमृत कलश, जप माला, गदा और चक्र है।
मुद्रा: कम मुस्कुराहट के साथ।
ग्रह: सूर्य - सूर्य को दिशा और ऊर्जा प्रदाता।
शुभ रंग: लाल
पञ्चमी: माँ स्कन्दमाता
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
माँ दुर्गा का मातृत्व स्वरुप माँ स्कंदमाता ( Durga Puja 2025 ) को समर्पित है. पुराणों के अनुसार देवताओं और असुरों के बीच युद्ध में कार्तिकेय यानी स्कन्द कुमार देवताओं के सेनापति बने थे और देवताओं को विजय दिलाई थी. इन्हें कुमार, शक्तिधर और मयूर पर सवार होने के कारण मयूरवाहन भी कहा जाता है. माँ दुर्गा का यह नाम श्री स्कन्द (कार्तिकेय) की माता होने के कारण पड़ा. स्कन्द कुमार बाल्यावस्था में माँ स्कंदमाता की गोद में बैठें हैं. मां स्कंदमाता की सवारी सिंह हैं एवं भुजाओं में कमल पुष्प हैं. माँ स्कन्द माता की आराधना करने वाले भक्तो को सुख शान्ति एवं शुभता की प्राप्ति होती है.
तिथि: चैत्र /अश्विन शुक्ल पञ्चमी
अन्य नाम: देवी पद्मासना
सवारी: उग्र शेर
अत्र-शस्त्र: चार हाथ - माँ अपने ऊपरी दो हाथों में कमल के फूल रखती हैं है। वह अपने एक दाहिने हाथ में बाल मुरुगन को और अभय मुद्रा में है। भगवान मुरुगन को कार्तिकेय और भगवान गणेश के भाई के रूप में भी जाना जाता है।
मुद्रा: मातृत्व रूप
ग्रह: बुद्ध
शुभ रंग: गहरा नीला
षष्ठी: माँ कात्यायनी
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
नवदुर्गा के छठवें स्वरूप में माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है. माँ कात्यायनी का जन्म कात्यायन ऋषि के घर हुआ था अतः इनको कात्यायनी कहा जाता है. इनकी चार भुजाओं मैं अस्त्र शस्त्र और कमल का पुष्प है , इनका वाहन सिंह है. ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं, गोपियों ने कृष्ण की प्राप्ति के लिए इनकी पूजा की थी. विवाह सम्बन्धी मामलों के लिए इनकी पूजा अचूक होती है , योग्य और मनचाहा पति इनकी कृपा से प्राप्त होता है|
तिथि: चैत्र /अश्विन शुक्ल षष्ठी
सवारी: शोभायमान शेर
अत्र-शस्त्र: चार हाथ - बाएं हाथों में कमल का फूल और तलवार धारण किए हुए है और अपने दाहिने हाथ को अभय और वरद मुद्रा में रखती है।
मुद्रा: सबसे हिंसक रूप
ग्रह: गुरु
शुभ रंग: पीला
सप्तमी: माँ कालरात्रि
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
देवी की पूजा नवरात्रि के सातवें दिन की जाती है। इन्हें देवी पार्वती के समतुल्य माना गया है। देवी के नाम का अर्थ- काल अर्थात् मृत्यु/समय और रात्रि अर्थात् रात है। देवी के नाम का शाब्दिक अर्थ अंधेरे को ख़त्म करने वाली है।
तिथि: चैत्र /अश्विन शुक्ल सप्तमी
अन्य नाम: देवी शुभंकरी
सवारी: गधा
अत्र-शस्त्र: चार हाथ - दाहिने हाथ अभय और वरद मुद्रा में हैं, और बाएं हाथों में तलवार और घातक लोहे का हुक धारण किए हैं।
मुद्रा: देवी पार्वती का सबसे क्रूर रूप
ग्रह: शनि
शुभ रंग: हरा
अष्टमी: माँ महागौरी
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। आदिशक्ति श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी हैं। मां महागौरी का रंग अत्यंत गौरा है इसलिए इन्हें महागौरी के नाम से जाना जाता है। मान्यता के अनुसार अपनी कठिन तपस्या से मां ने गौर वर्ण प्राप्त किया था। तभी से इन्हें उज्जवला स्वरूपा महागौरी, धन ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी त्रैलोक्य पूज्य मंगला, शारीरिक मानसिक और सांसारिक ताप का हरण करने वाली माता महागौरी का नाम दिया गया।
तिथि: चैत्र /अश्विन शुक्ल अष्टमी
अन्य नाम: श्वेताम्बरधरा
सवारी: वृष
अत्र-शस्त्र: चार हाथ - माँ दाहिने हाथ में त्रिशूल और अभय मुद्रा में रखती हैं। वह एक बाएं हाथ में डमरू और वरदा मुद्रा में रखती हैं।
ग्रह: राहू
मंदिर: हरिद्वार के कनखल में माँ महागौरी को समर्पित मंदिर है।
शुभ रंग: मोर हरा
नवमी: माँ सिद्धिदात्री
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
मां सिद्धिदात्री माता पार्वती का वो स्वरूप हैं जिनकी पूजा करने से रोग, भय और शोक से छुटकारा मिलता है. मां के इस रूप की पूजा से आंठों सिद्धियों की प्राप्ति होती है. इसके अतिरिक्त, माता के बीज मंत्र के निरंतर जाप से तामसिक एवं सात्विक दिव्य विद्याओं का शरीर में संचार होता है. दूसरी ओर, मां की आरती भी अत्यंत प्रभावी है. मां सिद्धिदात्री की आरती के प्रभाव से व्यक्ति के दिमाग का गुप्त स्थान प्रकट हो जाता है और उसे कई तरह की दैविक शक्तियों की प्राप्ति होती है.
तिथि: चैत्र /अश्विन शुक्ल नवमी
सवारी: शेर
अत्र-शस्त्र: चार हाथ - दाहिने हाथ में गदा तथा चक्र, बाएं हाथ में कमल का फूल शंख व शंख शोभायमान है।
ग्रह: केतु
शुभ रंग: बैंगनी
शारदीय नवरात्रि
शरद ऋतु में आने वाली नवरात्रि अधिक लोकप्रिय हैं इसलिए इसे महा नवरात्रि ( Durga Puja 2025 - विजयदशमी कब है ) भी कहा गया है।
चैत्र नवरात्रि
चैत्र नवरात्रि हिंदू कैलेंडर के पहले महीने चैत्र की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है जिसके कारण यह नवरात्रि चैत्र नवरात्रि के नाम से जानी जाती है। भगवान राम का अवतरण दिवस राम नवमी आमतौर पर नवरात्रि के दौरान नौवें दिन पड़ता है, इसलिए राम नवरात्रि भी कहा जाता है। चैत्र नवरात्रि को वसंत नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है।
चैत्र नवरात्रि उत्तरी भारत में अपेच्छा कृत अधिक लोकप्रिय है। महाराष्ट्र में चैत्र नवरात्रि गुड़ी पाडवा से शुरू होते हैं और आंध्र प्रदेश में यह उगादी से शुरू होता है। इस नवरात्रि का दूसरा दिन भी चेटी चंड या झुलेलाल जयंती के रूप में मनाया जाता है। दिल्ली एनसीआर में झुलेलाल मंदिरों की सूची।
नवरात्रि में यह अवश्य करें!
1) नौ दिन मातारानी का ध्यान!
2) अपने प्रतिकूल ग्रह वाले दिन, उपवास!
3) मंदिर में माता के अथवा मंदिर के बाहर ध्वज के दर्शन!
FAQ's
1: विजयदशमी कब है ?
Ans: विजयदशमी (दशहरा)- 2 अक्टूबर 2025 |
2: महालया कब है ?
Ans: महालया का पर्व 21 सितंबर को मनाया जाएगा |
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