Ranchi Intercept: ऑपरेशन नार्कोस का शिकार! टाटीसिलवे रेलवे स्टेशन पर RPF की दबिश, 37 किलो गांजा के साथ 2 तस्कर गिरफ्तार, ₹3.75 लाख की खेप जब्त
रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने ऑपरेशन नार्कोस के तहत टाटीसिलवे रेलवे स्टेशन पर संयुक्त जांच अभियान चलाकर ₹3.75 लाख कीमत का 37 किलोग्राम गांजा जब्त किया। पश्चिम चंपारण (बिहार) और गंजम (ओडिशा) के दो तस्करों को भी गिरफ्तार करके जीआरपी के सुपुर्द किया गया है।
झारखंड में रेलवे मार्फ़त होने वाली नशा तस्करी के खिलाफ रेलवे सुरक्षा बल (RPF) का विशेष अभियान 'ऑपरेशन नार्कोस' एक बार फिर सफल रहा है। रांची के पास स्थित टाटीसिलवे रेलवे स्टेशन पर चलाए गए संयुक्त जांच अभियान के दौरान RPF ने बड़ी मात्रा में गांजा जब्त किया और दो अंतर-राज्यीय तस्करों को गिरफ्तार करने में सफलता पाई।
भारतीय रेलवे का इतिहास केवल यात्री और माल परिवहन का नहीं है, बल्कि दुर्भाग्य से अपराधी अक्सर इसका उपयोग अवैध गतिविधियों के लिए भी करते रहे हैं। नशा तस्करी के मामले में, रेल मार्ग को सबसे सुरक्षित रास्तों में से एक माना जाता है। ऐसे में, RPF का 'ऑपरेशन नार्कोस' तस्करों के लिए एक कड़ा संदेश है कि रेलवे की सीमाओं के अंदर नशा का कोई कारोबार नहीं होने दिया जाएगा।
37 किलो गांजा, 2 राज्यों के तस्कर
9 अक्टूबर की देर शाम RPF पोस्ट रांची और फ्लाइंग टीम रांची के कर्मचारियों ने टाटीसिलवे रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म संख्या 1 पर गहन संयुक्त जांच अभियान चलाया।
-
संदिग्ध व्यक्ति: जांच के दौरान दो व्यक्ति प्लेटफॉर्म पर बैठे पाए गए, जिनकी गतिविधियां संदिग्ध लगीं। पूछताछ करने पर उनकी पहचान रामू बिन (पश्चिम चंपारण, बिहार) और सुंतनी गमांगा (गंजम, ओडिशा) के रूप में हुई। यह तस्करों का अंतर-राज्यीय संबंध दर्शाता है।
-
कबूलनामा और जब्ती: प्रारंभिक पूछताछ में दोनों तस्करों ने स्वीकार किया कि उनके पास मौजूद बैग में अवैध गांजा है। सूचना मिलते ही असिस्टेंट सिक्योरिटी कमांडेंट अशोक कुमार सिंह मौके पर पहुंचे और तलाशी ली गई।
-
भूरे प्लास्टिक में छिपाया: दोनों व्यक्तियों के बैग से भूरे प्लास्टिक में लिपटे हुए 6 पैकेट गांजा बरामद हुआ। जब्त गांजे का कुल वजन 37 किलोग्राम पाया गया, जिसकी बाजार में अनुमानित कीमत ₹3.75 लाख बताई जा रही है।
जीआरपी को सौंपा गया मामला
RPF ने गांजा और संबंधित सामान को जब्त करते हुए दोनों आरोपी रामू बिन और सुंतनी गमांगा को आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए जीआरपी रांची के सुपुर्द कर दिया है। अब जीआरपी इस मामले में NDPS एक्ट के तहत मामला दर्ज करके इस नशा तस्करी नेटवर्क की गहराई तक पहुंचने की कोशिश करेगी।
यह सफलता रेलवे प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय को दर्शाती है। 'ऑपरेशन नार्कोस' के तहत होने वाली यह कार्रवाई नशे के व्यापार पर निश्चित रूप से एक बड़ा प्रहार है और तस्करों के मनोबल को तोड़ने में मदद करेगी।
आपकी राय में, रेलवे के माध्यम से होने वाली नशा तस्करी को रोकने और तस्करों के नेटवर्क को पूरी तरह से तोड़ने के लिए RPF और जीआरपी को कौन से दो तकनीकी और जांच संबंधी उपाय करने चाहिए?
What's Your Reaction?


