Tatanagar Railway Rice Scam : टाटानगर रेलवे यार्ड में चावल गबन मामला, दो रेलकर्मी गिरफ्तार, 23 लाख से अधिक का अनाज चोरी
जमशेदपुर के टाटानगर रेलवे यार्ड में 1259 बोरा चावल गबन मामले में दो रेलकर्मी गिरफ्तार। 23 लाख से अधिक का अनाज चोरी, आरपीएफ ने कोर्ट में पेश कर जेल भेजा। बुधवार को होगी जमानत पर सुनवाई।
टाटानगर रेलवे यार्ड में 1259 बोरा चावल गबन के मामले में रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने एक साल की लंबी जांच के बाद दो क्लर्कों को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपियों के नाम मुकेश कुमार और सूरज कुमार बताए गए हैं। दोनों को मंगलवार को चक्रधरपुर मंडल रेलवे के टाटानगर कैंप कोर्ट में पेश करने के बाद घाघीडीह जेल भेज दिया गया।
गौरतलब है कि इस मामले में चोरी किए गए चावल की कीमत करीब 23 लाख रुपए से अधिक बताई जा रही है। यह घटना मार्च 2024 की है, लेकिन जांच और पूछताछ के बाद अब कार्रवाई तेज की गई है।
कोर्ट में पेशी और अफरातफरी का माहौल
आरोपियों को आरपीएफ ने हिरासत में लेने के बाद रेलवे अस्पताल में स्वास्थ्य जांच कराई। इसके बाद उन्हें कैंप कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट परिसर में दर्जनों रेलकर्मी और महिलाएं इकट्ठा हो गए। इस दौरान माहौल तनावपूर्ण हो गया और कई रेलकर्मियों ने आरपीएफ की जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाए।
बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता रतन लाल महतो ने कहा है कि बुधवार को चक्रधरपुर रेलवे अदालत में जमानत अर्जी दाखिल की जाएगी। उनका कहना है कि आरपीएफ ने आरोपियों से कोई चावल बरामद नहीं किया है और न ही पूछताछ में किसी तरह की स्वीकारोक्ति हुई है।
कैसे हुआ चावल गबन का खुलासा?
मामला 15 फरवरी 2024 को दर्ज हुआ था। एफसीआई (भारतीय खाद्य निगम) का चावल ओडिशा के कांटाबाजी से पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर भेजा जा रहा था।
यात्रा के दौरान मालगाड़ी में तकनीकी खराबी आई और एक वैगन को टाटानगर यार्ड में अलग करना पड़ा। बाद में इसे दूसरी मालगाड़ी से जोड़कर भेजा गया।
लेकिन जब चावल कृष्णानगर पहुंचा तो व्यापारी ने पाया कि बुक किया गया माल नहीं मिला। उसने ईस्टर्न रेलवे ज़ोन में शिकायत दर्ज कराई। जांच के दौरान टाटानगर आरपीएफ को पता चला कि वैगन खाली होने के बाद 1259 बोरे चावल गायब हो गए थे।
लंबी जांच के बाद गिरफ्तारी
मामले की गंभीरता को देखते हुए चक्रधरपुर आरपीएफ के सहायक कमांडेंट ने कई बार टाटानगर यार्ड का दौरा किया और रेलकर्मियों एवं सुरक्षा ड्यूटी जवानों से पूछताछ की।
आखिरकार सोमवार को रेलवे वाणिज्य क्लर्क मुकेश कुमार और सूरज कुमार को नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुलाया गया। पूछताछ के बाद मंगलवार को दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
रेलकर्मियों में नाराजगी
इस कार्रवाई के बाद रेलवे कर्मचारियों में नाराजगी देखी गई। उनका कहना है कि आरोपियों से चोरी का कोई सामान बरामद नहीं हुआ है। वहीं, आरपीएफ अधिकारियों का दावा है कि जांच में पर्याप्त सबूत मिले हैं, जिसके आधार पर गिरफ्तारी की गई है।
रेलवे कर्मचारियों ने मांग की है कि मामले की पारदर्शी जांच हो और यदि कोई और बड़ा गिरोह इसमें शामिल है तो उन्हें भी सामने लाया जाए।
आगे क्या?
बुधवार को अदालत में दोनों आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई होगी। अगर अदालत ने जमानत याचिका मंजूर नहीं की तो उन्हें जेल में ही रहना होगा।
वहीं, आरपीएफ की जांच अब इस दिशा में भी जा रही है कि इतने बड़े पैमाने पर चावल की चोरी के पीछे स्थानीय स्तर पर कोई बड़ा नेटवर्क तो सक्रिय नहीं है।
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