Karur Scam : CBI करेगी जांच! तमिलनाडु के करूर भगदड़ मामले में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, 41 मौतें 'देश को हिलाने वाली घटना' घोषित, मद्रास हाईकोर्ट को लगी फटकार, विजय की पार्टी की निष्पक्ष जांच की मांग हुई पूरी!
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के करूर में TVK प्रमुख विजय की रैली के दौरान हुई भयावह भगदड़ की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंप दी है। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने इसे 'देश को हिला देने वाली घटना' बताया और निष्पक्षता के लिए जांच की निगरानी हेतु पूर्व न्यायाधीश अजय रस्तोगी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है।
राजनीति के मैदान में जब भीड़ और भावुकता का जनसैलाब उमड़ता है, तो अक्सर बड़ी त्रासदियां जन्म लेती हैं। तमिलनाडु के करूर में अभिनेता और राजनीतिज्ञ विजय की नई पार्टी, तमिलगा वेत्री कज़गम (TVK), की रैली के दौरान हुई भयावह भगदड़ में 41 लोगों की मौत ने न सिर्फ राज्य को, बल्कि पूरे देश को हिला कर रख दिया था। आज सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो सत्य और न्याय की राह खोलता है।
भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में, जब भी किसी मामले में राज्य पुलिस पर निष्पक्ष जांच न करने के आरोप लगे हैं, तो अक्सर सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के तहत अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले में भी, सुप्रीम कोर्ट ने मौतों को सिर्फ एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक गहरी साजिश के पहलू से जांचने का रास्ता खोल दिया है।
'देश को हिला देने वाली घटना' और सीबीआई जांच
जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने सोमवार (13 अक्टूबर, 2025) को इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि यह घटना "देश को हिला देने वाली घटना" है। बेंच ने सख्ती से कहा कि "निष्पक्ष तथा स्वतंत्र जांच नागरिकों का अधिकार है"।
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सीबीआई को जांच: शीर्ष अदालत ने तत्काल प्रभाव से इस मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपने का आदेश दिया।
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मद्रास हाईकोर्ट पर सवाल: सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश पर भी गंभीर सवाल उठाए, जिसमें इस मामले की जांच के लिए केवल तमिलनाडु पुलिस के अधिकारियों वाली एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य पुलिस से निष्पक्षता संभव नहीं है।
निष्पक्षता के लिए पूर्व न्यायाधीश की निगरानी
एक्टर विजय की पार्टी TVK ने मद्रास हाईकोर्ट के एसआईटी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जहां उन्होंने राज्य पुलिस द्वारा निष्पक्ष जांच की संभावना से इनकार किया था। पार्टी ने यह भी आशंका जताई थी कि उपद्रवियों द्वारा गड़बड़ी फैलाने की पूर्व-नियोजित साजिश हो सकती है।
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समिति का गठन: निष्पक्षता को पूरी तरह से सुनिश्चित करने के लिए, शीर्ष अदालत ने जांच की निगरानी के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है।
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अध्यक्षता: इस समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अजय रस्तोगी करेंगे।
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प्रगति रिपोर्ट: समिति को सीबीआई जांच की प्रगति रिपोर्ट हर महीने अदालत में जमा करने का निर्देश दिया गया है।
यह फैसला उन तमाम पीड़ितों के परिवारों के लिए न्याय की आशा जगाता है, जिन्होंने अपने प्रियजनों को इस भयावह त्रासदी में खो दिया है। सीबीआई जांच से यह पता चलना बाकी है कि क्या यह सिर्फ व्यवस्थागत चूक थी, या इसके पीछे वास्तव में कोई पूर्व-नियोजित राजनीतिक साजिश थी।
आपकी राय में, जस्टिस अजय रस्तोगी की अध्यक्षता वाली समिति सीबीआई जांच की पारदर्शिता और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए कौन से दो सबसे प्रभावी कार्य कर सकती है?
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