जमशेदपुर, 5 अक्टूबर 2024: जमशेदपुर में एमजीएम अस्पताल की बदतर हालत और 5 सालों से चली आ रही समस्याओं के समाधान की मांग करते हुए छात्रों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले को रोका। छात्रों ने अपनी समस्याओं से संबंधित ज्ञापन मुख्यमंत्री को सौंपा, जिसमें अस्पताल की खस्ताहाल स्थिति और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की लापरवाही का मुद्दा उठाया गया।
छात्रों का आक्रोश और मुख्यमंत्री का काफिला
एमजीएम अस्पताल, जो कि जमशेदपुर का एकमात्र सरकारी अस्पताल है, उसकी स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। इसी को लेकर छात्रों ने जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आगमन के दौरान उनके काफिले को रोका। छात्रों ने अस्पताल की समस्याओं और उसमें सुधार की मांग की।
भाजपा नेता राजीव रंजन सिंह ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह घटना स्पष्ट रूप से झारखंड सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं की अनदेखी को दर्शाती है। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर आरोप लगाते हुए कहा, "स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, जो खुद जमशेदपुर के जनप्रतिनिधि हैं और हर हफ्ते यहां मौजूद रहते हैं, बावजूद इसके एमजीएम अस्पताल की समस्याओं को अनदेखा कर रहे हैं।"
एमजीएम अस्पताल: समस्या का केंद्र और मंत्री की लापरवाही
जमशेदपुर का एमजीएम अस्पताल अक्सर अपनी समस्याओं के कारण सुर्खियों में बना रहता है। कभी डॉक्टरों की कमी तो कभी दवाइयों का अभाव, अस्पताल में हर छोटी-बड़ी सुविधा का अभाव है। अस्पताल में मरीजों को समय पर उपचार नहीं मिल पाता, जिससे उनकी जान पर बन आती है।
छात्रों का कहना था कि पिछले 5 सालों से इन समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है और इसी के कारण उन्हें मुख्यमंत्री के काफिले को रोककर विरोध प्रदर्शन करना पड़ा।
राजीव रंजन सिंह ने आगे कहा, "यह घटना साबित करती है कि मंत्री बन्ना गुप्ता अपने स्वास्थ्य विभाग की समस्याओं को लेकर कितने गंभीर हैं। अगर मंत्री ही इस विषय में कोई कदम नहीं उठाएंगे, तो जनता के पास सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के अलावा और क्या विकल्प बचता है?"
छात्रों की मांगें और मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया
छात्रों ने मुख्यमंत्री को सौंपे गए ज्ञापन में अस्पताल की कई समस्याओं का उल्लेख किया। इसमें प्रमुख रूप से अस्पताल में चिकित्सा उपकरणों की कमी, डॉक्टरों और नर्सों की अनुपलब्धता, सफाई व्यवस्था की खराबी, और दवाइयों की कमी जैसी समस्याएं शामिल थीं। छात्रों ने कहा कि ये समस्याएं पिछले कई सालों से चल रही हैं और इनके समाधान के लिए कई बार अधिकारियों से गुहार लगाई गई है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने छात्रों की समस्याओं को गंभीरता से सुनने का आश्वासन दिया और अधिकारियों को जल्द से जल्द स्थिति का जायजा लेकर समाधान करने के निर्देश दिए।
स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की चुप्पी पर उठे सवाल
इस घटना ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बन्ना गुप्ता, जो जमशेदपुर के ही जनप्रतिनिधि हैं और हर सप्ताह यहां उपस्थित रहते हैं, इसके बावजूद एमजीएम अस्पताल की स्थिति में कोई सुधार न होने के कारण जनता में भारी आक्रोश है।
भाजपा नेता राजीव रंजन सिंह ने इसे मंत्री की लापरवाही करार दिया और कहा कि जमशेदपुर के एकमात्र सरकारी अस्पताल की हालत सुधारने के लिए मंत्री को तत्पर होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि अगर जनता को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए मुख्यमंत्री के काफिले को रोकना पड़े, तो यह स्थिति बेहद शर्मनाक है।
एमजीएम अस्पताल की बदहाली: जनता की उम्मीदें और निराशा
एमजीएम अस्पताल जमशेदपुर के गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए उम्मीद का केंद्र है। परंतु डॉक्टरों की कमी, दवाइयों का अभाव और बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी ने इसे निराशा का प्रतीक बना दिया है। मरीजों को बुनियादी उपचार न मिल पाने के कारण कई बार उनकी स्थिति और बिगड़ जाती है।
छात्रों के विरोध ने यह साबित कर दिया है कि जनता अब स्वास्थ्य सेवाओं की अनदेखी बर्दाश्त नहीं करेगी। मुख्यमंत्री के समक्ष ज्ञापन सौंपकर छात्रों ने यह संदेश दिया है कि वे अपने हक और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए आवाज उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।
भविष्य की राह और सरकार की चुनौती
जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल की समस्याओं पर छात्रों के विरोध के बाद सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भले ही समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया हो, परंतु जनता की नजरें अब स्वास्थ्य मंत्री और सरकार के कदमों पर टिकी हैं।
सरकार को जल्द से जल्द एमजीएम अस्पताल की स्थिति सुधारनी होगी और जनता को यह विश्वास दिलाना होगा कि उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा। यह घटना न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की अनदेखी को उजागर करती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि जनता अपने हक के लिए किसी भी स्तर तक जा सकती है।
अब देखना यह होगा कि सरकार और स्वास्थ्य मंत्री इस घटना से सबक लेकर एमजीएम अस्पताल की स्थिति में सुधार के लिए ठोस कदम उठाते हैं या नहीं। जनता और खासकर युवा वर्ग की उम्मीदें सरकार से जुड़ी हैं, और सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी उम्मीदें टूटी न जाएं।
एमजीएम अस्पताल का यह विरोध सरकार के लिए एक चेतावनी है कि अब समय आ गया है जब स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और जनता को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।