Manipal Tata Medical College में पुलिस अधिकारियों के लिए फोरेंसिक प्रशिक्षण कार्यशाला, क्या आपको पता है इसके पीछे की अहमियत?
मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज ने पुलिस अधिकारियों के लिए एक महत्वपूर्ण फोरेंसिक प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की, जिसमें मेडिकोलीगल ऑटोप्सी, आग्नेयास्त्र चोटों और अपराध स्थल विश्लेषण जैसे विषयों पर विशेषज्ञता प्राप्त की। जानें इस कार्यशाला की अहमियत और कैसे यह पुलिस अधिकारियों की जांच क्षमता को बेहतर बनाता है।
फोरेंसिक विज्ञान और कानून प्रवर्तन के बीच एक मजबूत कड़ी स्थापित करने के उद्देश्य से मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज (MTMC) ने हाल ही में एक अत्याधुनिक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का शीर्षक था "पुलिस अधिकारियों के लिए मेडिकोलीगल ऑटोप्सी और आग्नेयास्त्र चोटों पर व्यापक प्रशिक्षण," जो कि पुलिस अधिकारियों के लिए एक अनूठा अवसर था, जहां उन्हें फोरेंसिक जांच के प्रमुख क्षेत्रों में विशेषज्ञता प्राप्त करने का मौका मिला।
कार्यशाला का उद्देश्य और प्रशिक्षण
इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य पुलिस अधिकारियों को फोरेंसिक विज्ञान के जटिल पहलुओं के बारे में प्रैक्टिकल ट्रेनिंग देना था, ताकि वे अपने रोज़मर्रा के कर्तव्यों में बेहतर तरीके से काम कर सकें। 30 पुलिस अधिकारियों को मेडिकोलीगल ऑटोप्सी, आग्नेयास्त्रों की चोटों का विश्लेषण, श्वासावरोध के मामलों की जांच और अपराध स्थल विश्लेषण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया गया।
सिमुलेटेड अपराध दृश्य
प्रशिक्षण के दौरान, मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज ने अत्याधुनिक कौशल प्रयोगशाला के भीतर चार कृत्रिम अपराध दृश्यों का निर्माण किया। इन सिमुलेशन ने पुलिस अधिकारियों को वास्तविक जीवन की स्थितियों में डुबो दिया, जिससे वे अपनी जांच की तीव्रता और विशेषज्ञता को सुधारने में सक्षम हुए। यह एक इमर्सिव अनुभव था, जो न केवल ज्ञान की बात करता था, बल्कि इसे व्यवहारिक रूप में प्रस्तुत करता था।
फोरेंसिक विज्ञान और पुलिस जांच के बीच की खाई
इस प्रशिक्षण कार्यशाला में 2022 बैच के आईपीएस अधिकारी श्री ऋषभ त्रिवेदी ने भी भाग लिया और फोरेंसिक विज्ञान और कानून प्रवर्तन के बीच की खाई को पाटने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम पुलिस अधिकारियों को उनकी कार्यकुशलता को और बढ़ाने में मदद करते हैं, जिससे अपराध जांच में अधिक सटीकता और प्रभावशीलता आती है।
समापन समारोह
समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में जमशेदपुर के एसपी-शिवाशीष कुमार ने प्रशिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से पुलिस अधिकारियों को न केवल अपराध की जांच में मदद मिलती है, बल्कि यह न्याय की प्रक्रिया को भी सुनिश्चित करता है। इसके अलावा, कार्यशाला में तीन प्रमुख फोरेंसिक विशेषज्ञों - डॉ. प्रदीप कुमार, विजय कौटिल्य, और डॉ. ज्योतिश गुरिया ने भी भाग लिया और पुलिस अधिकारियों को इस क्षेत्र की सैद्धांतिक और व्यावहारिक जानकारी दी।
आग्नेयास्त्र चोटों और बैलिस्टिक साक्ष्य
आग्नेयास्त्र चोटों की जांच एक बेहद महत्वपूर्ण पहलू है, जो फोरेंसिक विज्ञान के माध्यम से अपराध जांच में मदद करती है। कार्यशाला ने इस विषय पर विशेष ध्यान दिया और पुलिस अधिकारियों को बैलिस्टिक साक्ष्य की सटीक व्याख्या करने की तकनीकें सिखाईं, जिससे वे अपराध स्थल के परिदृश्य का पुनर्निर्माण कर सकें। इस प्रशिक्षण से पुलिस अधिकारियों को आग्नेयास्त्रों के साथ जुड़े साक्ष्यों की बेहतर समझ प्राप्त हुई।
फोरेंसिक विज्ञान और कानून प्रवर्तन का सहयोग
यह कार्यशाला मणिपाल टाटा मेडिकल कॉलेज के फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग की पहल थी, जो फोरेंसिक विज्ञान और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई थी। यह साबित करता है कि जब पुलिस अधिकारियों को उन्नत ज्ञान और कौशल से लैस किया जाता है, तो यह न केवल अपराध के मामलों में सुधार करता है, बल्कि सामुदायिक सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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