चंपाई सोरेन का संकल्प: संथाल परगना से बांग्लादेशी घुसपैठियों को निकालेंगे
पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने संथाल परगना से बांग्लादेशी घुसपैठियों को निकालने का संकल्प लिया है। उन्होंने आदिवासी समाज की जमीन, बेटी और रोटी बचाने की अपील की।
जामताड़ा, 7 अक्टूबर 2024 – झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने संथाल परगना से बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर निकालने का संकल्प दोहराया। मंगलवार को नाला प्रखंड के नूतनडीह फुलबॉल मैदान में आयोजित मांझी परगना महासम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने आदिवासी समाज की माटी, बेटी और रोटी की रक्षा पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, “यह वही जमीन है, जिसके लिए हमारे पूर्वजों बाबा तिलका मांझी, सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो ने संथाल हूल का नेतृत्व किया था। अब समय आ गया है कि हम इस जमीन की सुरक्षा के लिए एक और आंदोलन शुरू करें।”
पूर्व मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि आदिवासी समाज अब अपनी जमीन की लूट, बहु-बेटियों की अस्मत से खिलवाड़ और पूजा स्थलों पर कब्जा बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि बाईसी बुलाकर जमीनों को उनके मूल मालिकों को वापस दिलाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
संथाल परगना में आदिवासियों की गिरती स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए सोरेन ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस भोगनाडीह से संथाल हूल की शुरुआत हुई थी, आज उसी भूमि पर आदिवासियों के घर उंगलियों पर गिने जा सकते हैं। इस परिस्थिति में बदलाव की जरूरत है।”
उन्होंने युवा वर्ग से अपील की कि वे समाज को जागरूक करें और अपनी संस्कृति को बचाने के लिए आगे आएं। साथ ही उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने की अपील की कि उनके आस-पड़ोस में घुसपैठ जैसी घटनाएं न हों।
पिछले तीन हफ्तों में संथाल परगना के पाकुड़, बरहेट और जामताड़ा में चार मांझी परगना महासम्मेलन हो चुके हैं, जिनमें पारंपरिक ग्राम प्रधानों और जनता का भरपूर समर्थन मिला है। इस सम्मेलन में शामिल कई मांझी परगनाओं ने बताया कि जमीनों पर अतिक्रमण की शिकायतें मिलती रहती हैं, लेकिन सरकारी अधिकारियों से उन्हें कोई सहयोग नहीं मिलता।
What's Your Reaction?