जमशेदपुर रेलवे स्टेशन पर मौत के बाद मुआवजे के लिए 9 घंटे तक हंगामा, मृतक के परिवार को मिला 2 लाख और नौकरी
जमशेदपुर टाटानगर रेलवे स्टेशन पर एक व्यक्ति की मौत के बाद परिजनों ने मुआवजे की मांग को लेकर 9 घंटे तक प्रदर्शन किया। भाजपा युवा मोर्चा के हस्तक्षेप से परिजनों को 2 लाख रुपए और नौकरी का आश्वासन मिला। जानिए क्या हुआ पूरा मामला।
जमशेदपुर, 5 अक्टूबर 2024: टाटानगर रेलवे स्टेशन के एसी वेटिंग लॉज में मृतक शंकर यादव की मौत के बाद मुआवजे की मांग को लेकर परिजनों और रेलवे प्राधिकरण के बीच 9 घंटे तक गहमागहमी बनी रही। इस हंगामे के बीच भाजपा युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष नीतीश कुमार कुशवाहा ने हस्तक्षेप करते हुए परिजनों के लिए 2 लाख रुपए मुआवजा और मृतक के बेटे राहुल यादव को नौकरी का आश्वासन दिलवाया।
आरपीएफ और परिजनों के बीच तीखी बहस
घटना के बाद जब मृतक के परिजन मुआवजे की मांग को लेकर टाटानगर रेलवे स्टेशन पहुंचे, तो वहां पहले से ही आरपीएफ प्रभारी राकेश मोहन और उनकी टीम मौजूद थी। परिजनों ने स्टेशन परिसर में अपनी मांगों को जोर-शोर से उठाया, जिसके चलते माहौल तनावपूर्ण हो गया। आरपीएफ अधिकारियों ने परिजनों को वहां से हटाने की कोशिश की, जिससे नोकझोंक की स्थिति पैदा हो गई।
आरपीएफ के साथ हुई इस बहस में हालात कुछ देर के लिए हाथ से निकलते नजर आए, परंतु भाजपा युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष नीतीश कुमार कुशवाहा के मौके पर पहुंचने से स्थिति थोड़ी सामान्य हुई।
"मृत्यु चाहे जैसे भी हुई हो, इंसानियत के नाते मुआवजा जरूरी है"
नीतीश कुमार कुशवाहा ने घटना स्थल पर पहुंचकर परिजनों की मांगों को सुना और अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। उन्होंने कहा, "मृत्यु किसी भी परिस्थिति में हुई हो, यह दुखद है। मानवता के नाते जो भी संभव हो, कंपनी ठेकेदार को करना चाहिए। लेकिन ठेका कंपनी और आरपीएफ की मिलीभगत के कारण परिजनों को उचित मुआवजा नहीं मिल पा रहा है।"
इसके बाद नीतीश कुमार ने ठेका कंपनी के अजीत राय से फोन पर बात की और परिजनों के लिए समाधान निकालने का आग्रह किया। उनके हस्तक्षेप से कंपनी ने 2 लाख रुपए की सहायता और मृतक के बेटे को नौकरी देने पर सहमति जताई।
ठेका कंपनी ने दी राहत, परिजन रहे धरने पर डटे
मृतक शंकर यादव के परिजन सुबह से ही टाटानगर रेलवे स्टेशन के एसी वेटिंग लॉज में डटे हुए थे। परिवार के लोग मुआवजे और न्याय की मांग कर रहे थे। कंपनी ठेकेदार अजीत राय के भाई और भाजपा नेता नीतीश कुमार कुशवाहा ने अंततः परिजनों को 2 लाख रुपए नकद और मृतक के बेटे राहुल यादव को नौकरी देने की सहमति दिलाई। इसके बाद जाकर मामला शांत हो सका।
परिजन सुरक्षा के लिए आरपीएफ की तैनाती के बावजूद लॉज में प्रदर्शन पर अड़े रहे। भाजपा युवा मोर्चा के नेताओं ने परिजनों का समर्थन किया और उनके हक की लड़ाई में साथ खड़े रहे।
परिवार की मदद के लिए भाजपा युवा मोर्चा का समर्थन
इस पूरे घटनाक्रम में भाजपा युवा मोर्चा का समर्थन परिजनों के लिए बड़ा सहारा बना। भाजपा युवा मोर्चा के महानगर जिला अध्यक्ष नीतीश कुमार कुशवाहा ने न केवल परिजनों की समस्याओं को समझा बल्कि ठेका कंपनी के प्रतिनिधियों से बात कर उन्हें मुआवजा देने के लिए तैयार भी किया। इसके अलावा भाजपा नेता चिंटू सिंह, विकास यादव, सागर राय, राज कमल यादव, हिमांशु पाड़े, प्रताप यादव और रोशन कुमार भी वहां मौजूद रहे और उन्होंने परिजनों का समर्थन किया।
नीतीश कुमार ने कहा, "हम परिजनों के साथ हैं और उनकी मांगों को पूरा कराने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। हमारी पार्टी हमेशा से जनता के साथ खड़ी रही है, और इस घटना में भी हम परिवार की मदद के लिए तत्पर हैं।"
रेलवे और ठेका कंपनी पर उठे सवाल
इस घटना के बाद रेलवे प्राधिकरण और ठेका कंपनी की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए गए। परिजनों और भाजपा नेताओं ने ठेका कंपनी और रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) पर आरोप लगाया कि उन्होंने मृतक के परिवार को उचित मुआवजा देने में अनिच्छा दिखाई और उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया। भाजपा युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष नीतीश कुमार कुशवाहा ने रेलवे और ठेका कंपनी से परिजनों को जल्द से जल्द सभी वादे पूरे करने का आग्रह किया।
भविष्य की उम्मीदें और मांगें
परिजनों को 2 लाख रुपए की राहत राशि और मृतक के बेटे को नौकरी का आश्वासन मिलने के बाद मामला शांत हुआ। परंतु इस घटना ने रेलवे प्राधिकरण और ठेका कंपनियों के व्यवहार पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। ऐसे मामलों में मानवीय दृष्टिकोण और त्वरित निर्णय लेने की आवश्यकता है ताकि पीड़ित परिवारों को समय पर न्याय मिल सके।
नीतीश कुमार ने कहा, "हम चाहते हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाओं में तुरंत कार्रवाई हो और पीड़ित परिवार को सही समय पर मुआवजा मिले। आज हमारे प्रयास से परिजनों को राहत मिली है, लेकिन इस तरह के मामलों को सिस्टम का हिस्सा बनाना होगा ताकि लोगों को दर-दर न भटकना पड़े।"
समाप्ति और भविष्य की दिशा
जमशेदपुर टाटानगर रेलवे स्टेशन पर हुई इस घटना ने एक बार फिर से सिस्टम की खामियों को उजागर किया है। भाजपा युवा मोर्चा के हस्तक्षेप से परिजनों को कुछ राहत मिली है, लेकिन इस घटना से यह स्पष्ट है कि मुआवजा प्रक्रिया को अधिक मानवीय और त्वरित बनाने की आवश्यकता है। सरकार और रेलवे को ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए, जिससे पीड़ित परिवारों को न्याय मिलने में देरी न हो।
इस घटना ने परिजनों को मुआवजे और नौकरी का वादा तो दिलवाया है, लेकिन साथ ही यह संदेश भी दिया है कि यदि सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाई जाए और राजनीतिक हस्तक्षेप हो तो न्याय संभव है। अब देखना यह है कि ठेका कंपनी और रेलवे अपने वादों को कितनी जल्दी पूरा करते हैं और पीड़ित परिवार को उनकी उम्मीदों के अनुरूप सहायता मिलती है या नहीं।
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