Jamshedpur Shaheedi Shatabdi Yatra : शहीदी शताब्दी जागृति यात्रा पर सरयू राय ने दी श्रद्धांजलि
जमशेदपुर में सरयू राय ने शहीदी शताब्दी जागृति यात्रा का स्वागत किया। यह यात्रा गुरु तेग बहादुर जी व उनके शिष्यों की 350वीं शहादत को समर्पित है। जानिए इतिहास और इस आयोजन का महत्व।

जमशेदपुर: शहर ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक पल का साक्षी बनते हुए, सिख धर्म की शौर्यगाथा और बलिदान को समर्पित शहीदी शताब्दी जागृति यात्रा का स्वागत किया। इस अवसर पर जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक सरयू राय ने रामदासभट्ठा गुरुद्वारे के पास इस यात्रा का अभिनंदन किया और श्रद्धा-सुमन अर्पित किए। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से भी श्री राय का सम्मान किया गया।
यह यात्रा किसी साधारण आयोजन का हिस्सा नहीं, बल्कि सिख धर्म के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज एवं उनके तीन प्रमुख शिष्यों – भाई मती दास जी, भाई सती दास जी और भाई दयाला जी – की 350वीं शहादत वर्षगांठ को समर्पित है।
इतिहास से जुड़ी प्रेरणा
सिख इतिहास में 17वीं शताब्दी का वह दौर हमेशा याद किया जाता है जब औरंगजेब के शासन में जबरन धर्म परिवर्तन की नीतियां लागू की गईं। उस समय हिंदुओं और अन्य धार्मिक समुदायों को अपने विश्वास से समझौता करना पड़ रहा था।
तभी “हिंद की चादर” कहे जाने वाले गुरु तेग बहादुर जी सामने आए। उन्होंने न केवल अपने धर्म बल्कि पूरे भारत की आस्था की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। दिल्ली के चांदनी चौक पर उनकी शहादत भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी धार्मिक स्वतंत्रता की मिसाल बनी।
भाई मती दास, भाई सती दास और भाई दयाला जी ने भी अमानवीय यातनाएं सहते हुए अपने प्राण त्याग दिए, लेकिन अपने विश्वास से पीछे नहीं हटे। यही कारण है कि उनकी शहादत आज भी नई पीढ़ी को साहस और बलिदान का पाठ पढ़ाती है।
यात्रा का भव्य सफर
यह शहीदी शताब्दी जागृति यात्रा 17 सितंबर को पटना साहिब से प्रारंभ हुई है। इस यात्रा का मार्ग अपने आप में ऐतिहासिक है, क्योंकि यह बिहार, झारखंड, बंगाल, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा से गुजरते हुए अंततः पंजाब के श्री आनंदपुर साहिब पहुंचेगी, जहाँ इसका समापन होगा।
जमशेदपुर में इस यात्रा का स्वागत होना स्थानीय सिख समाज के लिए गर्व का क्षण रहा।
सरयू राय का संबोधन
यात्रा का स्वागत करते हुए विधायक सरयू राय ने कहा –
"यह यात्रा न सिर्फ श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को शहादत के महत्व को समझाने का माध्यम भी है। गुरु तेग बहादुर जी और उनके अनुयायियों का बलिदान हमें यह याद दिलाता है कि धर्म, आस्था और मानवता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाया जा सकता है।"
उन्होंने आगे कहा कि यह यात्रा देश की एकता और विविधता में मजबूती लाने का काम करेगी।
स्थानीय समाज की भावनाएँ
रामदासभट्ठा गुरुद्वारे में जब यात्रा पहुँची तो पूरे क्षेत्र में धार्मिक माहौल बन गया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु, सिख संगत और अन्य समुदायों के लोग मौजूद रहे। सभी ने मिलकर “वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह” के जयकारे लगाए।
स्थानीय गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने बताया कि यह पल जमशेदपुर के इतिहास में दर्ज हो जाएगा, क्योंकि इस यात्रा के माध्यम से पूरे भारत में शांति, साहस और त्याग का संदेश फैलाया जा रहा है।
जमशेदपुर में हुए इस आयोजन ने न सिर्फ धार्मिक भावनाओं को प्रबल किया बल्कि यह भी याद दिलाया कि भारत का इतिहास साहस और बलिदान की गाथाओं से भरा है। गुरु तेग बहादुर जी की शहादत केवल सिख धर्म की नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र की धरोहर है।
यह यात्रा एक आध्यात्मिक संदेशवाहक बनकर देशभर में जा रही है और यह दिखा रही है कि भारत की जड़ें त्याग और एकता में कितनी गहरी हैं।
What's Your Reaction?






