Saranda Tragedy: सारंडा में नक्सलियों के IED ब्लास्ट की चपेट में मासूम हथिनी! आगे का दाहिना पैर उड़ा, हाथी-मानव संघर्ष का सबसे क्रूर चेहरा
पश्चिमी सिंहभूम जिले के मनोहरपुर प्रखंड अंतर्गत सारंडा में नक्सलियों द्वारा लगाए गए IED विस्फोट की चपेट में आने से 10-12 वर्ष की एक मादा हाथी गंभीर रूप से घायल हो गई है। उसके दाहिने पैर की उंगलियां उड़ गई हैं। वन विभाग और पशु चिकित्सक की टीम ने इलाज शुरू कर दिया है, लेकिन यह घटना हाथी-मानव संघर्ष को नए स्तर पर ले जाती है।
चाईबासा के पश्चिमी सिंहभूम जिले के मनोहरपुर प्रखंड अंतर्गत सारंडा के घने जंगलों से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। नक्सलियों द्वारा पुलिस बल को नुकसान पहुंचाने के लिए बिछाए गए विस्फोटक जाल की चपेट में आने से एक और जंगली हाथी गंभीर रूप से घायल हो गया है। यह घटना झारखंड के वन्यजीवों पर मानवजनित संघर्ष के सबसे क्रूर और अमानवीय परिणामों को दर्शाती है।
सूत्रों के मुताबिक, यह दुर्भाग्यपूर्ण हथिनी जिसकी उम्र 10-12 वर्ष बताई जा रही है, नक्सलियों द्वारा लगाए गए आईईडी विस्फोट की चपेट में आ गई। विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि हथिनी के आगे के दाहिने पैर में गंभीर चोट आई है। उसकी उंगलियां पूरी तरह से उड़ गई हैं और मांस के लोथड़े लटक रहे हैं। पैर में गंभीर चोट के कारण वह ठीक से चल नहीं पा रही है, जो उसके जीवित रहने की संभावना को खतरे में डालता है।
4 घंटे की मशक्कत के बाद इलाज शुरू
इस दर्दनाक घटना की सूचना मिलने पर वन विभाग और पशु चिकित्सक की विशेष टीम तुरंत मौके पर पहुंची। सारंडा के घने और खतरनाक इलाके में लगभग 4 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद टीम घायल हथिनी के पास तक पहुंच पाई और उसका प्राथमिक इलाज शुरू किया।
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इलाज का तरीका: प्राथमिक उपचार के रूप में, टीम ने केले में दवा भरकर हथिनी को दी, जिसे उसने खा लिया।
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दवाएं: पशु चिकित्सक डॉक्टर संजय कुमार ने बताया कि हथिनी को एंटीबायोटिक, दर्द की दवाई और सूजन कम करने की दवाई दी गई है।
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आईईडी की आशंका: डॉक्टर कुमार ने कहा कि चोट का कारण एक बड़ा इंपैक्ट है, हालांकि आईईडी ब्लास्ट से इनकार नहीं किया जा सकता। यह इंपैक्ट इतना ज्यादा है कि यह बारूदी सुरंग या विस्फोटक के इस्तेमाल का स्पष्ट संकेत देता है।
वन विभाग की टीम लगातार हथिनी की निगरानी बनाए हुए है। डॉक्टर कुमार ने बताया कि वे हाथी को एक ऐसी सुरक्षित जगह ले जाने का प्रयास कर रहे हैं जहां उसका बेहतर और निरंतर इलाज किया जा सके।
मानव-वन्यजीव संघर्ष का क्रूरतम रूप
सारंडा जंगल हाथियों का मुख्य निवास स्थान है। यहां नक्सलियों द्वारा पुलिस को निशाना बनाने के लिए आईईडी और लैंडमाइंस बिछाए जाते हैं, लेकिन अक्सर निर्दोष वन्यजीव उनकी चपेट में आ जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में हाथियों के घायल होने की यह पहली घटना नहीं है, लेकिन IED ब्लास्ट से होने वाली यह क्षति अत्यधिक क्रूर है।
यह घटना झारखंड सरकार और सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि मानव-संघर्ष अब निर्दोष जानवरों की जान ले रहा है। यह आवश्यक है कि सुरक्षा अभियानों के दौरान वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए विशेष प्रोटोकॉल बनाए जाएं और जंगलों को विस्फोटक मुक्त करने की प्राथमिकता हो। पवन कुमार की मौत ने एक बार फिर मानवीय संवेदनहीनता पर सवाल उठाए हैं, लेकिन इस मासूम हथिनी का दर्द पूरे देश को झकझोर देने वाला है।
आपकी राय में, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आईईडी की चपेट में आने वाले वन्यजीवों को बचाने के लिए सुरक्षा एजेंसियां और वन विभाग कौन सी संयुक्त तकनीक अपना सकते हैं?
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