Saraikela Accident Horror: सड़क पार कर रहे बुजुर्ग को बाइक ने उड़ाया, मौके पर मची अफरा-तफरी
सरायकेला-कांड्रा मार्ग पर सड़क पार कर रहे बुजुर्ग को तेज रफ्तार बाइक ने टक्कर मार दी। हादसे में बुजुर्ग गंभीर रूप से घायल हो गए, जबकि बाइक सवार युवक को हल्की चोटें आईं।
झारखंड के सरायकेला ज़िले में सोमवार की सुबह एक ऐसी घटना घटी जिसने राहगीरों और स्थानीय लोगों को झकझोर कर रख दिया। कांड्रा मार्ग पर स्थित दुगनी के पास जिओ पेट्रोल पंप के समीप 60 वर्षीय बुजुर्ग सुकराम महतो को एक तेज रफ्तार बाइक ने टक्कर मार दी। हादसा इतना जबरदस्त था कि बुजुर्ग का दायां पैर मौके पर ही टूट गया और पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई।
हादसे की कहानी: कुछ ही सेकंड में बदल गई ज़िंदगी
सुबह करीब 10 बजे का वक्त था। सुकराम महतो, जो बीरबांस गांव के निवासी हैं और जिओ पेट्रोल पंप के पास एक निर्माण स्थल पर सेंट्रींग का काम कर रहे थे, किसी जरूरी काम से सड़क पार कर रहे थे। तभी कांड्रा की ओर से आ रही एक बाइक ने उन्हें सामने से टक्कर मार दी।
बाइक चला रहे युवक की पहचान राहुल प्रधान (22) के रूप में हुई है, जो बड़ाबंकी के गीतिलता का निवासी बताया जा रहा है। हादसे में जहां बुजुर्ग बुरी तरह जख्मी हुए, वहीं राहुल को भी हल्की चोटें आईं।
बचाव और इलाज: कैसे दोनों घायलों को पहुंचाया गया अस्पताल
घटना के तुरंत बाद स्थानीय लोगों ने दोनों घायलों को उठाया और एंबुलेंस को सूचना दी। मौके पर पहुंची एंबुलेंस ने दोनों को सरायकेला सदर अस्पताल पहुंचाया। डॉक्टरों ने सुकराम महतो की गंभीर स्थिति को देखते हुए उन्हें तुरंत जमशेदपुर रेफर कर दिया, जबकि बाइक सवार युवक को प्राथमिक इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई।
एक सवाल – सड़क पार करना कब इतना खतरनाक हो गया?
सरायकेला-कांड्रा मार्ग पहले भी कई बार हादसों का गवाह बन चुका है। खासकर दुगनी और जिओ पेट्रोल पंप जैसे व्यस्त इलाकों में लगातार ट्रैफिक रहता है। लेकिन इसके बावजूद न तो यहां कोई ज़ेब्रा क्रॉसिंग है और न ही स्पीड ब्रेकर। नतीजा – आम राहगीर खतरे में हैं।
कुछ वर्षों पहले इसी मार्ग पर एक स्कूली छात्रा को भी तेज रफ्तार वाहन ने टक्कर मारी थी। प्रशासन ने तब सख्ती का वादा किया था, लेकिन जैसे ही मामला शांत हुआ, सब कुछ पुराने ढर्रे पर लौट आया।
स्थानीय लोगों की नाराज़गी: “हर दिन डर के साए में सड़क पार करते हैं”
घटना के बाद स्थानीय लोगों ने नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा कि इस सड़क पर ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह लचर है। यहां ना ट्रैफिक पुलिस की निगरानी है, ना ही कोई यातायात संकेतक। लोग हर दिन अपने जोखिम पर सड़क पार करते हैं।
एक दुकानदार ने बताया, “हर सुबह बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग जान जोखिम में डालकर सड़क पार करते हैं। जब तक कोई बड़ा हादसा ना हो, तब तक कोई हरकत नहीं होती।”
क्या यह सिर्फ एक हादसा था या सिस्टम की नाकामी?
बुजुर्ग सुकराम महतो की कहानी किसी भी आम मेहनतकश व्यक्ति की कहानी है – जो सुबह काम पर निकला था, और शाम तक अस्पताल के बेड पर पहुंच गया। सवाल उठता है कि क्या हम अब भी ऐसी लापरवाही के आदी हो चुके हैं?
प्रशासन को चाहिए कि इस सड़क पर ज़रूरी सुरक्षा उपाय तुरंत लागू किए जाएं – जैसे स्पीड ब्रेकर, ज़ेब्रा क्रॉसिंग, और नियमित ट्रैफिक पेट्रोलिंग। नहीं तो अगली बार कौन सुकराम होगा, यह कोई नहीं जानता।
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