टाटा स्टील ने ओडिशा में भारत की सबसे बड़ी ब्लास्ट फर्नेस का उद्घाटन किया
टाटा स्टील ने ओडिशा के कलिंगानगर में 27,000 करोड़ रुपये की लागत से ब्लास्ट फर्नेस का शुभारंभ किया। इससे उत्पादन क्षमता 3 से 8 मिलियन टन प्रति वर्ष होगी।
कलिंगानगर, 20 सितंबर 2024: टाटा स्टील ने शुक्रवार को ओडिशा के कलिंगानगर में भारत की सबसे बड़ी ब्लास्ट फर्नेस का उद्घाटन किया। इस परियोजना के तहत कंपनी ने 27,000 करोड़ रुपये का भारी निवेश किया है। इससे कलिंगानगर प्लांट की उत्पादन क्षमता 3 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) से बढ़कर 8 एमटीपीए तक पहुंच जाएगी।
टाटा स्टील के सीईओ और प्रबंध निदेशक, टीवी नरेंद्रन ने इस अत्याधुनिक इकाई का उद्घाटन किया। इस मौके पर कंपनी के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। नई ब्लास्ट फर्नेस से उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी। इससे टाटा स्टील ऑटोमोटिव, इंफ्रास्ट्रक्चर, पावर, शिपबिल्डिंग और रक्षा जैसे प्रमुख उद्योगों की मांग को प्रभावी ढंग से पूरा कर सकेगा।
इस परियोजना का लाभ विशेष क्षेत्रों जैसे तेल और गैस, लिफ्टिंग, खुदाई और निर्माण में भी मिलेगा। पिछले 10 वर्षों में, ओडिशा में टाटा स्टील का कुल निवेश 1,00,000 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है।
टीवी नरेंद्रन ने कहा, "इसका उद्घाटन स्टील उद्योग के लिए ऐतिहासिक क्षण है। यह क्षमता, तकनीक और सस्टेनेबिलिटी के नए मानक स्थापित करेगा।"
नई ब्लास्ट फर्नेस का वॉल्यूम 5,870 घन मीटर है और यह अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित है। यह फर्नेस भारत में पहली बार चार टॉप कम्बशन स्टोव का उपयोग करेगी। इसके साथ ही, ड्राई गैस क्लीनिंग प्लांट भी स्थापित किया गया है।
इससे बाय प्रोडक्ट गैस से अधिकतम ऊर्जा पुनर्प्राप्ति संभव होगी। इसके अलावा, इवैपोरेटिव कूलिंग सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है, जिससे जल और बिजली की खपत को लगभग 20% तक कम किया जा सकेगा।
कलिंगानगर प्लांट न केवल एक औद्योगिक परिसर है, बल्कि यह क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास का भी प्रमुख स्तंभ है। टाटा स्टील ने शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आजीविका पर ध्यान केंद्रित करने वाले सामुदायिक विकास कार्यक्रमों में उल्लेखनीय निवेश किया है।
टाटा स्टील कलिंगानगर का इतिहास तकनीकी नवाचार और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में अग्रणी भूमिका के साथ जुड़ा हुआ है। इसे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा ‘ग्लोबल लाइटहाउस’ का खिताब मिला है।
यह नई ब्लास्ट फर्नेस न केवल उत्पादन में वृद्धि करेगी, बल्कि टाटा स्टील के दीर्घकालिक सतत विकास लक्ष्यों को भी मजबूत करेगी।
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