PNB Bank Fraud: पीएनबी बैंक में 'भीतरघात'! 64 लाख की अवैध निकासी, कैशियर और कैजुअल कर्मी ने ऐसे गुमराह कर लूटा 50 से अधिक खाते!
क्या आपके बैंक खाते में भी सेंधमारी हो सकती है? पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) की पलाशी शाखा से 64 लाख रुपये की धोखाधड़ी के पीछे का वो गहरा राज क्या है, जिसमें बैंक के ही कैशियर और कर्मी शामिल हैं? जानें कैसे भोले-भाले ग्राहकों को बनाया गया निशाना और पुलिस ने किन दो कर्मचारियों को किया गिरफ्तार!
जमशेदपुर, 24 अक्टूबर 2025 - जमशेदपुर से सटे इलाके के एक राष्ट्रीयकृत बैंक में हुए एक बड़े घोटाले ने ग्राहकों के बीच दहशत पैदा कर दी है। पलाशी गांव स्थित पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) की शाखा से करीब 64 लाख रुपये की अवैध निकासी का मामला सामने आया है, और इस चोरी के पीछे कोई बाहरी नहीं, बल्कि बैंक के ही दो कर्मचारी निकले। शुक्रवार को पुलिस ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए कैशियर सहित दो बैंककर्मियों को गिरफ्तार कर लिया है। यह मामला सिर्फ एक वित्तीय अपराध नहीं है, बल्कि ग्राहकों के विश्वास पर लगा एक गहरा धब्बा है।
बैंक के अंदर से ऐसे दिया गया घोटाले को अंजाम
पीएनबी के बैंक मैनेजर अरिंदम मिश्रा ने खुलासा किया कि विगत कई दिनों से लगातार बैंक खातों से छोटी-बड़ी अवैध निकासी की शिकायतें आ रही थीं। जब स्थानीय थाने में 50 से अधिक ग्राहकों ने प्राथमिकी दर्ज कराई, तब जाकर यह स्पष्ट हुआ कि यह कोई आम साइबर फ्रॉड नहीं, बल्कि बैंक के अंदर से किया जा रहा एक संगठित घोटाला है।
तहकीकात में बैंक में कार्यरत दो संदिग्धों के नाम सामने आए:
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शुभेंदु साहा: पलाशी निवासी कैशियर
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प्रबीन दत्त: कैजुअल कर्मी
पुलिस सूत्रों के अनुसार, ये दोनों कर्मी भोले-भाले और अशिक्षित बैंक ग्राहकों को गुमराह करते थे। संभवतः वे खाताधारकों के हस्ताक्षर, अंगूठे के निशान या अन्य गोपनीय जानकारी का इस्तेमाल करके उनके खातों से पैसे निकालते थे। बताया जा रहा है कि इस शातिर खेल में उन्होंने 50 से अधिक ग्राहकों के खातों से करीब 64 लाख रुपये की अवैध निकासी की है।
64 लाख का घोटाला: सिर्फ दो कर्मचारी या कोई बड़ा गिरोह?
64 लाख रुपये की बड़ी रकम को सिर्फ दो कर्मचारियों ने चुराया है, यह बात जांच का विषय है। इतनी बड़ी धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए निश्चित रूप से इन्हें बैंक के सिस्टम और सुरक्षा कमियों की गहन जानकारी होगी। यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि:
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क्या शुभेंदु साहा और प्रबीन दत्त सिर्फ मोहरे हैं, या इस मामले में कोई और बड़ा अधिकारी या कोई बाहरी गिरोह शामिल है?
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बैंक के आंतरिक लेखा प्रणाली (Internal Audit System) को इतने दिनों तक इस बड़ी धोखाधड़ी की भनक क्यों नहीं लगी?
झारखंड में बैंक धोखाधड़ी और लोन घोटालों का इतिहास रहा है। पिछले कुछ सालों में जमशेदपुर के आसपास के इलाकों में भी बैंक कर्मचारियों द्वारा ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज किए गए हैं। यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि क्या हम राष्ट्रीयकृत बैंकों में भी सुरक्षित हैं, या हमें हर वक्त सतर्क रहने की ज़रूरत है?
पुलिस की त्वरित कार्रवाई और आगे की राह
शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की और दोनों आरोपियों को चिह्नित कर हिरासत में ले लिया। पुलिस ने आधिकारिक रूप से पुष्टि की है कि दोनों के विरुद्ध आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है। अब पुलिस की जांच इस दिशा में बढ़ेगी कि चोरी किए गए 64 लाख रुपये की रिकवरी कैसे की जाए और क्या इस घोटाले में कोई और बड़ा अंतर-राज्यीय लिंक तो नहीं है।
बैंक प्रशासन को भी इस घटना के बाद अपनी आंतरिक प्रक्रियाओं और कर्मचारियों की निगरानी को और अधिक कड़ा करना होगा। ग्राहकों के लिए यह एक कड़ा सबक है कि वे कभी भी अपने खाते से जुड़ी गोपनीय जानकारी किसी को न दें, भले ही वह बैंक कर्मी ही क्यों न हो।
एक बैंक कर्मी द्वारा इस तरह का घोटाला करना, आपके अनुसार, बैंकों की विश्वसनीयता को कितना नुकसान पहुंचाता है? आप इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए क्या सावधानी बरतते हैं? कमेंट करके ज़रूर बताएं।
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