पहली मुलाकात - सर्वेश मिश्र , लखनऊ
पहली मुलाकात का दिन... बहुत कुछ सोचा था पूछूंगा लेकिन, तुम्हारी बातों की डोरी से, बंधता चला गया मेरा मन, ....
पहली मुलाकात
पहली मुलाकात का दिन...
बहुत कुछ सोचा था पूछूंगा लेकिन,
तुम्हारी बातों की डोरी से,
बंधता चला गया मेरा मन,
कई बातें मेरी जुबां तक ही नहीं आई,
आंखें तुम्हारी जैसे बन गई हो दर्पण,
तेरी बातों में खोया ऐसे,
मानो हृदय में चल रही हो तुम्हारी धड़कन,
तू ही बता देना कैसे इज़हार करू मैं दिल की बातों का,
प्रेम कहूं, इश्क कहूं या चुनूं अंग्रेजी के शब्द वो तीन,
था आज पहली मुलाकात का दिन,
जब अगली बार मिलूंगा तो पूछूंगा तुम से,
कब होगा हम दोनों के जीवन भर का मिलन,
इंतजार का फल मीठा होता है जनता हूं मैं भी लेकिन मत पूछो,
कैसे कटेगे तन्हाइयों भरे पल तुम्हारे बिन,
था आज पहली मुलाकात का दिन,
जाने कब तुम मुझे एजी-वोजी कहोगी,
अरे सुनती हो जी कहने को अभी और कितने लगेंगे दिन,
था आज पहली मुलाकात का दिन।
स्वरचित
सर्वेश मिश्र
लखनऊ
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