Nawada PACS Election : चाय-पान की दुकानों से चौपाल तक चर्चा का दौर गर्म
नवादा के अकबरपुर प्रखंड में पैक्स चुनाव को लेकर चाय-पान की दुकानों से चौपाल तक बहस गर्म है। जानें चुनावी सरगर्मियां और अध्यक्ष पद की दिलचस्प लड़ाई की पूरी कहानी।
नवादा: जिले के पैक्स चुनाव को लेकर माहौल पूरी तरह से चुनावी रंग में रंग चुका है। खासकर अकबरपुर प्रखंड में 29 नवंबर को होने वाले प्राथमिक कृषि साख समिति (पैक्स) के चुनाव ने हर गली-चौक पर चर्चा का केंद्र बना दिया है। प्रखंड मुख्यालय से लेकर गांवों की चौपाल और चाय-पान की दुकानों तक हर कोई अपनी राय और कयास लगाने में जुटा है।
चुनावी माहौल और गर्म चर्चा
अकबरपुर प्रखंड के पैक्स अध्यक्ष और प्रबंध कार्यकारिणी सदस्य पद के लिए हो रहे चुनावों ने खासकर अध्यक्ष पद को लेकर बहस को तीखा बना दिया है। हर जगह यह सवाल है कि "इस बार अध्यक्ष की कुर्सी पर कौन काबिज होगा?"
स्थानीय लोगों के बीच प्रत्याशियों को लेकर बहस इतनी गरम हो जाती है कि कभी-कभी समर्थकों के बीच नोंक-झोंक तक की नौबत आ जाती है। 29 नवंबर को मतदान के बाद, अगले ही दिन 30 नवंबर को मतगणना का आयोजन किया जाएगा, जहां प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होगा।
चाय-पान की दुकानें बनीं चुनावी अखाड़ा
चाय-पान की दुकानों पर चल रही चुनावी बहसें यह दर्शाती हैं कि चुनाव में प्रत्याशियों की हार-जीत केवल मतों तक सीमित नहीं है; यह जनता के बीच भी अपनी पहचान बनाने और विश्वास जीतने की लड़ाई है। खासकर बलिया बुजुर्ग क्षेत्र के पत्रकार राकेश कुमार उर्फ तालो को लेकर सट्टा बाजार में चर्चाएं तेज हैं। पहली बार मैदान में उतरे इस प्रत्याशी को लेकर स्थानीय लोगों में उत्सुकता अधिक है।
पैक्स और उसका ऐतिहासिक महत्व
पैक्स (प्राथमिक कृषि साख समिति) ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को ऋण, खाद, और बीज जैसी सुविधाएं प्रदान करने का एक अहम माध्यम है। यह प्रणाली देशभर में किसानों के लिए महत्वपूर्ण रही है। नवादा जैसे क्षेत्र में पैक्स का चुनाव न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक रूप से भी इसका प्रभाव गहरा है।
अध्यक्ष पद के लिए सघन मुकाबला
अध्यक्ष पद को लेकर जारी बहस और प्रत्याशियों के प्रचार ने इस पद को सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना दिया है। वहीं, प्रबंध कार्यकारिणी सदस्य के लिए कम दिलचस्पी देखी जा रही है। यह पद भी ग्रामीण विकास और पैक्स की कुशलता के लिए उतना ही अहम है, लेकिन चर्चा का मुख्य केंद्र अध्यक्ष पद बना हुआ है।
चुनाव परिणाम के इंतजार में जनता
चुनावी चर्चाओं के बीच, मतदाता मतदान की तारीख का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। 30 नवंबर को मतगणना के बाद जो तस्वीर साफ होगी, वह न केवल पैक्स के भविष्य को तय करेगी बल्कि यह भी बताएगी कि जनता किसे अपना अगुवा मानती है।
What's Your Reaction?