बाल विवाह मुक्त भारत अभियान: नवादा में बाल विकास कर्मियों ने लिया शपथ
नवादा के अकबरपुर में बाल विकास परियोजना कर्मियों ने बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत शपथ ली। जानिए इस अभियान का महत्व, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और कैसे यह समाज में बदलाव ला रहा है।
अकबरपुर, नवादा: बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से बाल विकास परियोजना कार्यालय में एक महत्वपूर्ण पहल की गई। बाल विकास परियोजना कर्मियों, सेविका, सहायिका, और आरपीएस कर्मचारियों ने मिलकर बाल विवाह के खिलाफ शपथ ली। इस अभियान का आयोजन निदेशक, महिला एवं बाल विकास निगम, बिहार पटना द्वारा चलाए जा रहे “बाल विवाह मुक्त भारत अभियान” के तहत किया गया था।
कार्यक्रम की शुरुआत और भागीदारी:
प्रधान सहायक विजय कुमार और प्रखंड समन्वयक मनीषा कुमारी ने कार्यक्रम की अगुवाई की। इसमें राजकुमार विवेक (कार्यपालक सहायक), महिला पर्यवेक्षक दीप्ति कुमारी, कुमारी हिंदू रानी, जय रानी सिन्हा समेत कई प्रमुख व्यक्तित्व मौजूद रहे। सेविकाओं में उषा कुमारी और प्रियंका कुमारी ने सक्रिय भागीदारी की, जबकि आरपीएस कर्मी प्रदीप कुमार ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
शपथ और संदेश:
शपथ ग्रहण के दौरान यह संकल्प लिया गया कि बाल विवाह जैसी कुप्रथा को जड़ से खत्म करने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा। समाज में बच्चों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें शिक्षा तथा स्वतंत्रता का उचित अवसर प्रदान करने की प्रतिबद्धता जताई गई।
बाल विवाह की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और प्रभाव
भारत में बाल विवाह की प्रथा सदियों पुरानी है। यह कुप्रथा मुख्य रूप से सामाजिक रूढ़िवादिता, अशिक्षा, और आर्थिक कारणों से पनपी। बाल विवाह ना केवल बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास को बाधित करता है, बल्कि उनके मौलिक अधिकारों का भी हनन करता है।
2017 में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय, जिसमें 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की शादी को गैर-कानूनी करार दिया गया, बाल विवाह के खिलाफ एक बड़ी जीत थी।
अभियान के उद्देश्य और महत्व
- जागरूकता बढ़ाना: ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बाल विवाह के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाना।
- शिक्षा का प्रचार: विशेषकर लड़कियों को शिक्षा का अवसर प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना।
- कानूनी सख्ती: बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत कठोर कानूनों का पालन सुनिश्चित करना।
स्थानीय प्रशासन का समर्थन:
इस कार्यक्रम में जिला प्रशासन ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई। समुचित कानून व्यवस्था और प्रचार माध्यमों के जरिए अभियान को सफल बनाने में योगदान दिया।
समाज से अपील:
बाल विवाह जैसी कुप्रथा के खिलाफ लड़ाई अकेले सरकार या प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं है। समाज के प्रत्येक नागरिक को इस लड़ाई में योगदान देना होगा। बच्चों की शिक्षा और स्वतंत्रता सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
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