मृत्यु के बाद शरीर के अंग कितनी देर तक जीवित रहते हैं? जानिए वैज्ञानिक सच
क्या आपने सोचा है कि मृत्यु के बाद हमारे शरीर का कौन सा अंग कितनी देर तक जीवित रहता है? जानिए अंगदान से जुड़ी वैज्ञानिक जानकारी और मृत्यु के बाद शरीर में होने वाले बदलाव।
मृत्यु एक ऐसा विषय है, जिस पर हम अक्सर आध्यात्मिक नजरिए से सोचते हैं। गरुड़ पुराण से लेकर विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाती है और क्या होता है। पर अगर हम इस सवाल को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो बात अलग हो जाती है।
वैज्ञानिक तौर पर सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि मृत्यु के बाद शरीर के अंग कितनी देर तक जीवित रहते हैं? इस सवाल का उत्तर ढूंढने के लिए कई सालों से रिसर्च हो रही है, और इसका असर ऑर्गन डोनेशन (अंगदान) पर पड़ा है। अंगदान आज के समय में लाखों लोगों की जिंदगी बचाने का जरिया बन चुका है।
मृत्यु के बाद शरीर में क्या होता है?
मृत्यु होते ही शरीर में बदलाव शुरू हो जाते हैं। हार्टबीट रुकने के बाद शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद हो जाती है। इसके बाद कोशिकाएं धीरे-धीरे मरने लगती हैं। कुछ अंग जैसे दिल, फेफड़े, और किडनी थोड़े समय के लिए जीवित रहते हैं, लेकिन उनके भी कार्य करने की क्षमता धीरे-धीरे खत्म हो जाती है।
कौन से अंग कितनी देर तक जीवित रहते हैं?
- दिल (हृदय): मृत्यु के बाद दिल लगभग 4-6 घंटे तक जीवित रह सकता है। इस दौरान इसे डोनेट किया जा सकता है और किसी और व्यक्ति के शरीर में ट्रांसप्लांट किया जा सकता है।
- फेफड़े: फेफड़े भी 4-6 घंटे तक जीवित रहते हैं और अंगदान के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं।
- किडनी: किडनी की बात करें तो यह 24 घंटे तक जीवित रह सकती है। किडनी ट्रांसप्लांट सबसे सफल अंगदान प्रक्रियाओं में से एक है।
- आंखें (कॉर्निया): मृत्यु के बाद आंखें लगभग 4-6 घंटे तक अच्छी स्थिति में रहती हैं। इन्हें आसानी से डोनेट किया जा सकता है, जिससे दृष्टिहीन लोगों को दुनिया फिर से दिखाई दे सकती है।
अंगदान का महत्व
अगर कोई व्यक्ति अपने अंग दान करने का फैसला करता है, तो उसकी मृत्यु के बाद उसके अंग किसी और को जीवनदान दे सकते हैं। एक व्यक्ति के अंगदान से 8 से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 'मन की बात' के 99वें एपिसोड में अंगदान के महत्व पर बात की थी।
हर घंटे क्या होता है?
मृत्यु के पहले घंटे के बाद शरीर में कई रासायनिक बदलाव होते हैं। ऑक्सीजन की कमी से कोशिकाएं टूटने लगती हैं, और कुछ अंग जल्दी खराब होने लगते हैं। जैसे-जैसे समय गुजरता है, अंगों को बचाना मुश्किल हो जाता है, इसलिए अंगदान प्रक्रिया जल्दी शुरू की जाती है।
मृत्यु के बाद शरीर के अंग कुछ समय तक जीवित रहते हैं। अगर हम अंगदान करने का फैसला लें, तो हमारी मृत्यु के बाद भी हमारे अंग किसी और के जीवन को संजीवनी दे सकते हैं।
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