क्या आप जानते हैं झारखंड में घुसपैठ का खेल कितना गहरा हो चुका है? जानें कैसे एक ही तिथि को एक महिला ने आठ बच्चों को जन्म दिया!
झारखंड में घुसपैठ का खेल किस हद तक पहुंच चुका है, इसका अंदाजा तौफुल बीबी की चौंकाने वाली कहानी से लगाया जा सकता है, जिन्होंने अलग-अलग साल में एक ही तिथि को आठ बच्चों को जन्म दिया। जानिए कैसे फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाकर घुसपैठिए सरकारी योजनाओं का फायदा उठा रहे हैं।
झारखंड में घुसपैठ का खेल कितनी तेजी से फैल रहा है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। खासकर बंगाल से सटे संताल परगना क्षेत्र में, जहां दशकों से यह खेल जारी है। समय-समय पर इसके खुलासे होते रहे हैं, लेकिन किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। हालांकि, इस मुद्दे पर राजनीति जरूर होती रही है और अभी भी हो रही है।
संताल के साहिबगंज, पाकुड़, दुमका जैसे इलाकों में घुसपैठियों का दबदबा इतना बढ़ चुका है कि अब यह चर्चा का गंभीर विषय बन चुका है। दुमका की तौफुल बीबी इसका जीता-जागता उदाहरण हैं, जिनके बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। तौफुल बीबी ने अलग-अलग सालों में एक ही तारीख पर आठ बच्चों को जन्म दिया। आखिर, यह कैसे संभव है?
आखिर छह महीने में कैसे दिया एक बच्चे को जन्म?
साहिबगंज जिले के राजमहल के नारायणपुर फेलुटोला की रहने वाली तौफुल बीबी ने 26 सालों में 13 बच्चों को जन्म दिया। यानी औसतन हर छह महीने में एक बच्चा। इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से आठ बच्चों का जन्म अलग-अलग वर्षों में 1 जनवरी को हुआ।
ये सभी जन्म प्रमाण पत्र दुमका जिले के जरमुंडी प्रखंड के तालझारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से फर्जी तरीके से बनाए गए थे। फिलहाल, इस मामले की जांच कई स्तरों पर चल रही है।
कब्र में पैर, फिर भी बनवा रहे जन्म प्रमाण पत्र!
जन्म प्रमाण पत्र के फर्जीवाड़े का खेल यहीं खत्म नहीं होता। साहिबगंज में ऐसे कई उदाहरण मिलते हैं जहां उम्रदराज लोग भी अपनी फर्जी नागरिकता साबित करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र बनवा रहे हैं।
एक उदाहरण देखें - 15 जून 2021 को, राजमहल के नारायणपुर के कमाल टोला निवासी अब्दुल शेख ने 60 साल की उम्र में जन्म प्रमाण पत्र बनवाया, जबकि कोहिनूर बीबी ने 54 साल में। यह पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े करता है।
फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर उठा रहे सरकारी योजनाओं का फायदा
फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के बाद ये घुसपैठिये आधार कार्ड, राशन कार्ड और अन्य सरकारी दस्तावेज भी बनवा लेते हैं, जो उन्हें स्थानीय नागरिक साबित कर देते हैं। इसके बाद, ये लोग केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाते हैं।
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