Jamtara Fraud: रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी से 89 लाख की ठगी, पुलिस ने गिरोह का भंडाफोड़ किया
जामताड़ा में रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी से मकान बेचने के नाम पर 89 लाख की ठगी। पुलिस ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर गिरोह का पर्दाफाश किया। जानिए कैसे रची गई थी यह साजिश।

झारखंड का जामताड़ा, जिसे देशभर में साइबर क्राइम का गढ़ कहा जाता है, एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार मामला साइबर ठगी का नहीं, बल्कि मकान बेचने के नाम पर 89 लाख रुपये की ठगी का है। पीड़ित एक सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारी हैं, जो जिंदगीभर की कमाई लगाकर अपना आशियाना खरीदना चाहते थे, लेकिन ठगों के जाल में फँस गए।
89 लाख का सौदा और झांसा
देवघर जिले के चितरा निवासी मुकेश रवानी जामताड़ा में मकान खरीदने का मन बना रहे थे। इसी दौरान उन्हें रेलवे स्टेशन के पास एक मकान दिखाया गया। बताया गया कि यह संपत्ति समीर सरकार नामक व्यक्ति की है, जो वर्षों से कोलकाता में रह रहा है।
ठगों ने खुद को मकान मालिक और उसके परिवार के रूप में पेश कर रवानी को विश्वास दिलाया। धीरे-धीरे उन्होंने 89 लाख रुपये अपने बैंक खातों में ट्रांसफर करवा लिए।
लेकिन जब संपत्ति के पंजीकरण (रजिस्ट्री) की बात आई तो टालमटोल शुरू हो गई। रवानी को शक हुआ और उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस का एक्शन और गिरोह का पर्दाफाश
शिकायत मिलते ही जामताड़ा पुलिस अधीक्षक राजकुमार मेहता की अगुवाई में जांच शुरू हुई। पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान इस प्रकार हुई –
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घनश्याम महतो – बिचौलिया
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विक्रम महतो – बिचौलिया
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पंचानंद दास – फर्जी मकान मालिक
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परिमल बाउरी – बेटे के रूप में पेश
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टुम्पा सरखेल – बहू के रूप में पेश
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जीसु सरकार – पोते के रूप में पेश
यानी पूरा एक “फैमिली ड्रामा” रचा गया था, ताकि खरीदार को यकीन हो जाए कि यही असली मालिक हैं।
जामताड़ा का अपराधी इतिहास
जामताड़ा का नाम सुनते ही लोगों को “फिशिंग कॉल्स” और साइबर ठगी याद आती है। यह इलाका वर्षों से देशभर में हजारों करोड़ की ऑनलाइन धोखाधड़ी का केंद्र रहा है। कई बार यहाँ से बड़े-बड़े गिरोह पकड़े गए, लेकिन अपराध का सिलसिला थमता नहीं दिखा।
अब यह घटना यह भी साबित करती है कि जामताड़ा के अपराधी सिर्फ मोबाइल और लैपटॉप से ही ठगी नहीं करते, बल्कि जमीन-मकान के सौदे में भी जाल बिछाने लगे हैं।
ठगी का ट्रेंड क्यों खतरनाक है?
मकान या जमीन खरीदने में अक्सर करोड़ों रुपये का लेन-देन होता है। ऐसे में अगर कोई गिरोह फर्जी मालिक बनकर सौदा कर ले तो खरीदार न केवल पैसे गँवा देता है, बल्कि कानूनी लड़ाई में भी फँस जाता है।
यही वजह है कि पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया और एक बड़े नेटवर्क को धर दबोचा।
पुलिस की अपील
पुलिस ने आम नागरिकों से अपील की है कि किसी भी जमीन या मकान सौदे से पहले दस्तावेजों की पूरी तरह से जाँच कर लें। असली मालिक का खाता नंबर, आधार, पैन और संपत्ति से जुड़े सरकारी रिकॉर्ड जरूर देखें।
इसके अलावा, किसी बड़े लेन-देन से पहले कानूनी सलाह लेना बेहद जरूरी है।
जामताड़ा की यह वारदात एक चेतावनी है कि अपराधी अब हर संभव रास्ता अपनाकर आम जनता को चूना लगाने पर आमादा हैं। पुलिस की तेजी से कार्रवाई ने एक बड़े फर्जीवाड़े को उजागर किया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या ऐसे गैंग बार-बार नए तरीकों से लोगों को ठगते रहेंगे?
यह घटना एक सीख भी है – “सिर्फ सपनों का घर देखना काफी नहीं, उसके कागजात को परखना भी उतना ही जरूरी है।”
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