Jamshedpur Glow: स्वर्णरेखा घाट पर छठी मैया का चमत्कार! लाखों की भीड़, फ्री सेवा शिविरों से गंगा-जमुनी तस्वीर, क्या आपने देखी इतनी श्रद्धा !
क्या आप जानते हैं झारखंड में छठ पर्व सिर्फ एक पूजा नहीं बल्कि सामाजिक समरसता का उत्सव क्यों बन गया है? जमशेदपुर के स्वर्णरेखा घाट पर लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ में किन लोगों ने बाँटा दूध-दातून और भोग? नहाय-खाय से लेकर खरना तक की पवित्र परंपरा का वह कौन सा नियम है जो आज भी हर किसी को आश्चर्यचकित करता है? पूरी जानकारी और मनमोहक तस्वीरों के लिए पढ़ें!
जमशेदपुर, 28 अक्टूबर 2025 – लोक आस्था का महापर्व छठ झारखंड में, खासकर जमशेदपुर के स्वर्णरेखा घाट पर, पूरी धूमधाम और भक्तिमय माहौल में संपन्न हुआ। नदी किनारे की छटा अद्भुत थी, जब लाखों की संख्या में छठ व्रती और श्रद्धालु सूर्य देव और छठी मैया को अर्घ्य देने पहुंचे। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि सांस्कृतिक समरसता और सामुदायिक सेवा का एक अभूतपूर्व उदाहरण भी बन गया।
स्वर्णरेखा पर प्रशासन की सक्रियता और दिनेश साह की निगरानी
महापर्व के शांतिपूर्ण और सुव्यवस्थित आयोजन के लिए स्वर्णरेखा घाट पर जिला प्रशासन की तैयारी लाजवाब रही। साउंड एंड लाइट कमेटी के अध्यक्ष श्री दिनेश साह जी ने अपने पूरे परिवार सहित छठ पूजा में हिस्सा लिया और चार घंटे पहले ही घाट का निरीक्षण किया।
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पुख्ता व्यवस्था: घाटों पर पर्याप्त लाइट की व्यवस्था और छठ व्रतियों के लिए जगह-जगह कपड़े बदलने के लिए बनाए गए शिविरों ने प्रशासन की तैयारी को रेखांकित किया।
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अखिल भारतीय गोंड आदिवासी संघ की भागीदारी ने भी इस आयोजन को खास बना दिया, जो झारखंड में छठ के सामाजिक फैलाव को दर्शाता है।
महापर्व के कठिन नियम: नहाय-खाय से खरना की खीर
छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय के दिन लौकी भात की परंपरा से होती है, जिसके बाद दूसरे दिन खरना का पवित्र अनुष्ठान होता है।
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खरना का माहौल: खरना के दिन घरों-घर गुड़ से बनी खीर और रोटी का प्रसाद तैयार होता है, जिसे व्रती रात में खाने के बाद 36 घंटे का निराजल व्रत शुरू करते हैं।
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गेहूं का शुद्धिकरण: बाजार से लाए गए गेहूं को हाथों से बड़ी पवित्रता के साथ साफ और धुलाई करके पिसाई कराई जाती है। कई लोग तो मान्यता के चलते अपने आटा चक्की को अच्छी तरह से धोकर खरना के दिन फ्री में पिसाई की सेवा देते हैं, जो इस पर्व की अनूठी खासियत है।
सेवा की गंगा-जमुनी धार: घाटों पर लगे फ्री शिविर
छठ पूजा का सबसे आकर्षक और हृदय को छूने वाला पहलू है सामुदायिक सेवा। घाटों के किनारे कई धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं ने शिविर लगाकर एक अद्भुत तस्वीर पेश की।
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सामग्री वितरण: लौकी, गन्ना, गागल (नींबू जैसा एक फल) और सुप (बांस की टोकरी) जैसी पूजा सामग्री का वितरण फ्री में किया गया।
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व्रतियों के लिए सुविधा: इन शिविरों में दूध, दातून, अगरबत्ती, चाय, और भोग के लिए पूरी-सब्जी का भी वितरण किया गया, जिससे दूर-दराज से आए व्रतधारियों को काफी सहूलियत मिली।
घाटों के किनारे 'छठी मैया की जय' के जयकारों से गूंजते रहे, जो इस महापर्व की अटूट आस्था और पवित्रता को दर्शाता है। यह पर्व न केवल सूर्य की उपासना है, बल्कि प्रकृति और पवित्रता के प्रति मनुष्य के गहरे जुड़ाव का प्रतीक है।
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