Jamshedpur Court : डॉ. अभिषेक से रंगदारी मामले में सागर तिवारी को जमानत, क्या है छिपा सच?
जमशेदपुर कोर्ट ने सागर तिवारी को दी जमानत! डॉ. अभिषेक से रंगदारी विवाद का सच क्या है? सोशल मीडिया से शुरू हुआ यह मामला अब क्यों है चर्चा में? पूरी कहानी जानें!

जमशेदपुर, 7 सितंबर 2025: जमशेदपुर के चर्चित रंगदारी मामले में चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. अभिषेक सिंह से कथित तौर पर रंगदारी मांगने के आरोप में गिरफ्तार सागर तिवारी और दो अन्य आरोपियों, धर्मबीर महतो और सौरव चटर्जी, को शनिवार को जमानत मिल गई। जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश-9 एस.डी. त्रिपाठी की अदालत ने यह फैसला सुनाया। इस मामले ने शहर में खूब सुर्खियाँ बटोरी थीं, क्योंकि यह एक सामान्य अस्पताल विवाद से शुरू होकर रंगदारी जैसे गंभीर आरोप तक पहुँच गया।
मामले की पृष्ठभूमि यह विवाद तब शुरू हुआ जब सागर तिवारी ने 29 जून 2025 को अपनी बेटी को काशीडीह स्थित डॉ. अभिषेक चाइल्ड केयर हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। इलाज के दौरान सागर तिवारी और डॉ. अभिषेक सिंह के बीच किसी बात को लेकर तनाव पैदा हो गया। यह विवाद जल्द ही सोशल मीडिया पर छा गया, जहाँ सागर तिवारी ने डॉ. अभिषेक के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए। इसके जवाब में डॉ. अभिषेक ने सागर तिवारी और उनके साथियों पर रंगदारी मांगने का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। इस शिकायत के आधार पर सागर तिवारी, धर्मबीर महतो, और सौरव चटर्जी को गिरफ्तार किया गया था।
अदालत में सुनवाई और जमानत जमानत की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता गौरव पाठक ने सागर तिवारी और अन्य आरोपियों की पैरवी की। उन्होंने अदालत में दलील दी कि उनके मुवक्किलों के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं और यह मामला व्यक्तिगत विवाद को रंगदारी का रूप देकर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। सुनवाई के बाद, जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश-9 एस.डी. त्रिपाठी ने सागर तिवारी, धर्मबीर महतो, और सौरव चटर्जी को जमानत दे दी।
जमानत मिलने के बाद सागर तिवारी ने कहा, "मुझे शुरू से ही न्यायपालिका पर पूरा भरोसा था। मुझे विश्वास था कि मुझे इंसाफ जरूर मिलेगा। यह मामला मेरे और मेरे परिवार के लिए बहुत कष्टदायक रहा, लेकिन सत्य की जीत हुई।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके खिलाफ साजिश रची गई थी और उनकी छवि को खराब करने की कोशिश की गई।
विवाद का दूसरा पहलू इस मामले में एक नया मोड़ तब आया जब सागर तिवारी सहित छह कथित पीड़ितों ने जमशेदपुर के उपायुक्त को ज्ञापन सौंपकर डॉ. अभिषेक पर इलाज में लापरवाही, धोखाधड़ी, और मरीजों के साथ दुर्व्यवहार जैसे गंभीर आरोप लगाए। इन लोगों में विकास शर्मा, नरेश प्रधान, करुणाकरण, शिवशंकर सिंह, और मनोज शर्मा शामिल थे। दूसरी ओर, डॉ. अभिषेक ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि यह उनकी छवि को बदनाम करने की साजिश है। उन्होंने दावा किया कि रंगदारी मांगने वालों ने उनके क्लिनिक को 9 दिनों में 90 लाख रुपये का नुकसान पहुँचाया।
कानूनी और सामाजिक प्रभाव यह मामला जमशेदपुर में चर्चा का विषय बना हुआ है। एक ओर जहाँ सागर तिवारी और उनके समर्थकों का दावा है कि वे अन्याय के खिलाफ लड़ रहे हैं, वहीं डॉ. अभिषेक का कहना है कि वे झूठे आरोपों का शिकार हुए हैं। इस घटना ने सोशल मीडिया पर भी खूब हलचल मचाई, जहाँ लोग दोनों पक्षों के दावों पर अपनी राय दे रहे हैं।
कानूनी जानकारों का कहना है कि यह मामला अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है, क्योंकि दोनों पक्षों की ओर से और भी कानूनी कदम उठाए जा सकते हैं। फिलहाल, सागर तिवारी और उनके साथियों को जमानत मिलना उनके लिए राहत की बात है, लेकिन इस विवाद ने स्थानीय समुदाय में कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
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