गजल - 23 - रियाज खान गौहर, भिलाई

मरे जा रहे लोग दौलत की ख़ातिर  नहीं मरता कोई इबादत की ख़ातिर ....

Sep 18, 2024 - 17:05
Sep 18, 2024 - 17:54
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गजल - 23 - रियाज खान गौहर, भिलाई
गजल - 23 - रियाज खान गौहर, भिलाई

गजल 

मरे जा रहे लोग दौलत की ख़ातिर 
नहीं मरता कोई इबादत की ख़ातिर 

मरो तो वतन की हिफ़ाज़त की ख़ातिर 
जियो तो ख़ुदा की इबादत की ख़ातिर 

किसी से लिया फिर किसी को दिया है 
ये खेला है दावों सियासत की ख़ातिर 

न सोचो कभी भी कि ऐसा करो तुम 
किसी की ख़यानत अमानत की ख़ातिर 

न धोके मे आना सियासत मे उनकी 
वो करते हैं जो अपनी शोहरत की ख़ातिर 

दुखाना नही दिल किसी का कभी भी 
तुम अपनी किसी भी जरूरत की ख़ातिर 

करो दीन का काम गौहर कुछ अच्छा 
वही काम आए कयामत की ख़ातिर 

गजलकार 
रियाज खान गौहर भिलाई

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।