गजल - 22 - रियाज खान गौहर, भिलाई
अगर आपकी मेहरबानी रहेगी सलामत मेरी जिन्दगानी रहेगी .....
गजल
अगर आपकी मेहरबानी रहेगी
सलामत मेरी जिन्दगानी रहेगी
किसी की कहां हुक्मरानी रहेगी
तुम्हारी ही जलवा फिशानी रहेगी
ना आयेगा लब पर किसी के तबस्सुम
अगर गैर की पासबानी रहेगी
दिलों में भरा जहर जब तक रहेगा
बराबर मेरी बदगुमानी रहेगी
तुम्हारा अगर जिक्र इसमें न होगा
अधुरी हमारी कहानी रहेगी
लुटा दो वतन के लिये जान अपनी
यही जावेदां कल निशानी रहेगी
अगर जहन गौहर मिरा साथ देगा
तो जारी कलम की रवानी रहेगी
- रियाज खान गौहर भिलाई
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