Gadchiroli Surrender: गढ़चिरौली में माओवादियों को सबसे बड़ा झटका, 6 करोड़ रुपये का इनामी शीर्ष कमांडर भूपति समेत 61 ने किया आत्मसमर्पण, सीएम देवेंद्र फडणवीस के सामने हथियार डाले, क्या गृह मंत्री अमित शाह का 2026 तक नक्सलवाद खत्म करने का लक्ष्य होगा पूरा?
गढ़चिरौली में माओवादी सेंट्रल कमेटी के सदस्य और ₹6 करोड़ के इनामी कमांडर मल्लोजुला वेणुगोपाल उर्फ भूपति समेत 61 नक्सलियों ने CM फडणवीस के सामने आत्मसमर्पण किया। यह झारखंड, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के लिए भी बड़ी सफलता है। इसने माओवादी आंदोलन को गहरा झटका दिया है।
भारतीय इतिहास में हमेशा से ही आंतरिक सुरक्षा और विरोध के आंदोलन एक जटिल चुनौती रहे हैं। लेकिन बुधवार का दिन उस इतिहास में एक ऐतिहासिक मोड़ लाया, जब माओवादी आंदोलन को सबसे बड़ा झटका लगा। महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की केंद्रीय समिति और पोलित ब्यूरो के शीर्ष सदस्य मल्लोजुला वेणुगोपाल उर्फ भूपति समेत 61 सक्रिय नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। यह आत्मसमर्पण सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि देश के चार राज्यों - महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और झारखंड में फैलते नक्सलवाद के अंत की ओर एक निर्णायक कदम है।
जिस भूपति पर इन चारों राज्यों में कुल 6 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था, उसका मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के सामने हथियार डालना स्पष्ट संकेत है कि सरकार की नक्सलवाद विरोधी रणनीति अब मैदान पर सफलता दिखा रही है।
केंद्रीय समिति का वरिष्ठ सदस्य, 6 करोड़ का इनामी
मल्लोजुला वेणुगोपाल उर्फ भूपति को संगठन के भीतर सोनू और अभय जैसे नागों से भी जाना जाता था। वह माओवादी केंद्रीय समिति के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक था।
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नक्सली पदानुक्रम: भूपति को हाल ही में छत्तीसगढ़ में हुई बड़ी मुठभेड़ में शीर्ष नेता नंबाला केशव राव के मारे जाने के बाद नए महासचिव के रूप में देखा जा रहा था। हालांकि, केंद्रीय समिति ने थिप्पारी तिरुपति उर्फ देवजी को यह जिम्मेदारी दी। भूपति का यह निर्णय संगठन के भीतर के बढ़ते असंतोष और सरकारी दबाव को दर्शाता है।
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शांति वार्ता की अपील: कुछ महीने पहले भूपति ने एक पर्चा जारी कर केंद्र सरकार से शांति वार्ता की अपील की थी और हथियार छोड़ने की इच्छा जताई थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार, इसके बाद ही उसने गुपचुप तरीके से अधिकारियों से संपर्क किया और आत्मसमर्पण की प्रक्रिया शुरू की।
'गढ़चिरौली अब विकास के रास्ते पर'
आत्मसमर्पण कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि गढ़चिरौली जिला पिछले 40 सालों से नक्सलवाद की भयानक मार झेल रहा था, जिसके कारण विकास की गति रुक गई थी।
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सरकार की नीति: मुख्यमंत्री ने आत्मसमर्पण करने वालों के लिए विशेष पुनर्वास नीति बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “कभी यहां के युवाओं को बंदूक उठानी पड़ी, पर अब वे विकास की मुख्यधारा में लौट रहे हैं। यह नीति नक्सलवाद की जड़ों को कमजोर कर रही है।”
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अमित शाह का लक्ष्य: फडणवीस ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने के लक्ष्य को दोहराया। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त रणनीति से नक्सली इलाकों में विकास कार्य तेजी से हो रहे हैं।
गढ़चिरौली जिले में पिछले दो दशकों में 700 से अधिक नक्सलियों का आत्मसमर्पण करना भी यही दर्शाता है कि पुलिस के दबाव और विकास के प्रयासों से माओवादी संगठन की ताकत कमजोर पड़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि भूपति जैसे वरिष्ठ नेता का सरेंडर माओवादी आंदोलन के लिए एक बड़ा मनोवैज्ञानिक झटका है, जो आने वाले समय में और कई नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित कर सकता है।
आपकी राय में, नक्सलवाद को पूरी तरह से खत्म करने के लिए सिर्फ सैन्य कार्रवाई के बजाय पुनर्वास नीति के तहत कौन से दो सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक और सामाजिक सुधार कदम उठाए जाने चाहिए?
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