France Violence After Nepal: फ्रांस में भड़की हिंसा, सड़कों पर आगजनी और पुलिस से टकराव, क्या है वजह?
नेपाल के बाद अब फ्रांस में जबरदस्त हिंसा और विरोध प्रदर्शन भड़क उठे हैं। सड़कों पर आगजनी, पुलिस पर हमला और देशभर में हड़कंप मच गया। जानिए किस वजह से लोगों ने राष्ट्रपति मैक्रों के खिलाफ मोर्चा खोला।
नेपाल में हुई अशांति के बाद अब यूरोप में फ्रांस भी हिंसा की चपेट में आ गया है। बुधवार को फ्रांस के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन, आगजनी और पुलिस से टकराव देखने को मिला। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को जाम कर दिया, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाया और पुलिस पर हमला किया। सुरक्षाबलों ने जवाब में आंसू गैस के गोले दागे।
यह आंदोलन राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और उनकी नई प्रधानमंत्री पर राजनीतिक दबाव बनाने के लिए शुरू किया गया है। प्रदर्शनकारी सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। वहीं, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंदोलन आम लोगों के बढ़ते असंतोष का संकेत है।
फ्रांस के गृह मंत्री ब्रूनो रिटेलो ने बताया कि प्रदर्शन शुरू होते ही करीब 200 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने कहा कि देशभर में फैले विरोध ने हालात को बिगाड़ दिया। प्रदर्शनकारियों की योजना “सब कुछ बंद कर देने” की थी, लेकिन सुरक्षाबलों की तैनाती के कारण वे अपने इरादे में सफल नहीं हो पाए।
इस विरोध की शुरुआत सोशल मीडिया से हुई थी। कुछ महीनों में यह आंदोलन तेजी से फैल गया। बुधवार को करीब 80 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए। पुलिस ने कई जगहों पर बैरिकेड हटाए और तेजी से गिरफ्तारियां कीं।
गृह मंत्री ने जानकारी दी कि पश्चिमी शहर रेन (Rennes) में प्रदर्शनकारियों ने एक बस को आग के हवाले कर दिया। वहीं, दक्षिण-पश्चिमी इलाके में बिजली की लाइन को नुकसान पहुंचने से रेल सेवा बाधित हो गई। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ प्रदर्शनकारी देश में “विद्रोह जैसा माहौल” बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि जनता का गुस्सा सिर्फ आर्थिक मुद्दों पर नहीं, बल्कि राजनीतिक असंतोष और सामाजिक असुरक्षा को लेकर भी बढ़ रहा है। कई लोग सरकार की नीतियों से असहमत हैं और उन्हें लगता है कि उनके मुद्दों को नजरअंदाज किया जा रहा है।
फ्रांस सरकार के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती स्थिति को सामान्य करना है। पुलिस ने कहा है कि वे शांति बहाली के लिए हरसंभव प्रयास कर रही हैं। वहीं, जनता भी यह चाहती है कि उनकी आवाज सुनी जाए और उनके मुद्दों पर ध्यान दिया जाए।
यह घटना फ्रांस की राजनीति में एक नया मोड़ साबित हो सकती है। सवाल यह है कि क्या सरकार इस संकट को संभाल पाएगी या हालात और बिगड़ेंगे? आने वाले दिनों में स्थिति पर पूरी दुनिया की नजर रहेगी।
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