Navratri Celebration : डांडिया की धुनों पर झूमा मुरली कॉलेज, नवरात्रि महोत्सव बना यादगार
मुरली ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन में नवरात्रि के अवसर पर गरबा और डांडिया का भव्य आयोजन हुआ। छात्रों ने संस्कृति, संगीत और परंपरा का अनूठा संगम पेश किया।

मुरली ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन ने इस नवरात्रि को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मंगलवार, 23 सितंबर 2025 को मुरली कॉलेज (इंटर एवं पैरामेडिकल कॉलेज) के प्रांगण में गरबा और डांडिया की धुनों ने ऐसा समां बांधा कि छात्र-छात्राएं झूम उठे।
कार्यक्रम का शुभारंभ माता की ज्योत प्रज्ज्वलित कर और प्रथम पूजनीय गणपति की आराधना के साथ हुआ। इसके बाद देवी दुर्गा की स्तुति पर मनमोहक गरबा नृत्य ने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
गरबा का ऐतिहासिक महत्व
गरबा केवल नृत्य नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का गहरा प्रतीक है। ‘गरबा’ शब्द ‘गर्भ दीप’ से बना है, जो जीवन और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। परंपरागत रूप से यह नृत्य गुजरात, राजस्थान और मालवा प्रदेश में अत्यधिक लोकप्रिय रहा है। वहीं डांडिया रास, देवी दुर्गा और राक्षस महिषासुर के बीच युद्ध का सांकेतिक मंचन माना जाता है। यही वजह है कि इसे शक्ति और विजय का प्रतीक कहा जाता है।
आयोजन की खास झलकियां
मुरली कॉलेज के छात्रों ने बॉलीवुड गीतों की धुन पर जब गरबा प्रस्तुत किया तो पूरा प्रांगण तालियों से गूंज उठा। लड़के और लड़कियां दोनों ही रंग-बिरंगे परिधानों में पारंपरिक डांडिया नृत्य कर रहे थे।
इस अवसर पर कई विशिष्ट अतिथियों की मौजूदगी ने आयोजन को और भी खास बना दिया।
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रामस्वरूप यादव (राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक और संस्थान के ब्रांड एंबेसडर)
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डॉ. अपूर्व विक्रम (पैरामेडिकल के वाइस प्रिंसिपल)
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मनीष कुमार (हिंदी के कवि)
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प्रिंसिपल श्रीमती नूतन रानी
इन सभी ने छात्रों के उत्साह और प्रस्तुतियों की खुलकर सराहना की।
विचार और संदेश
प्रिंसिपल नूतन रानी ने कहा—“ऐसे आयोजन न केवल छात्रों को मानसिक विश्राम देते हैं बल्कि उन्हें भारतीय संस्कृति से जोड़ते हैं।”
उपप्रधानाचार्य श्रीमती शशिकला जो ने इसे एकता और विविधता का प्रतीक बताया।
श्रीमती मिताली नमाता ने कहा—“डांडिया हमें भाईचारे और सद्भावना का पाठ पढ़ाता है।”
कार्यक्रम में गायक कुमार मनीष की मधुर आवाज़ ने उत्सव में चार-चांद लगा दिए। वहीं शिक्षिका श्रीमती बिजया बोस ने सभी के स्वास्थ्य और उन्नति की कामना करते हुए आगामी दुर्गा पूजा की शुभकामनाएं दीं।
छात्र-छात्राओं की भागीदारी
गरबा नृत्य में छात्रों ने पारंपरिक पोशाकों के साथ बॉलीवुड गानों पर भी प्रस्तुति दी। कहीं ढोल की थाप पर तालमेल बिठाते छात्र थे, तो कहीं रंगीन परिधानों में गरबा करती छात्राएं।
आयोजन इतना मनमोहक था कि दर्शक भी खुद को थिरकने से नहीं रोक पाए।
सांस्कृतिक महत्व
भारत की विविधता में एकता का सबसे सुंदर उदाहरण ऐसे ही आयोजन हैं। गरबा और डांडिया केवल गुजरात या राजस्थान तक सीमित नहीं रहे, बल्कि आज ये राष्ट्रीय और वैश्विक पहचान बन चुके हैं। विदेशों में भी भारतीय समुदाय हर साल बड़े पैमाने पर डांडिया नाइट्स आयोजित करता है।
मुरली कॉलेज का यह आयोजन उसी सांस्कृतिक विरासत की एक झलक था।
यह गरबा-डांडिया महोत्सव सिर्फ नवरात्रि का जश्न नहीं था, बल्कि संगीत, संस्कृति और परंपरा का अनूठा संगम था। छात्रों के उत्साह, शिक्षकों के मार्गदर्शन और अतिथियों की मौजूदगी ने इसे ऐतिहासिक बना दिया।
आपको क्या लगता है—क्या आज की नई पीढ़ी इन सांस्कृतिक आयोजनों के जरिए भारतीय परंपरा को और गहराई से समझ पाएगी?
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