Jamshedpur Meeting : हाथियों की सुरक्षा को लेकर बड़ा ऐलान, प्रशासन ने दिए कड़े निर्देश

जमशेदपुर में उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी की अध्यक्षता में हाथियों और वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर अहम बैठक हुई। इसमें बिजली के तारों, ढांचागत समस्याओं और गश्ती व्यवस्था पर बड़े फैसले लिए गए।

Sep 23, 2025 - 20:07
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Jamshedpur Meeting : हाथियों की सुरक्षा को लेकर बड़ा ऐलान, प्रशासन ने दिए कड़े निर्देश
Jamshedpur Meeting : हाथियों की सुरक्षा को लेकर बड़ा ऐलान, प्रशासन ने दिए कड़े निर्देश

जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम के समाहरणालय में मंगलवार को हुई एक अहम बैठक ने वन्यजीवों, खासकर हाथियों की सुरक्षा के मुद्दे पर सबका ध्यान खींच लिया। बैठक की अध्यक्षता उपायुक्त श्री कर्ण सत्यार्थी ने की, जिसमें वन प्रमंडल पदाधिकारी श्री सबा आलम अंसारी, अपर उपायुक्त श्री भगीरथ प्रसाद, विद्युत विभाग के कार्यपालक अभियंता और अन्य संबंधित पदाधिकारी मौजूद थे।

बैठक का मुख्य फोकस था—जंगलों और हाथियों की राह पर फैले बिजली के तार और ढांचागत खामियां, जिनसे पिछले कुछ वर्षों में कई हाथियों की जान जा चुकी है। उपायुक्त ने साफ शब्दों में कहा—“किसी भी हालत में वन्यजीवों को ढांचागत लापरवाही की वजह से नुकसान नहीं होना चाहिए।”

इतिहास की झलक

झारखंड में हाथियों की मौजूदगी कोई नई बात नहीं। ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि सिंहभूम और कोल्हान क्षेत्र के जंगल सदियों से हाथियों का प्राकृतिक आवास रहे हैं। यही वजह है कि आज भी इन इलाकों में हाथियों की नियमित आवाजाही होती है। लेकिन तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण और बिजली की अनियंत्रित तारों ने इनका जीवन संकट में डाल दिया है।

साल 2020 से 2024 के बीच केवल झारखंड में दर्जनों हाथियों की मौत करंट लगने से हुई। इन घटनाओं ने राज्य और केंद्र सरकार दोनों को सोचने पर मजबूर किया। इसी पृष्ठभूमि में इस बैठक का महत्व और भी बढ़ जाता है।

बैठक में उठाए गए कदम

बैठक के दौरान उपायुक्त ने विद्युत विभाग को सख्त निर्देश दिए कि—

  • हाथी मार्ग वाले इलाकों में बिजली की तारें मानक ऊंचाई तक उठाई जाएं।

  • जहाँ संभव हो, वहाँ इंसुलेटेड केबल का उपयोग किया जाए।

  • बिजली के ढांचे को पूरी तरह वन्यजीव अनुकूल बनाया जाए।

इसके अलावा, जिला स्तर की अनुश्रवण समिति गठित की गई है, जो कार्य की प्रगति पर नज़र रखेगी।

गश्ती और ग्रामीणों की भूमिका

उपायुक्त ने वन विभाग को भी निर्देश दिया कि हाथियों की आवाजाही वाले क्षेत्रों में नियमित गश्ती बढ़ाई जाए। ग्रामीणों को जागरूक किया जाए ताकि वे समय पर प्रशासन को सूचना दे सकें और किसी भी दुर्घटना को टाला जा सके।

स्थानीय लोगों की भागीदारी को अहम मानते हुए उपायुक्त ने कहा—“वन्यजीवों की सुरक्षा केवल सरकारी काम नहीं, बल्कि समाज की भी जिम्मेदारी है।”

क्यों है यह इतना जरूरी?

विशेषज्ञों के अनुसार, हाथी न सिर्फ जंगलों का पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखते हैं बल्कि जैव विविधता के संरक्षक भी हैं। एक हाथी का झुंड जब जंगलों से गुजरता है तो बीज फैलाने से लेकर मिट्टी को उपजाऊ बनाने तक में मदद करता है।

लेकिन जब इन्हें बिजली के तारों और इंसानी हस्तक्षेप की वजह से खतरा होता है, तो इसका असर पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ता है। यही वजह है कि प्रशासन ने इस बार ठोस और दीर्घकालिक कदम उठाने का संकल्प लिया है।

आगे की राह

बैठक में यह भी तय हुआ कि हाथियों की आवाजाही वाले इलाकों में मॉनिटरिंग सिस्टम लगाया जाएगा। आधुनिक तकनीक और जीपीएस आधारित ट्रैकिंग के जरिये इन पर नज़र रखी जाएगी।

इतना ही नहीं, स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर ‘हाथी मित्र दल’ भी तैयार किए जाएंगे, जो समय-समय पर वन विभाग को सूचनाएं देंगे और गांवों में जागरूकता फैलाएंगे।

जमशेदपुर की यह बैठक सिर्फ एक प्रशासनिक औपचारिकता नहीं, बल्कि वन्यजीव संरक्षण की दिशा में ठोस पहल है। अब देखना यह होगा कि लिए गए निर्णय कितनी तेजी से धरातल पर उतरते हैं।

आपको क्या लगता है—क्या इन कदमों से वाकई हाथियों की जान बच पाएगी? या फिर ये सिर्फ कागजी वादे बनकर रह जाएंगे?

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।